हैदराबाद से जबलपुर लाए गए 10 घोड़े की मौत के बाद अब एक घोड़े की रिपोर्ट ग्लैंडर पॉजिटिव आई है। हालांकि इससे इस घोड़े को कोई खतरा नहीं है, क्योंकि रिपोर्ट जीरो पॉजिटिव है, लेकिन अन्य घोड़ों के लिए यह चिंता का विषय जरूर है। पशु चिकित्सा विभाग ने दो घोड़ों
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पशु चिकित्सा विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों की एक घोड़े की रिपोर्ट ग्लैंडर पॉजिटिव आने की सूचना दी है। लिहाजा एक बार फिर भोपाल से डॉक्टरों की टीम जबलपुर आ सकती है। सचिन तिवारी 27 अप्रैल से 5 मई के बीच हैदराबाद से 57 घोड़े ट्रक में लोड कर जबलपुर के रैपुरा गांव लेकर आए हैं। इनमें से 8 घोड़ों की मौत 7 से 13 मई के बीच होते ही जिला प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग अलर्ट हुआ। सभी घोड़ों के सेंपल राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र हिसार (हरियाणा) भेजे गए थे। जिसमें से दो घोड़ों को छोड़कर सभी की ग्लैंडर रिपोर्ट निगेटिव आई थी।
रैपुरा अस्तबल में घोड़ों की जांच करते डॉक्टर।
संक्रामक बीमारी है ग्लैंडर
ग्लैंडर्स संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से घोड़ों, गधों और खच्चरों को प्रभावित करती है, लेकिन यह मनुष्यों और अन्य जानवरों में भी फैल सकती है। यह बीमारी बर्क होल्डरिया मैलेई नामक जीवाणु के कारण होती है। यही वजह है कि रैपुरा के अस्तबल में घोड़ों की मौत की खबर लगते ही पशु चिकित्सा विभाग ने अलर्ट हुआ और सभी घोड़ों के सेंपल ग्लैंडर की जांच के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र हिसार भेजे गए। जिला प्रशासन ने सभी घोड़ों को अलग-अलग रखने के निर्देश दिए थे और उनकी देखरेख के लिए डॉक्टरों की टीम को भी तैनात किया था।
HPSL चलाने वाले सुरेश पलादुगू के हैं ये घोड़े
जयपुर (राजस्थान) की लवान्या शेखावत ने ग्लैंडर को लेकर कराई गई घोड़ों की पिछली जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि डाक्टरों ने 20 दिन के भीतर क्या जांच की है, ये समझ से परे है। लवान्या ही हैं जिन्होंने हैदराबाद रेसकोर्स में घोड़ों पर अत्याचार का खुलासा करते हुए जानकारी पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) को दी थी, जिसके बाद तेलंगाना सरकार हरकत में आई और सुरेश पलादुगू के हेथा नेट इंडिया पर छापा मारा।

विशेषज्ञों की देखरेख में घोड़ों के खुरों की सफाई करते कर्मचारी।
लवान्या का कहना है कि ये घोड़े हैदराबाद में हॉर्स पावर सुपर लीग चलाने वाले सुरेश पलादुगू और उनके सहयोगियों के हैं। हैदराबाद रेसकोर्स में घोड़ों की दौड़ के नाम पर फिलीपींस में ऑनलाइन सट्टा खिलवाया जा रहा था। इसका खुलासा होने पर छापे से पहले सबूत मिटाने के लिए हैदराबाद से ये घोड़े अवैध रूप से जबलपुर भेज दिए गए। 100 से अधिक घोड़ों को गायब करवा दिया है। उनका कहना है कि रैपुरा गांव के अस्तबल में रखे गए घोड़े बहुत नाजुक और महंगे हैं। इन्हें समय पर खाना-पीना, दवाइयां दी जाती हैं। इन्हें बांधकर रखने की वजह खुला रखा जाता है, लेकिन वहां पर ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
24 अप्रैल से 3 जून तक मेनका गांधी थीं संपर्क में
लवान्या ने कहा कि जब से ये घटनाक्रम हुआ है, तब से लेकर आज तक लगातार मेनका गांधी हमारे संपर्क में थीं, एक-एक घटना, पल-पल की जांच रिपोर्ट पर वह स्वयं नजर बनाए हुए थीं और आखिरकार जब जांच रिपोर्ट तैयार हुई तो, उसमें कुछ संदेह जरूर खड़ा हो रहा है। उन्होंने मेनका गांधी से मांग की है कि घोड़ों की मौत को लेकर जो जांच रिपोर्ट तैयार की है, उस पर एक बार फिर से विचार किया जाए। क्योंकि उस रिपोर्ट में सब कुछ ठीक पाते हुए सही बताया गया है।

23 मई को हाईकोर्ट में दायर की जनहित याचिका
9 घोड़ों की मौत और कई अभी भी बीमार होने के मामले में 23 मई को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले एडवोकेट उमेश त्रिपाठी का कहना है कि हैदराबाद HPSL के डायरेक्टर सुरेश पलादुगू ने अवैध रेसिंग कराई। काला घोड़ा-नीला घोड़ा रेसिंग कराई। जिसे एप के माध्यम से दिखाया गया। जिसमें करोड़ों का सट्टा लगा था। फिलीपींस सरकार को जब पता चला तो भारत सरकार को जानकारी दी गई। बाद में तेलंगाना सरकार ने उस रेस को बंद करवा दिया।
एडवोकेट ने बताया कि इस रेस में दौड़ रहे हर घोड़े का एक पास कोड होता है। जिसमें घोड़े के मालिक का नाम एवं पता होता है। अगर यह जानकारी लग जाती कि ये रेस सुरेश पलादुगू ने कराई है, तो वह गिरफ्तार हो जाता। उसी से बचने के लिए इन्होंने 154 घोड़े अलग-अलग स्थानों पर भेज दिए। कुछ घोड़ों को हैदराबाद में मारने का प्रयास भी किया। समर विकेशन के बाद मामले पर सुनवाई होगी।