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अब ट्रम्प ने चीन पर 245% टैरिफ लगाया: एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए; चीन के 125% टैरिफ के जवाब में उठाया कदम


वॉशिंगटन8 मिनट पहले

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चीन ने 11 अप्रैल को अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में ट्रम्प ने नया टैरिफ लगाया है। - Dainik Bhaskar

चीन ने 11 अप्रैल को अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में ट्रम्प ने नया टैरिफ लगाया है।

अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर और आगे बढ़ गया है। अमेरिका ने अब चीन पर 100% और टैरिफ लगा दिया है। इसके साथ चीनी सामान पर कुल टैरिफ 245% हो गया है।

चीन ने 11 अप्रैल को अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में ट्रम्प ने नया टैरिफ लगाया है।

इससे पहले चीन ने कहा था कि अब वह अमेरिका की तरफ से लगाए जाने वाले किसी भी अतिरिक्त टैरिफ का जवाब नहीं देगा।

चीन ने बोइंग से नए विमानों की डिलीवरी लेने से मना किया

एक दिन पहले जानकारी सामने आई थी कि चीन ने अपनी एयरलाइन कंपनियों को अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग से नए विमानों की डिलीवरी नहीं लेने के आदेश दिए हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग ने अमेरिका में बनने वाले विमान के पार्ट्स और डिवाइसेस की खरीद रोकने का आदेश भी दिया है।

चीन ने यह आदेश अमेरिका के 145% टैरिफ के जवाब में जारी किया है। बोइंग एयरप्लेन एक अमेरिकी कंपनी है, जो एयरप्लेन, रॉकेट, सैटेलाइट, टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट और मिसाइल बनाती है। कंपनी की स्थापना 15 जुलाई 1916 को विलियम बोइंग ने की थी।

कई देशों की एयरलाइंस कंपनियां बोइंग के बनाए गए प्लेन का इस्तेमाल करती हैं। बोइंग अमेरिका की सबसे बड़ी एक्सपोर्टर कंपनी है और यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी डिफेंस डील करने वाली कंपनी भी है।

चीन ने कीमती मेटल्स की सप्लाई भी रोकी

चीन ने इस ट्रेड वॉर के बीच 7 कीमती धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल) के निर्यात पर भी रोक लगा दी है। चीन ने कार, ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक असेंबल करने के लिए जरूरी मैग्नेट यानी चुंबकों के शिपमेंट भी चीनी बंदरगाहों पर रोक दिए हैं।

ये मटेरियल ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और एयरोस्पेस बिजनेस के लिए बेहद अहम हैं। इस फैसले से दुनियाभर में मोटरव्हीकल, एयरक्राफ्ट, सेमीकंडक्टर और हथियार बनाने वाली कंपनियों पर असर पड़ेगा। ये महंगे हो जाएंगे।

चीन ने 4 अप्रैल को इन 7 कीमती धातुओं के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। आदेश के मुताबिक ये कीमती धातुएं और उनसे बने खास चुंबक सिर्फ स्पेशल परमिट के साथ ही चीन से बाहर भेजे जा सकते हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…

चीन ने कहा था- अमेरिकी टैरिफ अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हैं

11 अप्रैल को चीन ने कहा कि अमेरिका की तरफ से लगाए गए असामान्य टैरिफ अंतरराष्ट्रीय और आर्थिक व्यापार नियमों का गंभीर रूप से उल्लंघन करते हैं। यह पूरी तरह से एकतरफा दबाव और धमकाने की नीति है।

चीन ने ये भी कहा कि अमेरिका भले ही टैरिफ को और ज्यादा बढ़ा दे लेकिन अब इसका कोई मतलब नहीं होगा। आखिर में वह ग्लोबल इकोनॉमी के इतिहास में हंसी का पात्र बन जाएगा।

शी जिनपिंग बोले- चीन किसी से नहीं डरता

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका से बढ़ते टैरिफ विवाद के बीच पहली बार बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चीन किसी से डरता नहीं है। पिछले 70 साल में हुआ चीन का विकास कड़ी मेहनत और खुद पर निर्भर रहने का नतीजा है।

जिनपिंग ने कहा-

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चीन कभी दूसरों के दान के भरोसे नहीं रहा है। न ही कभी किसी की जबरदस्ती से डरा है। दुनिया कितनी भी क्यों न बदल जाए, चीन परेशान नहीं होगा।

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जिनपिंग ने कहा कि ट्रेड वॉर में कोई विजेता नहीं होता। दुनिया के खिलाफ जाने का मतलब खुद के खिलाफ जाना है। जिनपिंग ने यह बातें स्पेन के पीएम पेड्रो सांचेज से मुलाकात के दौरान कहीं। सांचेज शुक्रवार को चीन दौरे पर पहुंचे हैं।

सांचेज ट्रम्प के टैरिफ का ऐलान करने के बाद चीन जाने वाले पहले यूरोपीय नेता हैं। पिछले 2 साल में वे तीन बार चीन जा चुके हैं। टैरिफ को लेकर सांचेज ने भी ट्रम्प की आलोचना की थी।

उन्होंने 8 अप्रैल को कहा था कि ट्रम्प के टैरिफ की वजह से यूरोप नए बाजार तलाशने पर मजबूर होगा। इसके अलावा यूरोपीय देश और चीन दोनों अपने संबंधों को बेहतर करने पर विचार करेंगे।

चीन नई इंडस्ट्री व इनोवेशन बढ़ाने पर जोर दे रहा

चीन के पास अमेरिका के करीब 600 अरब पाउंड (करीब 760 अरब डॉलर) के सरकारी बॉन्ड हैं। मतलब ये कि चीन के पास अमेरिकी इकोनॉमी को प्रभावित करने की बड़ी ताकत है। वहीं, चीन ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है।

चीन ने 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लोन इंडस्ट्रियल सेक्टर को दिया है। इससे यहां फैक्ट्रियों का निर्माण और अपग्रेडेशन तेज हुआ। हुआवेई ने शंघाई में 35,000 इंजीनियरों के लिए एक रिसर्च सेंटर खोला है, जो गूगल के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर से 10 गुना बड़ा है। इससे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कैपेसिटी तेज होगी।

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डोनाल्ड ट्रम्प 2017 में पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने। ट्रम्प ने चुनाव में वादा किया था कि वो चीन के साथ व्यापार घाटा कम करेंगे। ट्रम्प ने ट्रेड वॉर की शुरुआत जनवरी 2018 में सौलर पैनल पर 30% और वॉशिंग मशीन पर 20 से 50% टैरिफ लगाकर की। इसके बाद ट्रम्प ने स्टील पर 25% और एल्यूमीनियम पर 10% टैरिफ लगाया।

ये सभी देशों पर लागू किए गए, लेकिन इनका सबसे ज्यादा असर चीन पर पड़ा। चीन इनका बड़ा आपूर्तिकर्ता था। 2018 में अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 419 अरब डॉलर हो गया। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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जैसे को तैसा… ये फॉर्मूला अपनाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। 2 अप्रैल को करीब 100 देशों पर टैरिफ लगाने के 7 दिन बाद ही उन्होंने इस फैसले पर 90 दिनों की रोक लगा दी है, लेकिन चीन पर 125% टैरिफ लगाकर तगड़ा झटका दिया है। आखिर ट्रम्प ने 7 दिनों के अंदर ही टैरिफ वापस क्यों लिया, अमेरिका के फैसले से भारत पर क्या असर पड़ेगा और 90 दिन बाद कैसे टैरिफ को दोबारा शुरू किया जाएगा। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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