जींद जिले के सफीदों क्षेत्र के गांव हाडवा की निशु देशवाल। आसपास सभी लोग उसे ड्राइवर छोरी के नाम से जानते हैं, क्योंकि वह लोडिंग पिकअप गाड़ी का स्टेयरिंग थामे अक्सर आते-जाते नजर आती है। निशु देशवाल लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हैं। निशा के पिता मुकेश कुमार बीमार हो गए और उनकी दोनों पैरों की नसें जाम हो गई तो बेटी ने पिता की जिम्मेदारी को अपने कंधों पर ले लिया और गाड़ी चलाने लगी हैं। वह किराये पर गाड़ी में सामान ढोने की बुकिंग करती है। पिल्लूखेड़ा के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री लेकर निशा ने खुद का स्टार्टअप शुरू किया। हालांकि निशु का सपना हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर की नौकरी करने का है। निशु देशवाल सोशल मीडिया पर भी ट्रेंडिंग में है। फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम पर उसके लाखों फॉलोवर हैं। निशु की मां सुमनलता बताती हैं कि छठी कक्षा से ही उसने घर के कामकाज में रुचि लेनी शुरू कर दी थी। वह मेहनती है, निडर है, ईमानदार है। निशु घर के अलावा खेत के सभी कामों भैंसों के लिए चारा लाने, काटने, चारा डालने, दूध दूहने व कोई पशु बेकाबू हो जाए तो उसे काबू करने तक के काम बखूबी करती हैं। सुमनलता ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी। उसका चार बार ऑपरेशन हो चुका है, जिसके कारण वह काम करने में असमर्थ है। निशु के पिता को भी रीढ़ की हड्डी में दिक्कत के कारण वह ज्यादा लंबे समय तक नहीं बैठ पाते। निशु का भाई मनदीप बाहर कंपनी में जॉब करता है तो इस स्थिति में पिता की गाड़ी के स्टेयरिंग को निशु ने खुद संभाला। शुरूआत में आसपास के गांवों में पशुओं को गाड़ी में छोड़ने के लिए निशु जाती थी लेकिन अब दूसरे राज्यों में भी निशु गाड़ी की बुकिंग पर चली जाती है। सुमनलता का कहना है कि आज स्थिति यह है कि गांव में शुरू में जो लोग उसकी बेटी को मर्दों जैसे काम करते देख मन ही मन निंदा करते थे, वहीं लोग आज निशु पर गर्व महसूस करते हैं। निशु ने बताया कि उसमें खुद की मेहनत से कुछ करने का जुनून है और इस जुनून को हवा उसकी मां ने हौसले के रूप में दी है। उसका सपना हरियाणा रोडवेज की ड्राइवर बनने का है।
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