स्पेस टेक पॉलिसी को लेकर इंदौर में एक्सपर्ट्स से सुझाव लेते एसीएस साइंस एंड टेक्नालॉजी संजय दुबे।
प्रदेश की स्पेस-टेक पॉलिसी अगस्त 2025 तक जारी कर दी जाएगी। इसके लिए रोडमैप तैयार किया जा चुका है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश के बाद विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया है। अफसरों को एक्सपर्ट्स ने सुझाव दिया है कि स्पेस-ट
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एमपी-टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव में एक डेडिकेटेड स्पेस-टेक नीति बनाने की घोषणा के बाद अब अगस्त तक इसकी नीति तैयार करने में ब्यूरोक्रेसी जुट गई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर में एमपी स्पेस-टेक नीति परामर्श: संभावनाएं और चुनौतियां विषय पर डिस्कशन किया है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एसीएस संजय दुबे ने कहा कि प्रदेश की स्पेस-टेक पॉलिसी अगस्त 2025 तक जारी कर दी जाएगी। इसके लिए रोडमैप तैयार किया जा चुका है।
इंदौर में 30 से अधिक एक्सपर्ट्स के साथ संवाद
एमपी स्पेस-टेक नीति परामर्श: संभावनाएं और चुनौतियां विषय पर हुए संवाद में 30 से अधिक प्रमुख विशेषज्ञ, शोध संस्थान, स्टार्ट-अप प्रतिनिधि, रक्षा और तकनीकी क्षेत्र के अधिकारियों और शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों ने इंदौर में इस पर सुझाव दिए हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एसीएस दुबे ने आईआईटी इंदौर में हुए इस संवाद को अत्यंत सार्थक बताया। उन्होंने कहा कि हमारी स्पेस-टेक नीति आधारभूत संरचना या नीतिगत प्रोत्साहनों तक सीमित नहीं रहेगी। यह नीति में संबंधित नवाचारों को प्रोत्साहन, प्रतिभाओं को राज्य में बनाए रखने और प्रदेश को स्पेस-टेक के क्षेत्र में एक सशक्त दावेदार के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
उपग्रहों तक सीमित नहीं स्पेस टेक
स्पेस-टेक पर हुए संवाद में आईईटी इंदौर के शोध और विकास के डीन प्रो. अभिरूप दत्ता और निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने कहा कि स्पेस-टेक केवल उपग्रहों तक ही सीमित नहीं है, यह इंजीनियरिंग, मटेरियल साइंस, डाटा मैनेजमेंट और राष्ट्रीय क्षमताओं का संगम है।
इस दौरान उज्जैन में ऑप्टिक्स एवं ऑप्टिकल कम्युनिकेशन क्लस्टर की स्थापना, क्षेत्रीय डाटा सेंटर और सैटेलाइट ग्राउंड स्टेशन का विकास, पेलोड और कम्पोनेंट निर्माण के लिए मेक-इन-इंडिया को बढ़ावा देना, डोमेन-स्पेसिफिक स्किलिंग, स्पेस सिस्टम्स में साइबर सुरक्षा और नवाचार को सहयोग दिए जाने पर भी चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने स्पेस-टेक पॉलिसी निर्माण में रिमोट सेंसिंग और कोर स्पेस-टेक के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाए जाने पर जोर दिया।
इन एक्सपर्ट्स ने दिए सुझाव
स्पेस-टेक पॉलिसी पर हुए विचार-विमर्श के परामर्श सत्र में इसरो-इन-स्पेस एमसीएफ भोपाल, एनआरएससी, डीआरडीओ-सीएआईआर, सी-डॉट, राजा रमन्ना उन्नत प्रौद्योगिकी केंद्र, मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेली-कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और आईआईटी इंदौर के प्रतिनिधियों एवं एसआईए-इंडिया, ट्रेड प्रमोशन काउंसिल फॉर जियो-स्पेशियल एंड स्पेस इंडस्ट्री जैसे निकाय और कई नवाचार स्टार्ट-अप्स के प्रतिनिधि शामिल हुए। निजी संगठनों में अभ्युदय, स्पेक्ट्रागेज़, सोअरिंग एयरोटेक, अफर्मिटी कॉर्प और ओमएग्री जैसे संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।