कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर का दोषी संजय रॉय ही है। 18 जनवरी को सियालदाह कोर्ट के स्पेशल जज अनिर्बान दास ने कहा कि CBI ने बलात्कार के जो सबूत पेश किए हैं, उससे अपराध साबित होता है। CBI ने संजय के लिए फांसी की मांग की
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ट्रेनी डॉक्टर के गुनहगार को फांसी मिलेगी या नहीं, बाकी आरोपियों का क्या हुआ, गैंगरेप जैसी थ्योरीज का क्या हुआ; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: सियालदह कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया और इसका आधार क्या है? जवाब: संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता यानी BNS की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दोषी ठहराया गया है। इन धाराओं के तहत अधिकतम मौत की सजा और कम से कम उम्रकैद हो सकती है।
CBI की चार्जशीट में 100 गवाहों के बयान, 12 पॉलीग्राफ टेस्ट रिपोर्ट, CCTV फुटेज, फोरेंसिक रिपोर्ट, मोबाइल की कॉल डिटेल और लोकेशन शामिल रहीं। सियालदह कोर्ट ने संजय रॉय के खिलाफ मिले 4 सबूतों के तहत फैसला सुनाया…
- CCTV कैमरों में संजय रॉय को उस कमरे में जाते देखा गया, जहां ट्रेनी डॉक्टर का शव पाया गया।
- ट्रेनी डॉक्टर के शव के पास से एक ब्लूटूथ डिवाइस मिला, जो संजय के मोबाइल से कनेक्ट हो गया।
- महिला के शरीर से मिले सीमन के सैंपल और DNA के नमूने संजय से मैच हो गए।
- क्राइम सीन पर मिले छोटे बाल भी फोरेंसिक जांच के बाद आरोपी के बालों से मैच हुए।
फैसला आने से पहले सियालदह कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस तैनात रही।
10 अगस्त को संजय ने गिरफ्तारी के बाद अपना जुर्म कबूला था। लेकिन बाद में वे अपने बयान से मुकर गया। 18 जनवरी को सुनवाई के दौरान संजय ने जज से कहा, ‘मुझे झूठा फंसाया गया है। मैंने ऐसा नहीं किया है। जिन्होंने ऐसा किया है, उन्हें छोड़ दिया जा रहा।’
सवाल-2: कोलकता रेप-मर्डर में गैंगरेप की थ्योरी का क्या हुआ? जवाबः सरकारी अस्पताल और कोलकाता पुलिस ने इस अपराध को आत्महत्या के रूप में पेश करने की कोशिश की, जिससे देश भर के लोगों के मन में संदेह के बीज बो दिए गए कि अपराध को छिपाने की कोशिश की जा रही है। यहीं से तरह-तरह की झूठी बातें फैलने लगीं, उनमें से एक गैंगरेप की थ्योरी थी।
किसी डॉक्टर ने मीडिया में बाइट दी थी कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट से 151 मिलीग्राम सफेद तरल पदार्थ मिला है। इसके बाद फर्जी अनुमान लगाए गए कि एक पुरुष औसतन एक बार में 5 मिलीग्राम वीर्य ही स्खलित कर सकता है। इसलिए बलात्कार में कई लोग शामिल रहे होंगे।
CBI ने 7 अक्टूबर को हाईकोर्ट में चार्जशीट दायर की, जिसमें संजय को रेप-मर्डर का एकमात्र आरोपी बताया था। एजेंसी ने बताया कि ट्रेनी डॉक्टर का गैंगरेप नहीं हुआ था। फोरेंसिक जांच में भी गैंगरेप की पुष्टि नहीं हुई थी।
हॉस्पिटल में लगे CCTV कैमरे में संजय रॉय 9 अगस्त की सुबह 4:03 मिनट पर वार्ड में आता दिखा था। उसने टी-शर्ट और जींस पहनी थी। बाएं हाथ में हेलमेट पकड़ा था।
सवाल-3: पीड़िता के शरीर पर फैक्चर वाली थ्योरी का क्या हुआ? जवाबः सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दावा किया गया कि जूनियर डॉक्टर के शरीर में पेल्विक गर्डल, ह्योइड हड्डी और कॉलरबोन में कई फ्रैक्चर थे। इससे गैंगरेप होने की बातें सामने आने लगीं और यह कहा गया कि हमलावरों ने अपराध करते समय महिला के पैर फैला दिए थे। जिस वजह से महिला की पेल्विक हड्डी टूट गई।
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया क्योंकि रिपोर्ट में डॉक्टर ने लिखा- NIL यानी कोई फ्रैक्चर नहीं है। रिपोर्ट में इस बात का साफतौर पर जिक्र किया गया कि पीड़ित के शरीर की कोई भी हड्डी फ्रैक्चर या डिस्लोकेट नहीं थी।
कोलकाता में अलग-अलग मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने रैली निकाली थी।
सवाल-4: कोलकाता रेप-मर्डर में पिछले महीने आई फोरेंसिक रिपोर्ट से केस में क्या ट्विस्ट आया? जवाबः सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (CFSL) की एक रिपोर्ट में कई सनसनीखेज खुलासे हैं। 12 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेमिनार रूम में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे पता चले कि वहां पीड़ित से रेप के बाद हत्या की गई है।
रिपोर्ट के 12वें पेज की आखिरी लाइनों में लिखा है- जिस जगह ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था, वहां संघर्ष का कोई सबूत नहीं मिला। जिस गद्दे पर शव था, उस पर भी किसी तरह की हाथापाई के निशान नहीं मिले हैं।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज, जहां जूनियर डॉक्टर महिला के साथ रेप और मर्डर हुआ था।
इससे अब ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर कहीं और हुआ था। गद्दे पर सिर और पेट के नीचे ही खून के निशान मिले थे, इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि शव कहीं और से लाया गया था।
सवाल-5: संजय रॉय को फांसी मिलेगी या कोई और सजा? जवाबः सुप्रीम कोर्ट के वकील और Rape Laws & Death Penalty किताब के लेखक विराग गुप्ता के मुताबिक, ‘ये पूरा मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर है। कायदे से दोषी को फांसी की सजा होनी चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है कि मीडिया ट्रॉयल के बेस पर किसी को फांसी की सजा नहीं दी जा सकती। इस केस में मीडिया ट्रॉयल जमकर हुआ। जांच में भी कई तरह के विरोधाभास दिखाए दिए। इससे अभियोजन पक्ष का दावा कमजोर हो सकता है।’
आरोपी संजय सिविक वॉलंटियर था। उसे पुलिस ने 10 अगस्त को गिरफ्तार किया था। तस्वीर उसी दिन की है।
सवाल-6: CBI की जांच पर क्या सवाल उठ रहे हैं? जवाब: पीड़िता डॉक्टर के माता-पिता फैसले से पहले कोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने पत्रकारों से कहा,
हमें हाल ही में कोर्ट में जो कार्यवाही हुई है, उसके बारे में नहीं पता है। सीबीआई ने हमें कभी नहीं बुलाया। वह एक-दो बार हमारे घर आए, लेकिन हमने जब भी उनसे जांच के बारे में पूछा तो यही कहा कि जांच जारी है।
उन्होंने जांच पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, ‘मेरी बेटी की गर्दन पर काटने के निशान थे, लेकिन वहां से जांच के लिए नमूना नहीं लिया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई ठोस सबूत नहीं मिला। सीबीआई ज्यादा कोशिश नहीं कर रही है। इसमें कोई न कोई शामिल है। DNA रिपोर्ट में देखा जा सकता है कि मौके पर 4 पुरुष और 2 महिलाएं थीं। हम चाहते हैं कि इसमें शामिल सभी लोगों को सजा मिले।’
इससे पहले 19 दिसंबर को पीड़िता के माता-पिता ने कोलकाता हाई कोर्ट से मामले की नए सिरे से जांच करने की मांग की थी। 24 दिसंबर को जस्टिस तीर्थंकर घोष ने मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था। उनका कहा था कि मामला पहले से हाई कोर्ट की बेंच और सुप्रीम कोर्ट के पास है। उन्होंने पीड़िता के वकील से सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी लेने को कहा था।
सवाल-7: कोलकाता रेप और मर्डर मामले में बाकी सह-आरोपियों का क्या हुआ? जवाब: इस मामले में 7 अक्टूबर को CBI ने सिर्फ संजय रॉय को ही आरोपी बनाया था। हालांकि संजय रॉय के अलावा आरजी कर अस्पताल के तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष और थाने के SHO अभिजीत मंडल पर भी सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगा था। अभिजीत मंडल पर मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी का भी आरोप था। साथ ही सीबीआई और ईडी ने संदीप घोष पर अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ी के आरोप में भी जांच शुरू कर दी थी।
- 25 अगस्त को CBI ने संदीप घोष सहित 13 अन्य लोगों के घर पर छापा मारा। 2 सितंबर को सीबीआई ने संदीप घोष, उनके सिक्योरिटी इंचार्ज अफसर अली और अस्पताल में सामान बेचने वाले वेंडर्स बिप्लव सिंघा और सुमन हजार को गिरफ्तार किया करके 8 दिन की न्यायिक हिरासत में लिया।
- 14 सितंबर को CBI ने कोलकाता पुलिस ने SHO अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया।
- 14 दिसंबर को सियालदह कोर्ट ने मामले में सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में संदीप घोष और अभिजीत मंडल को दो-दो हजार रुपए के बांड पर जमानत दे दी, क्योंकि सीबीआई 90 दिन की समयसीमा के अंदर इन दोनों के खिलाफ चार्जशीट नहीं दाखिल कर सकी थी। हालांकि संदीप घोष जेल से रिहा नहीं हुए, क्योंकि उन पर अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ी के आरोप चल रहे हैं।
- इस पूरे मामले में संजय रॉय के अलावा, संदीप घोष, अस्पताल के चार कर्मचारियों और कोलकाता पुलिस के एक ASI अनूप दत्ता का पॉलीग्राफ टेस्ट हुआ था। अनूप दत्ता कथित रूप से संजय रॉय के करीबी थे। हालांकि इन पर मामला नहीं चलाया गया था।
18 जनवरी को सुनवाई के दौरान संजय ने जस्टिस दास से पूछा कि मुझे फंसाने वाले अन्य लोगों को क्यों छोड़ा जा रहा है। तो इसके जज ने जवाब देते हुए कहा, ‘मैंने सभी सबूतों की बारीकी से जांच की है और गवाहों को सुना है। मुकदमे के दौरान दलीलें भी सुनी हैं। इन सबसे गुजरने के बाद मैंने तुम्हें दोषी पाया है। तुम्हें सजा मिलनी ही चाहिए।’
सवाल-8: तो फिर इस रेप-मर्डर केस में आगे क्या होगा? जवाबः सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील आशीष पांडेय कहते हैं कि फांसी की सजा मिलने पर इसके कंफर्मेशन के लिए एक रेफेरेंस हाई कोर्ट भेजता जाता है। हाई कोर्ट इस सजा को कन्फर्म कर सकता है या सजा पर दोबारा विचार भी कर सकता है। अगर हाई कोर्ट सजा को बरकरार रखता है तो आरोपी सुप्रीम कोर्ट में इसे चैलेंज कर सकता है।
वहीं अगर संजय को फांसी से कम सजा मिलती है तो वह इस सजा को स्वीकार सकता है या फिर ऊंची अदालत में इसके खिलाफ अपील कर सकता है। निर्भया रेप मामले में ऐसा ही हुआ, दोषी करार दिए जाने के बाद भी आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डालीं।
हालांकि संजय की बड़ी बहन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वह सियालदह कोर्ट के फैसले को किसी ऊंची अदालत में चुनौती देने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर संजय ने अपराध किया है तो उसे सजा मिलनी चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि 2007 में शादी के बाद से उनका संजय से कोई संपर्क नहीं है।
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