अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। आज जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की कोर्ट में खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान की याचिका (मंदिर के दावे की सुनवाई पर रोक लगे) पर सुनवाई हुई
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कमेटी के वकील आशीष कुमार सिंह और वागीश कुमार सिंह ने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के किसी भी वाद पर किसी भी कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा रखी है।
ये आदेश प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की कानूनी मान्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया गया था। उसके बाद भी अजमेर सिविल कोर्ट इस वाद को सुन रही हैं। ऐसे में इसकी सुनवाई पर रोक लगाई जाए।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान आज केंद्र सरकार की ओर से एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी ने अंजुमन कमेटी की याचिका का विरोध करते हुए कहा- कमेटी वाद में पार्टी नहीं है।
ऐसे में वह हाईकोर्ट में याचिका दायर नहीं कर सकती है। यह याचिका चलने योग्य नहीं हैं। कोर्ट अब मामले में एक सप्ताह बाद फिर से सुनवाई करेगी।
सबसे पहले जानिए- क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट
अब पढ़िए- क्या है अजमेर दरगाह विवाद
- 25 सिंतबर 2024 को हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर की। 38 पेज की याचिका में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के अंदर एक शिव मंदिर होने का दावा किया गया।
- गुप्ता ने अजमेर शरीफ दरगाह पर 2 साल की रिसर्च और एक किताब ‘अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव’ का हवाला दिया। इसमें बताया गया कि दरगाह के नीचे शिव मंदिर मौजूद है।
- 27 नवंबर को याचिकाकर्ता के वकील योगेश सिरोजा ने सिविल जज मनमोहन चंदेल की बेंच के सामने तथ्य रखे। कोर्ट ने याचिका को मंजूर कर लिया।
- कोर्ट ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को एक नोटिस जारी किया और यही से पूरे विवाद की शुरुआत हुई…

दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाले विष्णु गुप्ता ने साल 2011 में हिंदू सेना बनाई थी। इस संगठन का आरएसएस या शिवसेना से कोई संबंध नहीं है।
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के दावे के तीन आधार…
- दरवाजों की बनावट और नक्काशी : दरगाह में मौजूद बुलंद दरवाजे की बनावट हिंदू मंदिरों के दरवाजे की तरह है। नक्काशी को देखकर भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पहले हिंदू मंदिर रहा होगा।
- ऊपरी स्ट्रक्चर : दरगाह के ऊपरी स्ट्रक्चर देखेंगे तो यहां भी हिंदू मंदिरों के अवशेष जैसी चीजें दिखती हैं। गुंबदों को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी हिंदू मंदिर को तोड़कर यहां दरगाह का निर्माण करवाया गया है।
- पानी और झरने : जहां-जहां शिव मंदिर है, वहां पानी और झरने जरूर होते हैं। यहां (अजमेर दरगाह) भी ऐसा ही है।
17 अप्रैल को अंजुमन कमेटी के सचिव ने क्या कहा…

19 अप्रैल को होगी अजमेर सिविल कोर्ट अगली सुनवाई
- दरगाह मामले में पिछली सुनवाई (24 जनवरी) में दरगाह कमेटी ने कोर्ट से कुछ समय मांगा था। याचिका में दरगाह कमेटी ने कहा था- ‘वादी की ओर से लगाई गई याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। ‘
- इस पर कोर्ट ने हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता से जवाब मांगा था। उन्होंने जवाब पेश किया। जिसके बाद दरगाह कमेटी ने समय मांगा। इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 1 मार्च की तारीख दी थी। एक मार्च को बिजयनगर कांड को लेकर अजमेर बंद रहा।
- बंद को जिला बार एसोसिएशन ने समर्थन किया। ऐसे में वर्क सस्पेंड रखा गया है। इस कारण सुनवाई टल गई। अगली तारीख 19 अप्रैल दी गई।
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दरगाह में शिव मंदिर के दावे पर हाईकोर्ट में रिट:याचिका पर रोक लगाने की मांग की; कम फीस देने और 1955 के अधिनियम का हवाला दिया

ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान ने दरगाह में मंदिर का दावा करने वाले वाद की सुनवाई पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में रिट पेश की है। पूरी खबर पढ़िए…