उमरिया जिले में स्थित आदिवासी बहुल गांव महोबा दादर आज भी बिजली की रोशनी से वंचित है। पहाड़ी क्षेत्र में बसे इस गांव के लोग अभी भी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं।
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गांव की महिला केतकी बाई ने बताया कि वे पानी के लिए हैंडपंप और कुओं का सहारा लेते हैं। बिजली की कमी से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हो रही है। रोजमर्रा के कामों में भी लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
गांव के हैंडपंप जो सूख चुके हैं।
गांववासी छोटे सिंह ने कहा कि बिजली न होने से वे देश-दुनिया की जानकारी से भी दूर हैं। बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। शाम होते ही अंधेरे के कारण घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। आधुनिक युग में बिजली के बिना जीवन जीना उनके लिए बड़ी चुनौती बन गया है।

सोलर पैनल भी खबर हो गए हैं।
बिजली विभाग के अधिकारी अभिषेक कुमार ने बताया कि 2017 में सोलर पैनल से बिजली की आपूर्ति का प्रयास विफल रहा। अब विभाग ने 2025 तक बिजली पहुंचाने की नई योजना बनाई है। ग्राम पंचायत बिछिया के चार मोहल्लों में रहने वाले 220 परिवारों की पहचान कर ली गई है।