नई दिल्ली2 मिनट पहले
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अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अगले हफ्ते 21 से 24 अप्रैल के बीच अपनी पत्नी उषा वेंस के साथ भारत आ सकते हैं। इस दौरान वो PM मोदी और अन्य सीनियर अधिकारियों के साथ मुलाकात करेंगे। इसके अलावा बेंस जयपुर और आगरा भी जाएंगे।
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) माइक वाल्ट्ज के भी भारत आ सकते हैं। उपराष्ट्रपति बनने के बाद जेडी वेंस और उषा वेंस की यह पहली भारत यात्रा होगी।
वेंस की यह भारत यात्रा ऐसे समय पर हो रही है, जब अमेरिकी और चीन दोनों ट्रेड वॉर में उलझे हुए हैं। वहीं भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है।
भारत और अमेरिका ने फरवरी में व्यापार समझौते के पहले चरण पर काम करने पर सहमति जाहिर की थी, जो इस साल के आखिर तक पूरा हो जाएगा। इसका मकसद 2030 तक आपसी व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है।
भारत के लिए बन सकते हैं कई बड़े मौके चीन और अमेरिकी के बीच जारी तनातनी के बीच जेडी वेंस की यात्रा भारत के लिए कई मौके तैयार कर सकती है। पिछली बार जब 2018 में ट्रम्प प्रशासन ने चीन के खिलाफ टैरिफ वॉर छेड़ा था, तब भारत को उम्मीद थी कि चीन से निकलकर कंपनियां उसकी ओर रुख करेंगी। लेकिन ऐसा बड़े पैमाने पर नहीं हुआ। अब 2024-25 में हालात दोबारा वैसे ही बनते दिख रहे हैं।
इकोनॉमिक्स टाइम्स की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में जापान, अमेरिका और यूरोपीय कंपनियां चीन छोड़ना चाहती थीं, लेकिन भारत की नीतिगत सुस्ती, लेबर लॉ की जटिलता और कमजोर लॉजिस्टिक्स की वजह से इन कंपनियों ने वियतनाम और बांग्लादेश का रुख किया।
हालांकि, इस बार यह स्थिति बदल सकती है। ब्लूमबर्ग की 2024 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने PLI स्कीम, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, सिंगल विंडो क्लियरेंस जैसे सुधार लागू किए हैं। इससे अमेरिकी या दूसरे देशों की कंपनियों को पहले की तुलना में भारत आने के लिए थोड़ी आसानी हो सकती है।
2018 में चीन ने अमेरिका से सोयाबीन, गेहूं और कॉटन के आयात पर टैरिफ लगाए, लेकिन भारत गुणवत्ता और वॉल्यूम के मामले में मुकाबले में नहीं उतर पाया। इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक भारत ने इस बार ग्लोबल GAP जैसी गुणवत्ता मानकों को अपनाया हैं। निर्यात में वृद्धि के लिए फूड प्रोसेसिंग पर जोर दिया जा रहा है।