कल यानी 13 नवंबर खबरों से पैक्ड दिन था। झारखंड में फर्स्ट फेज और उपचुनावों की वोटिंग हुई, सेंसेक्स 984 अंक गिरा, उद्धव के बाद अब गडकरी और फडणवीस के बैग की तलाशी ली गई, लेकिन जिस खबर ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं, वो थी बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्
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कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया, क्या इससे घर तोड़ने का सिलसिला थमेगा, जिनके घर गिर गए उनको क्या मिलेगा; ‘आज का एक्सप्लेनर’ में वो सबकुछ जो जानना जरूरी है…
सवाल 1: बुलडोजर एक्शन का पूरा मामला क्या है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया?
जवाबः 22 अगस्त 2022 को जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जमीयत ने BJP सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि BJP शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाकर बुलडोजर एक्शन लिया जा रहा है।
याचिका में ह्यूमन राइट्स पर केंद्रित NGO एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया। इसमें अप्रैल से जून 2022 तक BJP शासित 5 राज्यों (दिल्ली, असम, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश) में बुलडोजर एक्शन की 128 घटनाओं की फैक्ट फाइंडिंग है। इसमें यूपी के प्रयागराज में हुए बुलडोजर एक्शन का भी जिक्र किया गया था।
10 जून 2022 को प्रयागराज में पूर्व भाजपा प्रवक्ता के खिलाफ मुस्लिम समुदाय ने प्रदर्शन किया। आरोप था कि भाजपा नेता ने पैगंबर मुहम्मद को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। 11 जून को प्रयागराज पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल जावेद मोहम्मद, उनकी पत्नी और बेटी को हिरासत में ले लिया।
12 जून को प्रयागराज में जावेद का घर बुलडोजर से ढहा दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद भी बुलडोजर एक्शन नहीं थमे। 22 जून 2024 को बरेली में एक प्लॉट पर कब्जे को लेकर विवाद हुआ। इसमें दो गुटों में खुलेआम पत्थरबाजी और फायरिंग हुई। इस बवाल के मुख्य आरोपी बिल्डर राजीव राणा के फार्म हाउस और घर पर प्रशासन ने 27-28 जून को बुलडोजर चलाया था। 27 जून को मकान और होटल तोड़ा गया, जबकि 28 जून को रिसॉर्ट ढहाया गया।
28 जून 2024 को ही मुरादाबाद के शिवपुरी में आले हसन के घर को बुलडोजर से ढहा दिया गया। हसन के परिवार के खिलाफ एक विवाहिता के अपहरण की FIR दर्ज हुई थी। आरोप लगा था कि रात 2 बजे 7 बदमाशों ने सुनील कुमार के घर में घुसकर बेटी को अगवा करने की कोशिश की।
सवाल 2: सुनवाई के दौरान कोर्ट में क्या दलीलें दी गईं?
जवाब: याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे ने सुनवाई के दौरान कहा था कि किसी भी मामले में FIR दर्ज होते ही तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू कर दी जाती है। क्या सभी आरोपियों के घर अवैध निर्माण हैं।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि कोर्ट अपने फैसले से हमारे हाथ न बांधे। किसी की भी प्रॉपर्टी इसलिए नहीं गिराई गई है, क्योंकि उसने अपराध किया है। आरोपी के अवैध अतिक्रमण पर कानूनन एक्शन लिया गया है।
सवाल 3: सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर को ‘बुलडोजर जस्टिस’ को लेकर क्या फैसला सुनाया?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में ‘बुलडोजर जस्टिस’ पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा,

कानून को ताक पर रखकर किया गया ‘बुलडोजर जस्टिस’ असंवैधानिक है। किसी के घर को सिर्फ इस आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता है कि वो दोषी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अफसर न्याय करने का काम अपने हाथ में नहीं ले सकते। वे किसी व्यक्ति को कोर्ट में मुकदमा चलाए जाने से पहले ही दोषी नहीं ठहरा सकते। वे जज नहीं बन सकते।
फैसले में संविधान के आर्टिकल 21 का भी जिक्र किया गया। इसके तहत लोगों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने लोगों के घरों में रहने के मौलिक अधिकार को खत्म करने के लिए बुलडोजर एक्शन के ‘डरावने मंजर’ की बात कही। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर से घरों और प्रॉपर्टी को गिराने को लेकर एक गाइडलाइन भी जारी की।
सवाल 4: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर क्या गाइडलाइन जारी की है?
जवाब: बुलडोजर जस्टिस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 15 पॉइंट्स की गाइडलाइन जारी की…

सवाल 5: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का क्या असर पड़ेगा?
जवाब: इस फैसले के बाद पूरे देश में मनमाने और गलत तरीके से प्रॉपर्टी गिराने पर रोक लग गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और सभी हाई कोर्ट्स के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश की कॉपी भेजने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सभी राज्य सरकारों को इसके बारे में नोटिस जारी करने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी दुबे कहते हैं,

अब सरकारें गलत तरीके से किसी भी मकान या प्रॉपर्टी को नहीं गिरा सकती हैं। गाइडलाइन न मानने पर सुप्रीम कोर्ट एक्शन ले सकती है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पब्लिक प्लेस जैसे सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन या नदी में हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए छूट दी है।
सवाल 6: जो पुराने घर गिराए जा चुके हैं, उन पर इस फैसले का क्या असर होगा?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अगर अवैध तरीके से इमारत गिराई गई है, तो अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। सरकारी अधिकारियों को अपनी मासिक तनख्वाह में से हर्जाना देना होगा।
सीनियर एडवोकेट अश्विनी दुबे बताते हैं कि राज्य सरकारों द्वारा पहले जिन लोगों के घर गिरा दिए गए, वो लोग अब कोर्ट में जाकर केस दर्ज करा सकते हैं। पीड़ित परिवारों को कोर्ट में अपने घर गिराए जाने का प्रमाण देना होगा। साथ ही यह भी साबित करना होगा कि उनका घर अवैध निर्माण नहीं था। केस जीतने पर पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा।
सवाल 7: ‘बुलडोजर एक्शन’ रोकने वाले इस फैसले से पॉलिटिक्स पर क्या असर होगा?
जवाब: बुलडोजर एक्शन के खिलाफ याचिका लगाने वाले जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने आरोप लगाया था कि BJP शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर एक्शन लिया जा रहा है। विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर BJP को घेरा।
दरअसल, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, असम, दिल्ली जैसे राज्यों में सरकारें ‘बुलडोजर एक्शन’ अपना रही थीं। इसे लेकर राजनीति भी की जा रही थी। ऐसे में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगने से पॉलिटिक्स पर भी असर पड़ेगा।

एक रोडशो के दौरान बुलडोजर से घिरे योगी आदित्यनाथ। इसे एक सिंबल के तौर पर इस्तेमाल किया गया।
सीनियर जर्नलिस्ट विजय त्रिवेदी कहते हैं,

बुलडोजर से लोगों के बीच बना डर कम होगा। बुलडोजर का इस्तेमाल राजनीतिक नाराजगी और बदले के लिए भी किया गया, जो अब कम होगा। अगर इसे योगी आदित्यनाथ से देखा जाए तो उनकी छवि पर इसका ज्यादा असर नहीं होगा। हालांकि विपक्षी दल इसे अपने फेवर में देख सकते हैं।
लखनऊ की बाबू बनारसी दास यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मुलायम सिंह बताते हैं, ‘सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रशासन की दादागिरी कम होगी। दरअसल, किसी का घर गिराना कोर्ट का काम है न कि सरकार का। बुलडोजर एक्शन के कारण पहले लोग सरकार के खिलाफ बोलने से डरते थे, लेकिन अब ऐसा कम होगा। लोग खुलकर सरकार की मुखालफत कर सकेंगे।’
सवाल 8: ‘बुलडोजर’ के जरिए तत्काल न्याय का चलन कब शुरू हुआ?
जवाब: मोटे तौर पर बुलडोजर एक्शन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के दौरान चर्चा में आया। पहले कार्यकाल में 13 से ज्यादा बाहुबलियों के घरों पर बुलडोजर चले। करीब 15 हजार लोगों के खिलाफ गैंगस्टर और एंटी-सोशल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज हुए। कइयों के घरों पर बुलडोजर चला। तब BJP ने इसे सुरक्षा, अपराध मुक्त प्रदेश जैसी टैग-लाइंस से जोड़ा।
लेकिन पूरे देश में ‘बुलडोजर जस्टिस’ की खबर जुलाई 2020 में फैली। 2 जुलाई की रात कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की। पुलिस ने विकास दुबे गैंग को खत्म करने की ठानी।
4 जुलाई को 4 बुलडोजर लगाकर विकास दुबे की अपराध से जुटाई संपत्ति, घर, मकान, गाड़ी सब कुछ खत्म कर दिया गया। इस दौरान करीब 40 थानों के पुलिसकर्मियों के साथ यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार, एसएसपी कानपुर दिनेश पी., आईजी कानपुर जेएन सिंह मौजूद रहे। इस नजारे को पूरे देश ने टीवी पर देखा और यहीं से पूरे देश ने ‘बुलडोजर जस्टिस’ के बारे में जाना।

4 जुलाई 2020 को गैंगस्टर विकास दुबे के घर, मकान और गाड़ियों पर बुलडोजर चलाया गया।
एक ओर जहां एक तबका इसे सही ठहरा रहा था, वहीं दूसरी तरफ कुछ इसे अमानवीय कह रहे थे। विपक्षी पार्टियां भी इसके खिलाफ थीं। 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान 20 जनवरी को अयोध्या में रैली कर रहे समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने मंच से कहा, ‘जो जगहों का नाम बदलते थे, आज एक अखबार ने उनका ही नाम बदल दिया। अखबार अभी गांवों में नहीं पहुंचा होगा। हम बता देते हैं, उनका नया नाम रखा है, बाबा बुलडोजर।’
यहीं से योगी आदित्यनाथ ‘बाबा बुलडोजर’ बन गए। 21 जनवरी 2020 को योगी ने कहा-

बुलडोजर हाईवे भी बनाता है, बाढ़ रोकने का काम भी करता है, साथ ही माफिया से अवैध कब्जे को भी मुक्त करता है।
BJP ने अपने फेवर में ‘बुलडोजर जस्टिस’ का प्रचार किया। कुछ समय बाद मध्यप्रदेश, गुजरात, असम, दिल्ली, हरियाणा और बिहार जैसे राज्यों से भी ‘बुलडोजर जस्टिस’ की खबरें आने लगी थीं।
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर 8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह बात कही। 7 जजों की बेंच ने 4:3 के बहुमत से दो हिस्सों में फैसला सुनाया है।
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