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अब्दुल ने आतंकियों को भेजे राम मंदिर के VIDEO: ATS को अयोध्या के घर से पैसे मिले, जमात वाले दोस्त ने दिलाया था मोबाइल – Ayodhya News


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समय : 2 बजे (रात), 2 मार्च, 2025

अयोध्या में राम मंदिर से 36Km दूर ATS ने छापामारी की। गांव मंजनाई की चमनगंज रोड पर अबू बकर के घर में आधी रात को सर्च ऑपरेशन चला। 650 स्क्वायर फिट के मकान के सबसे अंदर के कमरे में ATS टीम को एक बैग मिला। इसमें 40 हजार रुपए रखे थे। 500 रुपए की गड्‌डी थी। एक लकड़ी की नकली AK-47 मिली।

टीम के सदस्यों ने अबू से पूछा- क्या ये रुपए आपके हैं? अबू ने कहा- हमारे नहीं हैं, हम लोग तो बहुत गरीब हैं, इतने रुपए कहां से लाएंगे। दरअसल, ये बैग अबू के बेटे अब्दुल रहमान का था। जिसे ATS और IB ने फरीदाबाद (हरियाणा) से पकड़ा था। उसके पास से 2 हैंड ग्रेनेड मिले थे। अब्दुल ने डार्क वेब के जरिए राम मंदिर और हनुमानगढ़ी के वीडियो पड़ोसी देशों को भेजे हैं। ज्यादा आशंका है कि ये वीडियो पाकिस्तान गए हैं।

अयोध्या में 2 बार जांच, परिवार और दोस्तों से पूछताछ में क्या निकला? अब्दुल तक सुरक्षा एजेंसी कैसे पहुंची? वो कैसे आतंकी बन गया? यह समझने के लिए दैनिक भास्कर डिजिटल ऐप टीम अयोध्या से 45 Km दूर मिल्कीपुर पहुंचीं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

पहले सुरक्षा एजेंसियों की जांच पढ़िए…

डार्क वेब पर वीडियो भेजने वाले की लोकेशन मिली थी एटीएस और अयोध्या के पुलिस सोर्स बताते हैं- सुरक्षा एजेंसी डार्क वेब पर भेजे जाने वाले कंटेंट को मॉनिटर करती है। भारत से पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश समेत पड़ोसी देशों में छिपे आतंकियों को डार्क वेब के जरिए ही सूचनाएं भेजी जाती हैं, ताकि लोकेशन ट्रेस न हो।

पिछले दिनों अयोध्या का राम मंदिर, लता मंगेशकर चौक, सरयू के घाट, सुरक्षा की चौकियों के वीडियो एक खास लोकेशन पर शेयर किए गए। जब सुरक्षा एजेंसियों ने भेजने वाले का IP एड्रेस को सर्च किया, तो जिस लोकेशन पर यह कंटेंट भेजा गया था, वह तो पता नहीं चला। मगर भेजने वाले की लोकेशन हरियाणा के फरीदाबाद की मिली।

अब्दुल के मोबाइल से कंटेंट शेयर हुआ छापामारी में अब्दुल पकड़ में आया। उसने ही अपने मोबाइल से सारे वीडियो कंटेंट भेजे थे। पूछताछ में अब्दुल ने अयोध्या के मिल्कीपुर में अपने घर का एड्रेस दिया। इसके बाद एक टीम आधी रात को मिल्कीपुर में अब्दुल के पिता अबू के घर पहुंची। छानबीन में 40 हजार रुपए भी मिले।

ये रुपए अब्दुल को किसने दिए? इन रुपयों से क्या करने की प्लानिंग थी? क्या किसी और स्लीपर सेल को यह रुपए पहुंचाने थे? ऐसे कई सवाल सुरक्षा एजेंसियां अब्दुल से पूछती रही। इसमें यह भी सामने आया कि चार साल से अब्दुल कुचेरा बाजार से किन्हूपुर के बीच ई-रिक्शा चलाता आ रहा है। अब अचानक उसके पास ज्यादा पैसे और महंगा मोबाइल कहां से आया। सुरक्षा एजेंसी इसकी कड़ियां जोड़ रही हैं।

मिल्कीपुर में अब्दुल रहमान का घर है। उनकी मां ने हमें घर के अंदर के कमरे दिखाए।

मिल्कीपुर में अब्दुल रहमान का घर है। उनकी मां ने हमें घर के अंदर के कमरे दिखाए।

8 शहरों में छापामारी, एजेंसियां मानिटर कर रहीं इसके 24 घंटे के अंदर यूपी के 8 शहरों में ATS टीमों ने छापामारी की। कोई अरेस्टिंग तो नहीं हुई, मगर कई संदिग्ध लोगों को ट्रेस किया गया। सुरक्षा एजेंसियां अभी उनकी मॉनिटरिंग कर रही हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि इन लोगों के बारे में अब्दुल रहमान ने ही सुरक्षा एजेंसियों को बताया था।

अब्दुल को 40 हजार का मोबाइल किसने गिफ्ट किया पुलिस सोर्स से एक और खास फैक्ट सामने आया। जिस मोबाइल से डार्क वेब पर VIDEO शेयर किए गए। वह वन-प्लस का मोबाइल था। कीमत करीब 40 हजार रुपए थी। इतना महंगा मोबाइल ई-रिक्शा चलाने वाला अब्दुल कैसे खरीद सकता है? जब सुरक्षा एजेंसियों ने पूछताछ की, तब सामने आया कि फैजाबाद में रहने वाले हाफिज उस्मान ने यह मोबाइल अब्दुल को दिया था।

हाफिज ही अब्दुल को अपने साथ दिल्ली लेकर गया था। वहां जमात में अब्दुल को शामिल कराया। सोर्स के मुताबिक, इस शख्स के फैजाबाद स्थित घर में भी एजेंसी पहुंची थी, मगर वह पकड़ में नहीं आया।

अब गांव मंजनाई में परिवार से बातचीत…

घर में 2 कमरे, आंगन में रसोई, बाहर चिकन शॉप मामले की पड़ताल करते हुए दैनिक भास्कर की टीम अयोध्या-रायबरेली हाईवे से लिंक रोड पर 5Km अंदर चलकर चमनगंज रोड पहुंची। यहां अबू बकर का 650 स्क्वायर फिट का घर है।

हम घर के अंदर गए। यहां दो छोटे-छोटे कमरे हैं। परिवार ने बताया कि एक कमरे में सभी लोग सोते है, आंगन में एक हिस्से में खाना बनता है। दूसरे कमरे में जरूरी सामान रखा जाता है। छत पर एक इबादतगाह है। घर के बाहर चिकन शॉप की दुकान है। जिसे पिता अबू बकर चलाते हैं। गरीबी के चलते सरकार की तरफ से उन्हें अंत्योदय कार्ड मिला है। मां आश्मीन और उनकी तीन बेटियां हैं, जो अब्दुल रहमान से छोटी हैं।

ये अब्दुल रहमान के घर की छत है। ऊपर एक कमरा बना है।

ये अब्दुल रहमान के घर की छत है। ऊपर एक कमरा बना है।

पिता बोले- बेटा कैसे फरीदाबाद पहुंचा, पता नहीं अबू ने कहा- पुलिस घर पर अचानक पहुंची, तो हम घबरा गए। पुलिस के जवानों ने हमसे कहा कि आपको थाने चलना होगा। आपके लड़के के बारे में कुछ पूछताछ करनी है। हमने सोचा कि हमारे लड़के के दिल का ऑपरेशन 2009 में हुआ था, कभी-कभी वह बेहोश भी हो जाता है। हमें लगा कहीं वह चक्कर खाकर गिर तो नहीं गया। हम बहुत घबराए हुए थे, हम थाने गए।

पुलिस ने सबसे पहले पूछा अब्दुल रहमान कहां है, किसके साथ गया था? हमने जवाब दिया कि वो फैजाबाद के हाफिज उसमान के साथ जमात में गया था। बेटा बीच-बीच में पैसा भी मांगता था, कहता था कि पैसा खत्म हो गया है। हम घर पर मीट, मछली बेचकर उसे पैसा भेजते थे।

घर पहुंचा तो पता चला कि हमारा बेटा आतंकी है पुलिस ने 4 घंटे तक पूछताछ की। हमें जो कुछ भी पता था, वो सब बता दिया। इसके बाद पुलिस वालों ने कहा कि घर जाओ। घर पहुंचे तो घर पर मीडिया का जमावड़ा था, जो माइक पर बता रही थी कि वह (अब्दुल) राम मंदिर उड़ाने की तैयारी कर रहा था। यह सुनते ही हमारा दिल फट गया, हम हमेशा सभी के भले के लिए सोचते हैं। आज तक हम कभी भी पुलिस स्टेशन नहीं गए थे।

24 नवंबर को जमात से आया था घर पिता अबू ने कहा- मुझे याद है कि 24 नवंबर, 2024 को अब्दुल रहमान जमात पूरी करके घर आया था। वह पहले फैजाबाद और फिर 40 दिन दिल्ली, इसके बाद 40 दिन विशाखापट्टनम में रहा था, इसके बाद पंजाब भी गया था। ये सब उसने ही हमको बताया था। मिल्कीपुर वापस आने के बाद उसने कुछ दिन ई-रिक्शा चलाया, इसके बाद कहीं चला गया था। हमें भी उसकी लोकेशन पता नहीं थी।

ये मनीराम इंटर कॉलेज है, यहीं से अब्दुल रहमान ने पढ़ाई की थी।

ये मनीराम इंटर कॉलेज है, यहीं से अब्दुल रहमान ने पढ़ाई की थी।

हमारा फोन पुलिस के पास, गांव के लोग मोबाइल नहीं देते अबू कहते हैं- फैजाबाद के हाफिज उस्मान पहले भी घर आते-जाते थे। उसने कहा था कि अपने बेटे को जमात में भेज दो, हमने भी भेज दिया था। हमें पता नहीं था कि किसके दिल में क्या है? अब हमारा मोबाइल थाने में है, इसलिए अब उस्मान से बात नहीं हो पाई है। गांव के लोग भी अब हमें फोन नहीं दे रहे हैं। ज्यादातर लोग हमसे बात नहीं करते या बात करने से बचते हैं।

अब गांव के लोगों की बात…

गांव में अब्दुल के पड़ोसियों से हमने बातचीत की। बहुत से लोग कैमरा पर बात करने से मना करते रहे। हालांकि उन्होंने बताया कि अब्दुल को देखकर कभी लगा नहीं कि वो ऐसा कुछ कर सकता था। यहां मीट की शॉप पर बैठता था। बाकी वक्त ई-रिक्शा चलाता था।

गांव के कमरुद्दीन ने कहा- कैसे क्या हुआ, कुछ पता नहीं, पहले उसका व्यवहार बहुत अच्छा था। वह नमाज पढ़ने मस्जिद भी जाता था। कभी गांव में किसी परिवार से इन लोगों का झगड़ा नहीं हुआ।

गांव के स्कूल से अब्दुल ने 10वीं तक पढ़ाई की अब्दुल ने घर से 800 मीटर दूर स्थित मनीराम यादव इंटर कॉलेज से हाईस्कूल की पढ़ाई की। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह आगे की पढ़ाई नहीं कर सका। अपने पिता की मीट की शॉप पर बैठकर वह उर्दू की कुछ किताबें पढ़ता रहता था। मोबाइल पर वीडियो देखता रहता था। सुरक्षा एजेंसियों की जांच में यह भी सामने आया है कि उसने यूट्यूब से ही डार्क वेब पर वीडियो भेजना सीखा और उसका इस्तेमाल शुरू कर दिया।

सुरक्षा एजेंसियां क्या तलाश रहीं? दो बार अयोध्या में जांच के बाद सुरक्षा एजेंसियां अब ये तलाश रही हैं कि अब्दुल का कनेक्शन कहां-कहां था? पिछले एक साल में वह किन लोगों के संपर्क में आया। अब्दुल को मोबाइल और पैसा उपलब्ध कराने वाला दोस्त कहां है? उसका नेटवर्क किन लोगों से है। दिल्ली की जमात तक उसका कनेक्शन कैसे हुआ।

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