मिलनसार, हंसमुख और हर मोर्चे पर आगे आकर जिम्मेदारी निभाने वाले शहीद एएसपी आकाश राव गिरिपुंजे की अंतिम यात्रा में मंगलवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा।
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परिजनों के अलावा बचपन के दोस्त, कॉलेज के साथी, बैचमेट, विभाग के आला अधिकारी, जनप्रतिनिधि हर कोई आकाश के अंतिम सफर में शामिल हुए। हर किसी की आंखें नम थी। आकाश की अंतिम यात्रा जिस इलाके या सड़क से गुजरी। वहां पथ पर फूल बिछाए गए। रास्ते में लोगों ने फूलांे की बारिश की। जगह-जगह लोगों रोककर अंतिम दर्शन किया। अंतिम विदाई में हर किसी की आंखें भर आई थी।
हर किसी की जुबां में एक ही बात हंसमुख और मिलनसार था आकाश…। आकाश को अंतिम समय में भी परिवार की चिंता था। दोनों पैर ब्लास्ट में उड़ गए थे। उन्हें शायद अहसास हो गया था कि यह अंतिम समय है। उसी समय गनमैन को बुलाया और पत्नी स्नेहा को फोन लगाने कहा। पत्नी से आखिरी बार बात करते कहा कि अपना ध्यान रखना। बीमा के लिए साहू से बात कर लेना।
इतना कहकर फोन काट दिया। उसके बाद हमेशा के लिए आंख बंद कर ली। स्नेहा को भी पता नहीं था कि साहेब (आकाश) ने ऐसा क्यों कहा। स्नेहा बेटा सिद्धांत (7 साल) और बेटी नव्या (6 साल) के साथ महाराष्ट्र मायके गई थी। नव्या के जन्मदिन पर 11 जून को सभी रायपुर आने वाले थे। परिवार में इसकी तैयारी भी चल रही थी।
शहीद की पत्नी को डिप्टी कलेक्टर बनाने की मांग पुलिस राजपत्रित संघ ने उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा से मुलाकात कर शहीद आकाश की पत्नी स्नेहा को डिप्टी कलेक्टर बनाने की मांग की है। ताकि दोनों बच्चे का पालन-पोषण और पढ़ाई में कोई दिक्कत न आए। उप मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि पत्नी को अनुकंपा दी जाएगी।