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रात के 2 बज रहे थे। झांसी की मॉर्च्युरी से प्रयागराज के लिए अलग-अलग एंबुलेंस में 2 लाशें भेजी गईं। पहली डेडबॉडी माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और दूसरी उसके शूटर गुलाम अहमद की थी। ये बात धूमनगंज थाने में बंद अतीक और अशरफ को पता थी। दोनों उस रात सो नहीं पाए। लगातार पुलिसवालों से असद की लाश घर पहुंचने और दफनाए जाने की खबर लेते रहे।
सुबह हुई…अतीक चाहता था कि वो आखिरी बार बेटे को देख ले, लेकिन इजाजत नहीं मिली। उसे 10 बजे असद के दफनाए जाने का पता चला। 15 अप्रैल को पूरा दिन अतीक और अशरफ से UP-ATS पूछताछ करती रही। फिर रात 10:30 बजे दोनों को रूटीन मेडिकल चेकअप के लिए कॉल्विन अस्पताल लाया गया।
अस्पताल के बाहर मीडिया ने उन्हें घेर लिया। पत्रकार बेटे के जनाजे पर सवाल पूछने लगे। इसी बीच मीडियाकर्मी बनकर आए 3 लड़के पुलिस के बीच से आगे बढ़े और अतीक के सिर में एक के बाद एक 2 गोलियां मार दीं। अतीक जमीन पर गिर गया। अशरफ पर भी फायरिंग की गई। दोनों की वहीं मौत हो गई।
अतीक की मौत के 2 साल बाद उसकी महल जैसी कोठियों की तरह उसका खौफ भी खत्म हो चुका है। अब इस नाम से कोई नहीं घबराता, सिवाय 3 परिवारों के। ये बांदा के लवलेश तिवारी, हमीरपुर के सनी सिंह और कासगंज के अरुण मौर्य के परिवार हैं।
अतीक हत्याकांड में तीनों शूटर्स जेल में हैं। इनके परिवार को धमकियां मिल रही हैं। आरोपी कब बाहर आएंगे, ये कोई नहीं जानता। कानून के जानकर ये जरूर मानते हैं कि इन्हें फांसी होने के चांस सिर्फ 1% हैं।
15 अप्रैल की रात प्रयागराज में काल्विन अस्पताल के सामने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त दोनों मीडिया से बात कर रहे थे।
गैंगस्टर अतीक और अशरफ हत्याकांड के 2 साल होने पर दैनिक भास्कर ने आरोपी शूटर्स की फैमिली, वकील और पुलिस से बात की।
सबसे पहले मास्टरमाइंड सनी की फैमिली की बात… अनजान नंबरों से फोन आते हैं, कहते हैं- अतीक का भतीजा हूं, मार डालूंगा अतीक पर गोली चलाने के बाद सबसे पहले शूटर सनी सिंह ने सरेंडर किया था। यूपी पुलिस ने उसे मुख्य आरोपी बनाया है। उसे बाकी दोनों शूटर्स से अलग आगरा सेंट्रल जेल में रखा गया है। उसका परिवार हमीरपुर के कुरारा गांव में रहता है। यहां सनी का नाम लेने पर लोग तंज कसते हुए कहते हैं- वही सनी न…जिसने पूरे हमीरपुर का नाम रोशन कर दिया।

हमीरपुर के कुरारा गांव में ये सनी सिंह का घर है। यहां उसके बड़े भाई पिंटू परिवार के साथ रहते हैं।
सनी के बारे में पूछते ही उसके भाई पिंटू झुंझलाकर कहते हैं, ‘वो तो जेल में चैन से बैठा है। सारा खतरा हम पर आ गया है।’
मोबाइल दिखाते हुए बताते हैं, ‘अनजान नंबरों से फोन आते हैं। उधर से कोई बोलता है कि मैं अतीक-अशरफ का भतीजा हूं। तुम्हें मरवाने के लिए 5 लाख की सुपारी दी है। हमने पुलिस से शिकायत भी की, लेकिन परिवार को अब तक सिक्योरिटी नहीं मिली है। मैं पूरे दिन मजदूरी करता हूं, घर पर पत्नी और 3 छोटे बच्चे हैं। उनकी फिक्र रहती है, कहीं कोई ऊंच-नीच न हो जाए।‘

सनी से मिलने जेल जाते हैं, तो क्या बातें होती हैं? पिंटू जवाब देते हैं, ‘चित्रकूट जेल में था, तब मिलने जाते थे। अब उसे आगरा भेज दिया है। वहीं से जेल के फोन पर बात होती है। सनी फोन पर ज्यादा बात नहीं करता। बस यही कहता है कि संभलकर रहना। ज्यादा बाहर मत जाना।‘
सनी की भाभी रंजना पति और बच्चों के लिए फिक्रमंद हैं। वे कहती हैं-

सनी के जेल जाने के बाद घर के बाहर 10-15 पुलिसवाले खड़े रहते थे। पिछले साल चुनाव के बाद से सिक्योरिटी हटा दी गई। घर पर होटल था, वो भी बंद हो गया। खाने तक का राशन नहीं है। इस हालत में बच्चों को लेकर कहां जाएं।
सनी के परिवार ने बताया कि हमीरपुर में बजरंग दल के लोगों ने सनी का केस लड़ने में मदद करने का भरोसा दिया है। हमने इस बारे में हमीरपुर में बजरंग दल के जिला संयोजक सचिन शर्मा से बात की। उन्होंने सनी के परिवार से बात या मुलाकात करने से इनकार किया है।

मां बोलीं- मरने से पहले सनी को एक बार देखना चाहती हूं सनी की मां कृष्णादेवी कुरारा से 60 किमी दूर हमीरपुर-बांदा बॉर्डर पर सिकहौला गांव में रहती हैं। यहां उनका मायका है। पति और बड़े बेटे की मौत के बाद वे मायके में रहने आ गई थीं। तब सनी महज 10 साल का था।
75 साल की कृष्णादेवी सनी से मिलने चित्रकूट जेल भी गई थीं, लेकिन सनी ने पुलिस से मना कर दिया कि वो मां से नहीं मिलना चाहता। वे मायूस होकर घर लौट आईं। अब चाहती हैं कि मरने से पहले एक बार सनी से मिल लें।
बेटे के बारे में पूछने पर कृष्णादेवी भावुक हो जाती हैं। वे बताती हैं, ‘सनी बचपन में शरारती था। उसका लड़ाई-झगड़े में ज्यादा मन लगता था।‘

लवलेश की फैमिली की बात… अतीक की हत्या के 5 दिन पहले तक घर पर था, अचानक गायब हुआ अतीक की हत्या के बाद हाथ ऊपर लहराते हुए ‘जय श्री राम’ का नारा लगाता लड़का आपको याद है। पुलिस के मुताबिक, अतीक के सिर पर लवलेश तिवारी ने ही गोली चलाई थी। वो सनी के घर से 60 किलोमीटर दूर बांदा में रहता है। उसका परिवार संकट मोचन मंदिर से सटे क्योटरा मोहल्ले में किराए के मकान में रहता है।
अतीक की मौत के बाद लवलेश के परिवार को कुछ महीने पुलिस लाइन में रखा गया। 6 महीने के बाद उनकी सिक्योरिटी हटा ली गई। लवलेश का छोटा भाई वेद लखनऊ में फूड डिलिवरी कंपनी में काम करता है। परिवार से बात करने के लिए हमने उससे कॉन्टैक्ट किया, तो पता चला घर पर सिर्फ लवलेश के माता-पिता रहते हैं, वो किसी से बात नहीं करते। वेद को काफी भरोसा दिलाने के बाद वे बातचीत के लिए राजी हुए।

बांदा जिले के क्योटरा मोहल्ले में लवलेश के माता-पिता इसी किराए के मकान में रहते हैं। वे अपनी और अपने बाकी बेटों की सुरक्षा को लेकर परेशान हैं।
वेद के दोस्त के साथ हम लवलेश के घर पहुंचे। वहां हमें उसके पिता यज्ञ कुमार तिवारी और मां आशा देवी मिलीं। यज्ञ कुमार बेटे को याद कर कहते हैं, ‘घटना से 5 दिन पहले लवलेश घर पर ही था। वो मां को जिला अस्पताल में दिखाने ले गया था। फिर शाम को अचानक बिना बताए गायब हो गया।‘
‘हालांकि वो अक्सर हफ्तेभर के लिए दोस्तों से साथ बाहर चला जाता था, फिर लौट भी आता था। वो काफी धार्मिक था। हनुमान जी का भक्त था। रोज सुबह उठते ही नहाकर संकटमोचन मंदिर में दर्शन करने जाता था।‘

यज्ञ कुमार आगे बताते हैं, ‘उसके जेल जाने के बाद से हम बहुत परेशान हैं। मैं बांदा के एक प्राइवेट स्कूल में बस चलाता था। इस घटना के बाद मुझे नौकरी से निकाल दिया गया। बेटों को पुलिस पूछताछ के लिए बुलाने लगी। इससे उनके एग्जाम छूट गए। लवलेश की नासमझी का खामियाजा पूरा परिवार भुगत रहा है।’
लवलेश 4 भाइयों में तीसरे नंबर पर है। वेद सबसे छोटा है। बड़ा भाई रोहित संन्यासी बन चुका है। मोहित शादी के बाद लखनऊ में पुजारी है, पूजा-पाठ कराता है।

‘जेल में लवलेश से पुलिस बात नहीं कराती’ आशा देवी लवलेश के बचपन की तस्वीर दिखाते हुए कहती हैं, ‘जो लवलेश ने किया मैं नहीं चाहती कि मेरे बाकी बेटे उसी राह पर चलें। वो अपने पैरों पर खड़े हों, इसलिए हमने उन्हें बांदा से बाहर कमाने भेज दिया है। बच्चे जो भी कमा रहे हैं, हमारा घर उन्हीं पैसों से चल रहा है। बस उनकी सुरक्षा को लेकर डर लगा रहता है।‘
लवलेश से मिलने जेल जाती हैं, तो वो क्या बात करता है? आशा कहती हैं, ‘पुलिस बात नहीं कराती, सिर्फ देखा-सुनी होती है। बस हम उसे देख लेते हैं, वो हमें देख लेता है।‘
परिवार को शक है कि हमीरपुर जेल में रहते हुए लवलेश और सनी के बीच दोस्ती हुई थी। लवलेश एक लड़की को थप्पड़ मारने के आरोप में जेल में बंद था।

अब अरुण के परिवार की बात… अरुण पर पानीपत में मारपीट और कट्टा रखने के मुकदमे बांदा से 400 किलोमीटर दूर हम कासगंज के कातरवाड़ी गांव पहुंचे। यहीं तीसरे शूटर अरुण मौर्य का घर है। सनी और लवलेश की तरह इस गांव में भी लोग अरुण का नाम लेते ही उसके घर का पता बता देते हैं। गांववालों से ही पता चला कि अरुण के पिता दीपक मौर्य सोरों बाजार में गोलगप्पे का ठेला लगाते हैं। मां केला देवी पानीपत में छोटे बेटे के साथ रहती हैं। 15 साल की बहन सपना ने इस घटना के बाद पढ़ाई छोड़ दी।
गांव के एक बुजुर्ग ने ही हमें अरुण के घर तक पहुंचाया। एक कमरे के बिना प्लास्टर वाले मकान के बाहर बाइक और साइकिल खड़ी थी।

ये तस्वीर कासगंज के कातरवाड़ी गांव में अरुण के घर की है। यहां अरुण के पिता और बहन रहती हैं।
हमारे आवाज देने पर अंदर से अरुण की बहन सपना का जवाब मिला- पापा घर पर नहीं हैं, बाद में आना। हमने कहा- आप से ही बात करनी है। कुछ देर बाद सपना दरवाजे तक आईं।
अरुण के बारे में पूछने पर जवाब देती हैं- ‘भइया के बारे में पापा ने कुछ भी बोलने से मना किया है। वही मीडिया से बात करते हैं।’ इतना कहकर गेट बंद कर लिया।
इसके बाद हम गांव के लोगों से अरुण के बारे में जानने पहुंचे। अतीक की हत्या के बाद गांव के कई लोगों ने अरुण को लेकर मीडिया से बात की। इसके बाद पुलिस उनसे पूछताछ करने लगी। लिहाजा, अब गांव वाले कैमरे के सामने आने से बचते हैं। गांव के रहने वाले पंकज ने हमसे अरुण के बारे में ऑफ कैमरा बात की। वो कहते हैं,

अरुण घरवालों से ज्यादा मतलब नहीं रखता था। वो हाईस्कूल तक पानीपत में दादाजी के साथ रहा। 8 साल पहले यहां रहने आया था। पानीपत में उस पर मारपीट और देसी कट्टा रखने के मामले दर्ज थे।
‘हत्याकांड के बाद उसके माता-पिता 2 बार प्रतापगढ़ जेल में उससे मिलने जा चुके हैं। शायद इस बार भी वो बेटे से मिलने चित्रकूट गए हैं।‘

शूटर्स जेल में सेफ, जेलर बोले- मैनुअल के हिसाब से रह रहे अतीक-अशरफ हत्याकांड के शूटर्स जेल में कैसे रह रहे हैं। इस पर चित्रकूट जेल अधीक्षक शशांक पांडेय बताते हैं, ‘लवलेश, सनी और अरुण को नवंबर 2023 में प्रतापगढ़ से चित्रकूट जेल भेजा गया था। इस साल जनवरी में सनी को आगरा सेंट्रल जेल भेज दिया गया। बाकी दोनों जेल मैनुअल के हिसाब से रह रहे हैं। ‘

इनके फैमिली मेंबर्स बीच-बीच में मिलने आते हैं। LIU की मौजूदगी में परिवार को मिलवाया जाता है। कुछ दिन पहले अरुण के पिता उससे मिलने आए थे।
अतीक-अशरफ हत्याकांड की जांच कहां तक पहुंची 14 जुलाई 2023 को पुलिस ने तीनों शूटर्स के खिलाफ 2056 पेज की चार्जशीट दाखिल की। इसमें 2000 पेज ऐसे हैं, जिसमें पुलिस की केस डायरी, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, गवाहों के बयान, CCTV फुटेज की डिटेल हैं। पुलिस ने अपनी जांच के बाद खुलासा किया कि इस मामले में न तो कोई बड़ी साजिश थी, न ही कोई सुपारी किलिंग। पुलिस को पूरे हत्याकांड के पीछे ऐसा कोई मास्टरमाइंड भी नहीं मिला।
चार्जशीट में दावा किया गया कि लवलेश, सनी और अरुण 13 अप्रैल यानी घटना से 2 दिन पहले ही अतीक को मारना चाहते थे, लेकिन सिविल कोर्ट में वकीलों की भीड़ और भारी पुलिस बंदोबस्त की वजह से प्लान कैंसिल कर दिया था।

अतीक की हत्या जघन्य अपराधों में नहीं आती क्या लवलेश-सनी-अरुण जमानत पर रिहा हो सकते हैं? इस सवाल पर हमने बांदा सिविल कोर्ट के सीनियर एडवोकेट मनोज कुमार दीक्षित से बात की। शूटर्स की जमानत पर रिहाई के सवाल पर वे कहते हैं, ‘जेल मैनुअल एक्ट के मुताबिक, तीनों शूटर्स को जमानत अर्जी डालने का अधिकार है। वो अगर चाहें तो जेलर के जरिए जमानत की एप्लिकेशन फाइल कर सकते हैं।
हालांकि मेरा मानना है कि शूटर्स अपनी सेफ्टी को देखते हुए जेल से बाहर नहीं आना चाहते। न ही इनके परिजनों ने इन्हें बाहर निकालने की अब तक कोई कोशिश की है।
सजा के सवाल पर एडवोकेट मनोज कहते हैं, ‘कानून में रेयर ऑफ द रेयरेस्ट क्राइम के लिए दोषी को फांसी की सजा देने का प्रावधान है। सिर्फ 1% चांस है, जिसमें तीनों आरोपियों को फांसी मिल सकती है। अगर कोर्ट में ये साबित कर दिया जाए कि तीनों लड़कों ने किसी चौथे व्यक्ति से सुपारी लेकर अतीक-अशरफ की हत्या की हो। फिलहाल, इसकी संभावना बहुत कम है।’

सरकारी वकील बोले- केस एविडेंस स्टेज पर, हत्यारों को जल्द सजा होगी हमने केस की सुनवाई के बारे में सरकारी पक्ष के वकील ADGC मृत्युंजय त्रिपाठी से बात की। वे कहते हैं, ‘केस में अब तक सभी अहम खुलासे हो चुके हैं। गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। मामले में वादी धूमनगंज थाने के इंस्पेक्टर राजेश मौर्य के बयान हो रहे हैं। इसके बाद डिफेंस (शूटर्स के वकील) अपनी दलीलें पेश करेगा।‘
‘केस की सुनवाई पहले पूरी हो गई होती, लेकिन महाकुंभ की वजह से समय पर गवाहों और वादी के बयान नहीं हो सके। अब हियरिंग में तेजी आई है। उम्मीद है, जल्द फैसला सुनाया जाएगा।’

आरोपियों के वकील बोले- मैं लवलेश, सनी और अरुण से आज तक नहीं मिला अतीक की मौत के बाद तीनों शूटर्स का केस आखिर कौन लड़ेगा, ये बड़ा सवाल था। उस वक्त जिला जज संतोष राय की कोर्ट में DGC गुलाब चंद्र अग्रहरि सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे थे। मामले की सुनवाई आगे बढ़ी तो कोर्ट ने सनी के लिए रत्नेश शुक्ला को वकील नियुक्त किया। वहीं, एडवोकेट गौरव सिंह लवलेश और अरुण का पक्ष रख रहे थे। अभी रत्नेश शुक्ला ही आरोपियों की पैरवी कर रहे हैं।
रत्नेश कहते हैं, ‘मैं आरोपी पक्ष का वकील नियुक्त हुआ हूं, लेकिन आज तक मुझे सनी, लवलेश और अरुण से मिलने नहीं दिया गया। मैं उनसे मिलूंगा नहीं, तो उनकी बातें कोर्ट में कैसे रखी जाएंगी। यही सबसे बड़ी वजह है कि मामले की सुनवाई आगे नहीं बढ़ रही है।‘

शूटर्स की पैरवी में आप सबसे मजबूत पॉइंट क्या रख रहे हैं, ‘जिस जगह अतीक की मौत हुई, वहां उस वक्त 100 से ज्यादा लोग मौजूद थे, तो फिर माफिया और उसके भाई को छोड़कर दूसरों को गोली क्यों नहीं लगी। सिर्फ 2 लोग ही क्यों मारे गए। इससे पता चलता है कि तीनों लड़कों को सिर्फ कठपुतली की तरह इस्तेमाल किया गया। असली निशाना लगाने वाला कोई और था।‘
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अतीक का परिवार अब किस हाल में

माफिया अतीक अहमद की हत्या को 2 साल हो गए। उसके परिवार की तीन महिलाएं अभी भी फरार हैं। इसमें अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, भाई अशरफ की पत्नी जैनब और बहन नूरी शामिल हैं। दैनिक भास्कर की इस सीरीज में अतीक का परिवार अब किस हाल में है, परिवार की फरार तीन महिलाओं तक पुलिस क्यों नहीं पहुंच पाई? पढ़िए पूरी रिपोर्ट…