आगरा कोठी में स्मारक बनाएंगे, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज को कैद रखा था। महाराष्ट्र सरकार इस जमीन का अधिग्रहण करेगी। मैं खुद योगी आदित्यनाथ से बात करुंगा। देवेंद्र फडणवीस, CM महाराष्ट्र, 19 फरवरी, 2025
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प्रमुख सचिव (पर्यटन) मुकेश मेश्राम आगरा की मीना कोठी बाजार के डॉक्यूमेंट जल्द तैयार कर लें। वर्तमान स्टेटस रिपोर्ट मुझे भेज दें। योगी आदित्यनाथ, CM यूपी, 12 मार्च, 2025
यह दो बयान आगरा की कोठी मीना बाजार पर गरमाती यूपी की सियासत को बताते हैं। महाराष्ट्र CM के ऐलान के बाद लखनऊ में टूरिज्म डिपार्टमेंट ने ब्लू प्रिंट बनाना शुरू कर दिया है। टीले पर बनी कोठी मीना बाजार के लिए महाराष्ट्र सरकार ने बजट का आवंटन भी कर दिया है।
तैयारी है कि महाराष्ट्र से लेकर यूपी तक शिवाजी का यह म्युजियम हिंदुत्व का सिंबल बने। इसका असर 2027 के विधानसभा चुनाव में भी दिखेगा। यही वजह है कि CM योगी भी भाषणों से पहले जय शिवाजी कहने लगे हैं।
आगरा कोठी मीना बाजार बनने की कहानी क्या है, शिवाजी से जुड़ी कहानी, क्या यहां म्युजियम बन सकता है? पढ़िए रिपोर्ट…
पहले कोठी को जानिए…
टीले पर है कोठी, 3 परिवार रहते हैं… आगरा के शाहगंज इलाका में कोठी मीना बाजार का मैदान है। यहां बड़ी राजनीतिक रैलियां होती हैं। इसके एक तरफ टीले पर कोठी मीना बाजार बनी हुई है। दैनिक भास्कर टीम इस मैदान में पहुंची। इस कोठी तक जाने के लिए झाड़ियों के बीच से गुजरती संकरी सड़क पर करीब 50 मीटर चलना पड़ा। हमारे सामने 20 फीट ऊंची सिंगल स्टोरी भव्य बिल्डिंग दिखी।
बरामदे में ब्रिटिश काल के लकड़ी के फ्रेम लगे हुए हैं। इस टीले से दूर तक शहर का नजारा दिख रहा था। बिल्डिंग के दोनों कोनों पर 3 परिवार केयर टेकर के रूप में रहते हैं। इन्हीं में एक हरिओम शर्मा का परिवार है। यही लोग पूरी बिल्डिंग की देखभाल 30 साल से करते आ रहे हैं। 2 अन्य परिवार बिल्डिंग की साफ-सफाई देखते हैं।

यह कोठी मीना बाजार की तस्वीर है। यहां कम ही लोग आते-जाते हैं।
कोठी पर लिखा- राजा जय किशन दास भवन बरामदे के बीच वाले हॉल के गेट के ऊपर लिखा है-राजा जयकिशन दास भवन। कोठी मीना बाजार में 14 बड़े-बड़े हॉल हैं। इनमें से 1-2 खुले हुए हैं, बाकी पर ताला लगा हुआ है। जो कि कभी-कभी साफ-सफाई के लिए ही खुलता है। ये हॉल खाली हैं। इनमें कोई सामान नहीं है। कोठी के चारों ओर पाथ वे है।

बिल्डिंग के अंदर बरामदे में कोठी मीना बाजार का इतिहास लिखा हुआ है।
मीना कोठी किसकी है, कैसे मालिक बदले, ये जानिए…
1803 तक अंग्रेजों के कब्जे में रही कोठी डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर सुगम आनंद कहते हैं- कोठी मीना बाजार के टीले पर बना मकान वर्ष 1803 में अंग्रेजों के कब्जे में आया। पुराने जर्जर भवन को तोड़कर वर्ष 1837 में नई कोठी बनाई गई, जिसे गर्वनर हाउस कहा गया। यहां तत्कालीन गर्वनर जनरल का आवास बना। 1857 तक यह अंग्रेजों की संपत्ति रही।
तब यूपी की राजधानी आगरा थी। 1857 की क्रांति के बाद यूपी की राजधानी इलाहाबाद बना दी गई। इसके बाद यह कोठी नीलाम हो गई। जिसे राजा जय किशन दास ने खरीदा। अब यह संपत्ति पाठक वृंदावन चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम है।
मीना कोठी और छत्रपति शिवाजी से जुड़ा इतिहास जानिए…
औरंगजेब ने मीना कोठी में कैद रखा प्रो. सुगम ने बताया- छत्रपति शिवाजी महाराज अपने बेटे संभाजी के साथ 12 मई, 1666 को आगरा पहुंचे थे। मुगल बादशाह औरंगजेब शिवाजी महाराज के पराक्रम से परेशान था, इसीलिए उसने उनसे संधि करने की योजना बनाई। शिवाजी महाराज ने भरे दरबार में अपनी नाराजगी जाहिर की। औरंगजेब के सैनिकों ने छल से शिवाजी महाराज और उनके बेटे संभाजी को बंदी बना लिया था।
इतिहास संकलन समिति ने शिवाजी से जुड़ी इस कहानी पर रिसर्च किया। दावा किया कि औरंगजेब ने 12 मई, 1666 को शिवाजी महाराज को राजा जयसिंह के बेटे राम सिंह की छावनी के पास सिद्धी फौलाद खां की निगरानी में नजरबंद करने का आदेश किया था। 16 मई, 1666 को शिवाजी महाराज को रदंदाज खां के मकान पर ले जाने का आदेश हुआ।
राम सिंह की छावनी के पास स्थित फिदाई हुसैन की शहर के बाहर टीले पर स्थित हवेली में शिवाजी को रखा गया। राम सिंह की हवेली कोठी मीना बाजार के नजदीक थी। यह जगह अभिलेखों में आज भी कटरा सवाई राजा जयसिंह के नाम से दर्ज है। यही कोठी मीना बाजार है।

शिवाजी का स्मारक क्यों बनाना चाहती है महाराष्ट्र सरकार
यूपी में शिवाजी के म्यूजियम के जरिए BJP देगी संदेश महाराष्ट्र की सियासत में BJP और शिवसेना अलग-अलग छोर पर खड़े हैं। उद्धव गुट के लोग मराठा नेता हैं। लोगों के सेंटिमेंट शिवाजी से जुड़े हुए हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि महाराष्ट्र के CM देवेंद्र फडणवीस उत्तर प्रदेश में शिवाजी म्यूजियम के जरिए सियासी संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं। शिवाजी से जुड़े इतिहास की वजह से कोठी मीना बाजार को म्यूजियम में बदलने की तैयारी है।
अगर यहां म्यूजियम बनता है तो महाराष्ट्र की सरकार हिंदुत्व का संदेश देने में कामयाब दिखेगी। फायदा यूपी में योगी सरकार को भी 2027 के चुनाव में होगा। यही वजह है कि इन दिनों यूपी में होने वाली सियासी रैलियों में शिवाजी महाराज की जय के नारे लगने लगे हैं।

19 फरवरी, 2025 को महाराष्ट्र के CM देवेंद्र फडणवीस आगरा आए थे, उसी वक्त शिवाजी म्युजियम बनाने का ऐलान हुआ।
हरिओम ने कहा- लोग जूते उतारकर अंदर आते हैं मीना कोठी के केयर टेकर हरिओम शर्मा का कहना है- पिछले 3 साल से इस जगह को इंटरनेट मीडिया पर शिवाजी महाराज से जोड़कर प्रचारित किया गया है। इसका असर ये है कि महाराष्ट्र के बहुत से टूरिस्ट इस जगह को तलाशते हुए यहां पहुंचते हैं। वे इस जगह को देखना चाहते हैं, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज को नजरबंद किया गया। कुछ टूरिस्ट तो चप्पल-जूते उतारकर बरामदे में कदम रखते हैं।
वह कहते हैं- कोठी मीना बाजार देखने के लिए जो भी टूरिस्ट आते हैं। उन्हें हम पुराने इतिहास से जुड़ी कहानियां बताते हैं। यह प्राइवेट ट्रस्ट की प्रॉपर्टी है, इसलिए यहां घूमने की अनुमति नहीं है।

छावा मूवी रिलीज के बाद उठने लगी औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर 19 फरवरी को विक्की कौशल भी आगरा पहुंचे थे। हाल में उनकी फिल्म छावा रिलीज हुई है। ‘छावा’ की कहानी छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति संभाजी महाराज पर बनी है। मूवी में विकी ने संभाजी का रोल प्ले किया है। इसके बाद एक बार फिर शिवाजी पर हुए अत्याचार की चर्चा शुरू हो गई है। महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग उठने लगी है।
आगरा में पिछले 3 साल से आगरा किला में शिवाजी जयंती पर कार्यक्रम आयोजित करा रही संस्था अजिंक्य देवगिरी प्रतिष्ठान भी महाराष्ट्र की है। उनके सदस्य 20 फरवरी को कोठी मीना बाजार पहुंचे। उन्होंने यहां इस कोठी के केयर टेकर हरिओम शर्मा से काफी देर तक बातचीत की।

AU के प्रोफेसर बोले- इतिहास से मेल खाती है मीना कोठी मीना कोठी को लेकर डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर सुगम आनंद कहते हैं- शिवाजी महाराज को फिदाई हुसैन की हवेली में कैद किया गया था। जोकि आगरा के बाहर टीले पर एक हवेली है, जो राम सिंह की छावनी के पास भी थी और शिवाजी के बंदीगृह के भौगोलिक विवरण से मेल खाती है।
फिदाई हुसैन का मकान यानि कोठी मीना बाजार के टीले पर बना मकान सन 1803 में अंग्रेजों के कब्जे में आया और पुराने जर्जर मकान को तोड़कर नई कोठी बनाई गई। जिसे गवर्नर हाउस कहा गया। सन 1857 तक यह स्थान अंग्रेजों की संपत्ति रहा। अब यूपी सरकार इस जगह को लेकर बदलाव करने की तैयारी में है। जल्द कुछ बदलाव दिखने लगेंगे।
हालांकि इससे पहले UP सरकार में कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय इस जगह को स्मारक बनाए जाने का प्रस्ताव रख चुके हैं। वे लगभग 3 साल से इसके लिए प्रयास कर रहे हैं।
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