Wednesday, April 16, 2025
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अप्रैल का पहला प्रदोष व्रत कब है? सवा 2 घंटे पूजा का मुहूर्त, जानें तारीख, रुद्राभिषेक का समय


अप्रैल का पहला प्रदोष व्रत चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तिथि को है. यह व्रत गुरुवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए यह गुरु प्रदोष व्रत है. यह चैत्र माह का अंतिम प्रदोष व्रत है. इस दिन 3 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. इस दिन रुद्राभिषेक करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी, शिव कृपा से आपके कष्ट दूर होंगे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत और शिव पूजा करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के रोग, दोष आदि मिट जाते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि गुरु प्रदोष व्रत कब है? पूजा का मुहूर्त, रुद्राभिषेक का समय क्या है? इस दिन कौन से शुभ योग बन रहे हैं?

अप्रैल प्रदोष व्रत 2025 तारीख
पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत के लिए आवश्यक चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तिथि 9 अप्रैल को रात 10 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ हो रही है, यह तिथि 10 अप्रैल को देर रात 1:00 पीएम पर खत्म होगी. ऐसे में प्रदोष पूजा मुहूर्त और उदयातिथि के आधार पर अप्रैल का पहला प्रदोष व्रत 10 अप्रैल दिन गुरुवार को है.

अप्रैल प्रदोष व्रत 2025 मुहूर्त
10 अप्रैल को गुरु प्रदोष व्रत की पूजा के लिए आपको सवा दो घंटे का समय मिलेगा. गुरु प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 44 मिनट से रात 8 बजकर 59 मिनट तक है. इस समय में ही प्रदोष व्रत की पूजा करना उत्तम रहता है.

प्रदोष व्रत के दिन का ब्रह्म मुहूर्त 04:31 ए एम से 05:16 ए एम तक है, वहीं अभिजीत मुहूर्त 11:57 ए एम से दोपहर 12:48 पी एम तक है.

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3 शुभ योग में है गुरु प्रदोष व्रत
इस बार का प्रदोष व्रत 3 शुभ योग में है. प्रदोष के दिन रवि योग, वृद्धि योग और ध्रुव योग बनेंगे. रवि योग दोपहर में 12 बजकर 24 मिनट से बनेगा, जो अगले दिन 11 अप्रैल को सुब​ह 6 बजे तक रहेगा. वहीं वृद्धि योग सुबह से लेकर शाम 6 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. उसके बाद ध्रुव योग बनेगा, जो पूरी रात है.

रवि योग में सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं, वहीं वृद्धि योग में आप जो भी शुभ कार्य करेंगे, उसके फल में बढ़ोत्तरी होगी. उस दिन दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र है, उसके बाद से उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र है.

प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक समय
प्रदोष व्रत वाले दिन पूरे समय शिववास होता है. रुद्राभिषेक के लिए शिववास का होना जरूरी है, यदि शिववास नहीं है तो रुद्राभिषेक नहीं होगा. गुरु प्रदोष के दिन शिववास पूरे दिन नंदी पर है. देर रात 1 बजे के बाद शिववास भोजन में है. जिन लोगों को रुद्राभिषेक कराना है, वे लोग प्रदोष व्रत के दिन अपनी सुविधानुसार समय का चयन कर सकते हैं.

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गुरु प्रदोष व्रत का महत्व
जो लोग अपने शत्रुओं से परेशान हैं, उनको गुरु प्रदोष का व्रत करना चाहिए. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से आप अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे. आपके सुख, समृद्धि और धन में बढ़ोत्तरी होगी. इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन खुशहाल होता है.



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