पंकज केसरवानी | कौशांबी9 मिनट पहले
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कौशाम्बी के सैनी कोतवाली क्षेत्र के लोहदा गांव में एक किसान की आत्महत्या ने शासन-प्रशासन की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 4 जून को रामबाबू तिवारी नामक किसान ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले उसने अपने पेट पर आरोपियों के नाम लिख दिए, जिससे घटना और भी सनसनीखेज हो गई।

रामबाबू तिवारी की फाइल फोटो।
झूठे केस में फंसाने से था परेशान, मौत को गले लगाया
परिजनों का आरोप है कि गांव के प्रधान समेत कुछ लोगों ने रामबाबू को झूठे बलात्कार के मुकदमे में फंसा दिया था। लगातार हो रही मानसिक प्रताड़ना और न्याय न मिलने से परेशान होकर उसने यह आत्मघाती कदम उठाया।

पोस्टमॉर्टम के बाद गांव में प्रदर्शन, हाईवे जाम
5 जून की शाम जब पोस्टमार्टम के बाद शव गांव पहुंचा, तो परिजनों ने नेशनल हाईवे पर शव रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़क जाम कर दी।
प्रदर्शन उग्र होता देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया और फिर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में शव को गांव ले जाकर अंतिम संस्कार कराया।

मामले में अखिलेश यादव का हमला पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल उठाए हैं कि आखिर कब तक आम जनता न्याय के लिए अपनी जान देती रहेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की X पर लिखा- उप्र में प्रशासनिक नाकामयाबी की वजह से लोगों की जान जा रही है। कौशांबी में राजनीतिक रसूख रखनेवालों के द्वारा लगाये गये झूठे मुकदमे ने किसी को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया और उसके बाद पुलिस की लीपा-पोती जैसी निंदनीय कार्रवाई न शासन-प्रशासन के बीच की मिलीभगत और साठगांठ का काला चिट्रा सबके सामने ला दिया।
ऐसे ही झूठे मुकदमों से कभी रामपुर में किसी को प्रताड़ित किया गया। कभी अमेठी में, तो अभी हाल में प्रतापगढ़ और हरदोई में। उप्र का ऐसा कोई भी जनपद नहीं होगा। जहां राजनीतिक विरोधियों को ऐसे बदनीयत झूठे मुकदमों में न फंसाया गया है।
न्याय हो!