अमरोहा10 मिनट पहले
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अमरोहा में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट हो गया। धमाका इतना तेज था कि फैक्ट्री की इमारत और टीनशेड पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो गए। हादसे में 5 महिलाओं की मौत हो गई है। 12 से अधिक गंभीर रूप से घायल हैं। घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां कई की हालत नाजुक बनी हुई है।
धमाके के बाद फैक्ट्री का मलबा 300 मीटर दूर तक फैल गया। हादसे के बाद चीख-पुकार और अफरातफरी मच गई। ग्रामीणों ने घटना की सूचना पुलिस को दी। जिला प्रशासन और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं और मलबे में दबे मजदूरों को बाहर निकालने का अभियान शुरू किया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है।
3 तस्वीरें देखिए….

धमाके के बाद फैक्टरी पूरी तरह ध्वस्त हो गई। चारों ओर मलबा और अधजले पटाखों की तस्वीर घटना की भयावहता बयां कर रही है।

स्थानीय प्रशासन की अधिकारी मौके पर स्थिति का जायजा लेते हुए। पीड़ितों की मदद और राहत कार्यों पर अधिकारियों ने दिए निर्देश।

विस्फोट के बाद मौके पर पहुंचे फायर ब्रिगेड के जवान। मलबे में दबे लोगों को निकालने में जुटी टीम।
बिना अनुमति चल रही थी फैक्ट्री
प्रशासनिक जांच में सामने आया है कि यह पटाखा फैक्ट्री बिना किसी वैध लाइसेंस और सुरक्षा इंतजाम के चलाई जा रही थी। अधिकारियों ने पूरे इलाके को सील कर दिया है और फैक्ट्री संचालक की तलाश की जा रही है। विस्फोट के कारणों की जांच के आदेश दिए गए हैं।
धमाके की गूंज कई किलोमीटर तक, ग्रामीणों में दहशत
धमाके की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। आसपास के गांवों में भय और दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री में पिछले कई दिनों से अवैध रूप से पटाखों का निर्माण हो रहा था। उन्होंने प्रशासन पर लापरवाही और मिलीभगत के आरोप भी लगाए हैं।

अमरोहा के अतरासी गांव में विस्फोट के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। मौके पर डीएम और एसपी पहुंच कर जांच कर रहे हैं।
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले 1 मई को रहरा क्षेत्र के भावली गांव में अवैध रूप से संचालित पटाखा फैक्ट्री में धमाका हुआ था। उसमें एक बच्चा झुलस गया था। उस समय भी स्थानीय लोगों ने अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया था। बताया गया था कि नदी किनारे स्थित एक मकान में लंबे समय से अवैध पटाखा निर्माण और पैकिंग का काम चल रहा था, जिसमें मजदूरी के लिए गांव की महिलाएं और बच्चे तक लगाए जा रहे थे।