नक्सलियों के कब्जे वाले कर्रेगुट्टा पहाड़ को मुक्त कराने के बाद फोर्स ने अबूझमाड़ में चलाए गए ऑपरेशन में बड़ी कामयाबी मिली है। जवानों ने बुधवार को मुठभेड़ में 27 नक्सलियों को ढेर कर दिया है। कामयाबी इसलिए बड़ी है, क्योंकि मारे गए लोगों में नक्सलियों का
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देर शाम तक जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ जारी थी। सभी के शव बरामद कर लिए गए हैं। हालांकि एक दुखद खबर भी है। इस मुठभेड़ में नारायणपुर डीआरजी का एक जवान कोटलू राम कोर्राम भी शहीद हो गया है वह ओरछा के भटबेड़ा का रहने वाला है। कुछ अन्य जवानों को मामूली चोटें भी आई हैं।
इससे पहले,जवानों को सूचना मिली थी कि अबूझमाड़ में नक्सलियों के केंद्रीय समिति और पोलित ब्यूरो सदस्य, माड़ डिवीजन के बड़े कैडर और पीएलजीए के बड़े कैडर बोटेर इलाके में जमा हुए हैं। बोटेर नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर का सरहदी इलाका है।
ऐसे में फोर्स ने 19 मई को मुठभेड़ के करीब 50 घंटे पहले जंगलों में ऑपरेशन लॉन्च किया था। तीन जिलों की फोर्स का टारगेट बोटेर था। ऐसे में करीब 50 घंटे पैदल चलने के बाद फोर्स बोटेर में नक्सलियों तक पहुंची और बड़ी मुठभेड़ हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस ऑपरेशन के सफल होने पर जवानों को बधाई दी है।
शवों को जंगलों से बाहर लाना भी बड़ी चुनौती : मुठभेड़ में मारे गए 27 नक्सलियों के शवों को जंगलों से बाहर लाना भी बड़ी चुनौती रहा। दरअसल 50 घंटे से ज्यादा समय तक ऑपरेशन चलाकर जवान थक गए। हालांकि जवानों की मदद के लिए बैकअप फोर्स भेजी गई है लेकिन वापसी के दौरान नक्सलियों की ओर से एंबुश लगाने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।
नक्सलियों के जनरल सेक्रेटरी बासव राजू पर डेढ़ करोड़ का इनाम था
7 महीने में 173 नक्सली मारे गए
पिछले दो सालों से फोर्स नक्सलियों के खात्मे के लिए मिशन 2026 चला रही है। इसका असर ये हुआ कि पिछले दो सालों में 336 से ज्यादा नक्सली मारे गए हैं। जबकि वर्ष 2024 से पहले हर साल औसत 50 नक्सली ही मारे जाते थे। फोर्स ने 2017 से लेकर 2021 तक करीब 5 साल में 300 नक्सलियों को ढेर किया था। जबकि फोर्स ने पिछले दो सालों में गगन्ना उर्फ बासव राजू, नति जैसे कई बड़े नक्सली मारे गिराए हैं।
इसके अलावा फोर्स ने नक्सलियों की पहाड़ी कर्रेगुट्टा पर भी कब्जा कर लिया है। यही नहीं फोर्स ने नक्सलियों के एक और सीसी मेंबर हिड़मा के गांव पूर्वती में भी कैंप खोल दिया है। इसके अलावा बड़े सेट्टी जैसा नक्सली प्रभाव वाला गांव भी नक्सल मुक्त हो गया है।
नक्सलवाद के खिलाफ मिली सफलता पर कहा कि हमें अपने सैन्य बलों पर गर्व है। हमारी सरकार माओवाद के खतरे को खत्म करने और अपने लोगों के लिए शांतिपूर्ण और प्रगतिशील जीवन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
ऐतिहासिक उपलब्धि। नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के तीन दशकों में यह पहली बार है कि हमारे बलों द्वारा एक महासचिव स्तर के नेता को मार गिराया गया है। मैं इस बड़ी सफलता के लिए हमारे बहादुर सुरक्षा बलों और एजेंसियों की सराहना करता हूं। अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अब समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। माओवादी संगठन के शीर्ष नेता बसवराजु का खात्मा इसी दिशा में एक निर्णायक कदम है। यह पूरे देश के लिए एक बड़ी कामयाबी है और इसका श्रेय हमारे वीर जवानों को जाता है। विष्णुदेव साय, सीएम छत्तीसगढ़
जानिए… गगन्ना उर्फ बासव के बारे में
आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम के कोटाबोम्मल मंडल के जियन्नापेटा थाना क्षेत्र निवासी बासव राजू उर्फ नंबाल्ला केशव राव उर्फ गगन्ना उर्फ प्रकाश उर्फ कृष्णा उर्फ विजय उर्फ दारापू नरसिम्हा रेड्डी उर्फ नरसिम्हा उर्फ बीआर सेंट्रल कमेटी मेंबर रहा, जो सेंट्रल कमेटी का सचिव था। वह अपने साथ एके-47 राइफल रखता था।
वह पिछले 25 साल से दंडकारण्य क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों में सक्रिय था। ताड़मेटला से लेकर झीरम हमले तक में इसकी भूमिका रही है। हाल के दिनों में यह पूर्व बस्तर डिवीजन को लीड कर रहा था। दरअसल अबूझमाड़ में हुए बड़े ऑपरेशनों के बाद यह नक्सली कैडर डगमगाने लगा था। ऐसे में उसे अबूझमाड़ में कैडर्स को संभालने का विशेष जिम्मा सौंपा गया था।
ये है राजू की प्रोफाइल उम्र- 60 से 70 वर्ष
- नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी में 2000 में चुना गया, तब से सेंट्रल कमेटी का मेंबर था।
- 63 साल की उम्र में 2018 में जनरल सेक्रेटरी बना।
- डेढ़ करोड़ का इनामी था, यही संगठन चलाता था।
- वारंगल यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की।
- 1980 के दशक में नक्सली संगठन से जुड़ा।
- नक्सलियों की सैन्य कमान का लंबे समय तक प्रभारी रहा।
बूबी ट्रैप, आईईडी, बीजीएल बनाने की तकनीक गगन्ना ने ही इजाद की थी 90 के दशक के बाद से फोटो तक नहीं खिंचवाई थी गगन्ना नक्सलियों के मिलिट्री कमीशन का संचालन करता था। गगन्ना ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी ऐसे में उसने नक्सलियों के लिए देशी लेकिन प्रभावी मारक हथियार बनाने की शुरूआत की थी।
बस्तर के जंगलों में फोर्स को सबसे ज्यादा परेशान और घायल करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले बूबी ट्रैप और आईईडी का इजाद भी गगन्ना ने ही किया था। इसके अलावा हाल के दिनों में नक्सलियों ने जो देशी रॉकेट लांचर, बीजीएल बनाए थे इसका अविष्कार भी गगन्ना ने ही किया था। बताया जा रहा है कि गगन्ना ने वर्ष 1990 के बाद से फोटो तक नहीं खिंचवाई है।