वॉशिंगटन16 मिनट पहले
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अमेरिका का कहना है कि इन नए प्रतिबंधों की वजह से रूस को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध जारी रखने में आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। फाइल फोटो
अमेरिका और जापान ने शुक्रवार को रूस के खिलाफ एक्शन लेते हुए कई नए प्रतिबंधों का ऐलान किया। रॉयटर्स के मुताबिक अमेरिका ने रूस की 200 से ज्यादा कंपनियों और 180 से ज्यादा जहाजों पर बैन लगा दिया। अमेरिका ने दो भारतीय कंपनियां स्काईहार्ट मैनेजमेंट सर्विसेज और एविजन मैनेजमेंट सर्विसेज भी बैन लगाया है।
बाइडेन सरकार का कहना है कि इन भारतीय कंपनियों ने रूस से LNG का ट्रांसपोर्ट किया था, जो अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन है।
वही जापान ने कई रूसी नागरिकों और कंपनियों की संपत्तियों को फ्रीज कर दिया है। इस अलावा जापान ने कई ऐसे संगठनों के खिलाफ भी प्रतिबंध का ऐलान किया है, जिन्होंने पहले लगाए गए प्रतिबंधों से बचने में रूस की मदद की थी।
अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से क्रूड ऑयल की कीमतें 3% तक का बढ़ गई। शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई। इन प्रतिबंधों की वजह से अब भारत और चीन का रूस से ऑयल एक्सपोर्ट करने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
रूस की एनर्जी रिसोर्स इनकम घटाने की कोशिश
अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन का कहना है कि रूस के खिलाफ की गई यह कार्रवाई उसकी एनर्जी रिसोर्स से होने वाली इनकम को सीमित कर देगी। इससे रूस को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध जारी रखने में आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
जापान ने नॉर्थ कोरिया और जॉर्जिया के बैंक पर भी लगाए बैन
जापान सरकार ने बयान जारी कर कहा कि शुक्रवार को 11 व्यक्तियों, 29 संगठनों और रूस के 3 बैंकों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके अलावा रूस की मदद करने की वजह से नॉर्थ कोरिया और जॉर्जिया के एक बैंक के खिलाफ भी एक्शन लिया गया है।
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने कहा कि यह प्रतिबंध यूक्रेन के लिए हमारी मदद की प्रतिबद्धता दिखाते हैं।
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने बताया कि जापान ने रूस के साथ साथ नॉर्थ कोरिया और जॉर्जिया के एक बैंक पर प्रतिबंध लगाया गया है।
रूस बोला- ट्रम्प के लिए हालात मुश्किल बना रहे बाइडेन
अमेरिकी प्रतिबंधों की घोषणा से कुछ देर पहले ही क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति ऑफिस) के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन आने वाली ट्रम्प गवर्नमेंट के लिए चीजों को मुश्किल बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है।
पेसकोव ने कहा-
हम जानते हैं कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन जाते जाते ट्रम्प के लिए एक मुश्किल विरासत छोड़ने की कोशिश करेगा।
60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे जा सकती है रूसी तेल की कीमत
2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद भारत और चीन रूसी क्रूड ऑयल के सबसे बड़े आयातक बन गए हैं। रॉयटर्स के मुताबिक, भारतीय रिफाइनरीज रूस के प्रतिबंधित जहाजों का इस्तेमाल करने से बचेंगे, जिससे रूसी तेल की कीमतों में और गिरावट आने की संभावना है।
एक भारतीय रिफाइनिंग सोर्स ने रॉयटर्स को बताया कि नए प्रतिबंधों के कारण रूसी तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे जा सकती हैं। रूस वैश्विक तेल उत्पादन में 10% की हिस्सेदारी रखता है।
प्रतिबंधों का सफल होने के लिए, टिकाऊ होना जरूरी
अमेरिका के इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स के डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर दलीप सिंह ने कहा कि कुछ लोग पूछेंगे कि हमने रूसी ऑयल पर प्रतिबंध लगाने के लिए इस सरकार के अंत का इंतजार क्यों किया? इसका जवाब है कि प्रतिबंधों के सफल होने के लिए, उन्हें टिकाऊ होना चाहिए।
इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें कॉस्ट फ्री होना चाहिए। प्रतिबंध कभी भी कॉस्ट फ्री नहीं होते, लेकिन उनके सफल होने के लिए जरूरी है कि वो अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की जगह उस लक्ष्य पर कायम रहें, जिस वजह से उन्हें लगाया गया है।
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