माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य पदयात्रा भी करेंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन की सहयोगी पार्टी भाकपा माले वोट बैंक को मजबूत करने में जुट गई है। रविवार को माले की ओर से आईएमए हॉल में ‘बदलो बिहार महाजुटान’ का आयोजन किया गया। खास बात यह कि स्कीम वर्करों को एकजुट करने की कोशिश की गई।
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माले 10 लाख स्कीम वर्कर के जरिए विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत बढ़ाने में लगी है। 9 मार्च को पटना के गांधी मैदान में ‘ बदलो बिहार महाजुटान’ में बड़ी संख्या में लोगों को जुटाने की तैयारी है। अलग-अलग संगठनों से कहा गया है कि इसमें अपने-अपने बैनर के साथ आएं और ताकत दिखाएं।
माले एमएलसी शशि यादव कहा कि प्रमंडल स्तर पर बिहार में इस तरह का आयोजन किया जा रहा है। माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य पदयात्रा भी करेंगे। ऐसा माहौल इसलिए बनाया जा रहा है कि हिंदू-मुस्लिम के एजेंडे पर चुनाव की जगह आम लोगों के मुद्दे हावी हो। पुरानी पेंशन स्कीम भी लागू करने की हमारी मांग है। हम चाहते हैं कि पार्टियां चुनावी घोषणा-पत्र में इन आंदोलनकारियों की मांग को शामिल करें।
महागठबंधन पूरी तरह से एकजुट है
चुनाव से पहले महागठबंधन की साथी पार्टियों को माले अपनी ताकत दिखा रही है, ताकि चुनाव में अधिक सीटें हासिल कर सकें। इस सवाल पर शशि यादव ने कहा कि महागठबंधन एकजुट है। आपस में ताकत दिखाने की बात नहीं है। हमलोग एकजुट होकर एनडीए को अपनी ताकत दिखाएंगे। माले की ताकत लगातार बढ़ रही है। जो भी लड़ने वाली ताकतें हैं वह सरकार के खिलाफ माले के साथ आ रही हैं।
आंदोलनकारियों को नजरबंद किया जा रहा है
माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य कहते हैं कि नीतीश कुमार प्रगति यात्रा पर निकले हैं लेकिन यह यात्रा दबंग यात्रा है। नीतीश कुमार जहां जा रहे हैं वहां आंदोलनकारी संगठनों के जुड़े लोगों को थाना में रोक कर रखा जा रहा है और घरों में नजरबंद किया जा रहा है। लग ही नहीं रहा कि मुख्यमंत्री निकले हैं बल्कि लग रहा कि राजा निकले हुए हैं।
आंदोलन से वोट बैंक बढ़ाने की रणनीति
पार्टी के नेताओं की मानें तो माले की रणनीति संघर्ष के साथ राजनीति में पकड़ बढ़ाने की है। यही वजह है कि महागठबंधन सरकार माले मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुई। विधान सभा सत्र के दौरान भी माले को अपनी ही सरकार को घेरते देखा गया।
माले 2020 में 19 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इसमें से 12 पर जीत हासिल की थी। अगिआंव उपचुनाव में फिर से माले की जीत हुई। हालांकि तरारी सीट पर हुए उपचुनाव में माले के राजू यादव सीट नहीं बचा सके। इस बार के विधानसभा चुनाव में माले की तैयारी 25-30 सीटों पर की है। गांधी मैदान की ‘बदलो बिहार महाजुटान’ रैली में 9 मार्च को माले पूरी ताकत दिखाने की कोशिश करेगी। पार्टी की रणनीति आंदोलन से वोट बैंक बढ़ाने की है।