Wednesday, June 18, 2025
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असद को भगाने वाले लड़ाके सेना में भर्ती होंगे: विद्रोही लीडर जुलानी बोले- इन्हें ट्रेनिंग देंगे, आतंकी संगठन HTS पर लगा बैन हटाने की मांग


दमिश्क3 मिनट पहले

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8 दिसंबर को दमिश्क की उमय्यद मस्जिद में भाषण देता HTS चीफ जुलानी। - Dainik Bhaskar

8 दिसंबर को दमिश्क की उमय्यद मस्जिद में भाषण देता HTS चीफ जुलानी।

सीरिया में विद्रोही गुट HTS (हयात तहरीर अल-शाम) के नेता अबु जुलानी ने कहा कि वे संगठन से जुड़े लड़ाकों को सेना में भर्ती कराएंगे। इसके लिए लड़ाकों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

HTS सीरिया में सुन्नी लड़ाकों का एक गुट है जिसने 8 दिसंबर को राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद राष्ट्रपति असद को देश छोड़कर रूस भागना पड़ा था।

मॉस्को टाइम्स के मुताबिक अबु जुलानी ने कहा कि हम सीरिया के सभी अल्पसंख्यक लोगों से कहना चाहते हैं कि हमारे लड़ाके कानून का पालन करते हुए आम लोगों की रक्षा करेंगे।

जुलानी ने अल्पसंख्यकों को यकीन दिलाया कि देश में उनके हितों की रक्षा की जाएगी। उन्होंने देश के लोगों को एकजुट रहने की अपील की। जुलानी ने कहा कि सीरिया के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटा दिया जाना चाहिए ताकि दूसरे देशों में रह रहे शरणार्थी वापस घर लौट सकें।

सीरिया में असद सरकार के पतन के बाद दमिश्क की एक मस्जिद में लोगों को संबोधित करता विद्रोही गुट HTS का नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी

सीरिया में असद सरकार के पतन के बाद दमिश्क की एक मस्जिद में लोगों को संबोधित करता विद्रोही गुट HTS का नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी

HTS पर से बैन हटा सकता है ब्रिटेन

अबु जुलानी ने ब्रिटेन के साथ संबंध सुधारने की बात कही। BBC के मुताबिक ब्रिटिश राजनयिकों और HTS से जुड़े नेताओं के बीच सोमवार को बातचीत हुई है।

दरअसल, पिछले हफ्ते ब्रिटिश सरकार ने कहा कि वे HTS पर लगे आतंकवादी संगठन का दर्जा हटाने पर विचार कर रहे हैं। ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने भी इसे लेकर कहा था कि HTS को लेकर बहुत जल्दबाजी में फैसला लिया गया।

ब्रिटेन ने साल 2017 में HTS पर बैन लगा दिया था। अमेरिका ने इसके एक साल बाद इस पर बैन लगाया। HTS को आतंकी संगठन अल कायदा का पूर्व सहयोगी माना जाता है। हालांकि HTS यह दावा कर चुका है कि उसका इससे कोई संबंध नहीं है।

HTS पर अभी भी मानवाधिकारों के हनन का आरोप लग चुका है, जिसमें ईशनिंदा और व्यभिचार के लिए फांसी की सजा देने का आरोप है।

जुलानी ने कैसे किया तख्तापलट

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2016 में जब सीरिया का गृह युद्ध थमा तब से जुलानी अपनी लड़ाकों को मजबूत करने में जुट गया। चीन के उईगर मुसलमानों से लेकर अरब और सेंट्रल एशिया से लोगों की मदद से उसने अपनी फौज तैयार की।

उसने सही समय का इंतजार किया, जो इजराइल-हमास जंग और रूस-यूक्रेन जंग की वजह से आया। 2022 में यूक्रेन में जंग शुरू हो गई और रूस वहां व्यस्त हो गया। इसके चलते रूस ने अपने सैनिकों को सीरिया से निकाल लिया।

फिर 2023 में इजराइल और हमास के बीच जंग शुरू हुई। नतीजा ये हुआ कि ईरान और हिजबुल्लाह जो सीरिया में असद की मदद कर रहे थे वे अब उन पर ध्यान नहीं दे पाए। हसन नसरल्लाह की मौत के बाद हिजबुल्लाह कमजोर हो गया। इसी का फायदा उठाकर जुलानी ने सीरियाई सेना पर हल्ला बोल दिया और 11 दिन में राष्ट्रपति का तख्तापलट कर दिया।

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27 नवंबर को जब सीरिया के विद्रोहियों ने वहां के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर हमला किया तो शायद ही असद ने सोचा होगा कि उनके शासन की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।

एक-एक कर 11 दिन के भीतर सीरिया में असद परिवार को सत्ता से बेदखल करने के पीछे 42 साल का सुन्नी नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी है, जो दुनिया के सबसे क्रूर आतंकियों में से एक अबू बकर अल बगदादी का लेफ्टिनेंट रह चुका है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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