Monday, December 23, 2024
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आज का एक्सप्लेनर: शाह की अंबेडकर कंट्रोवर्सी से कांग्रेस का मोमेंटम लौटेगा या बीजेपी मुद्दा भटका देगी; सब कुछ जो जानना जरूरी


संसद में संविधान पर शुरू हुई चर्चा अंबेडकर पर अमित शाह के बयान, विपक्ष के विरोध प्रदर्शन और गुरुवार को सांसदों की धक्का-मुक्की तक पहुंच गई। कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे को दलित चेहरा बनाकर मैदान में उतारा, तो बीजेपी ने भी शिवराज सिंह चौहान को आगे क

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अंबेडकर पर बयान से इतनी बड़ी आफत क्यों मची, क्या इस मुद्दे से कांग्रेस का मोमेंटम लौटेगा या बीजेपी इश्यू डायवर्ट कर देगी, जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल 1: अमित शाह ने अंबेडकर पर ऐसा क्या कहा, जिसके खिलाफ विपक्ष प्रदर्शन कर रहा? जवाबः ‘मान्यवर अभी एक फैशन हो गया है। अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते, तो 7 जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’

17 दिसंबर को शाम 7:45 बजे राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह बयान दिया। हालांकि उस वक्त वो एक संदर्भ में बात कर रहे थे कि कांग्रेस की वजह से अंबेडकर को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था।

शाह को अंबेडकर विरोधी बताते हुए विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद अगले 48 घंटों की टाइमलाइन…

  • 17 दिसंबर, रात 10:35 बजे: विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शाह के बयान की क्लिप X पर शेयर करते हुए लिखा, ‘मनुस्मृति को मानने वालों को अंबेडकर जी से बेशक तकलीफ होगी।’
  • 18 दिसंबर, सुबह 11:40 बजेः कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘हम शाह के इस्तीफे की मांग करते हैं, उन्हें देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।’
  • 18 दिसंबर, दोपहर 12:56 बजेः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर 6 पोस्ट कर शाह के बयान का बचाव किया और कांग्रेस पर अंबेडकर की अनदेखी के आरोप लगाए।
  • 18 दिसंबर, शाम 4:30 बजेः खड़गे ने कहा, ‘अगर मोदी अंबेडकर की इज्जत करते हैं, तो रात 12 बजे से पहले गृह मंत्री अमित शाह को बर्खास्त करें।’
  • 18 दिसंबर, शाम 5:37 बजेः अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई देते हुए कहा कि उनका बयान तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।
  • 19 दिसंबर, सुबह 10:52 बजेः केजरीवाल ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को लेटर लिखकर कहा, ‘बाबासाहेब के बारे में ऐसा कहने का साहस आखिर बीजेपी ने कैसे किया?’
  • 19 दिसंबर, सुबह 11:15 बजेः संसद परिसर में INDIA गठबंधन और बीजेपी दोनों के सांसद प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान धक्का-मुक्की में बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी घायल हो गए। बीजेपी ने राहुल पर गुंडागर्दी का आरोप लगाया।
  • 19 दिसंबर, शाम 6:30 बजेः बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर, हेमांग जोशी और बांसुरी स्वराज ने राहुल गांधी के खिलाफ ‘अटेम्प्ट टू मर्डर’ समेत 7 धाराओं में शिकायत दर्ज कराई।

सवाल 2: क्या शाह के बयान पर बीजेपी बैकफुट पर दिख रही है? जवाबः बयान पर हंगामा मचने के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया, शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, नड्डा ट्वीट पर सफाई दे रहे हैं और बीजेपी कार्यकर्ता हर जगह शाह का पूरा बयान शेयर कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने लिखा, ‘कांग्रेस अब अंबेडकर पर नाटक कर रही है। पंडित नेहरू ने चुनाव में अंबेडकर के खिलाफ प्रचार किया था। उन्हें भारत रत्न देने से कांग्रेस ने इनकार किया। एससी-एसटी पर सबसे ज्यादा नरसंहार कांग्रेस के शासन काल में हुए हैं।’

इलेक्शन एनालिस्ट अमिताभ तिवारी के मुताबिक,

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बीजेपी डैमेज कंट्रोल कर रही है, न कि बैकफुट पर है। बाबा साहेब से देश की जनता इमोशनली जुड़ी हुई है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलित वोटर्स को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि शाह के बचाव में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 6 ट्वीट करने पड़े।

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अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'खड़गे जी इस्तीफा मांग रहे हैं, उन्हें आनंद हो रहा है तो शायद मैं दे भी दूं पर उससे उनका काम नहीं बनना है। अभी 15 साल तक उन्हें जहां हैं, वहीं बैठना है, मेरे इस्तीफे से उनकी दाल नहीं गलने वाली।'

अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘खड़गे जी इस्तीफा मांग रहे हैं, उन्हें आनंद हो रहा है तो शायद मैं दे भी दूं पर उससे उनका काम नहीं बनना है। अभी 15 साल तक उन्हें जहां हैं, वहीं बैठना है, मेरे इस्तीफे से उनकी दाल नहीं गलने वाली।’

सवाल 3: अंबेडकर पर बयान से इतनी बड़ी आफत क्यों आ गई? जवाबः अंबेडकर पर बयान से इतनी ‘बड़ी आफत’ आने की दो बड़ी वजहें हैं…

पहली वजहः देश में 20 करोड़ दलित, जो अंबेडकर को भगवान मानते हैं 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश की करीब 16.6% आबादी दलित है यानी करीब 20.14 करोड़ लोग। इनमें 15.4 करोड़ दलित गांवों में और 4.7 करोड़ दलित शहरों में रहते हैं। दशकों से वंचित रहे तबके को अंबेडकर ने पहचान और अधिकार दिलाया, उन्हें आगे बढ़ाया। यही तबका एक वोट बैंक के तौर पर उभरा, जो अब ‘सत्ता की कुंजी’ बन चुका है।

लोकसभा के हिसाब से 543 में से 84 सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए रिजर्व हैं। 2024 में बीजेपी ने इनमें 29 और कांग्रेस ने 20 सीटें जीतीं। जबकि 2019 में बीजेपी ने 46 और कांग्रेस ने महज 6 SC-रिजर्व सीटें जीती थीं। यानी सरकार बनाने और बिगाड़ने के खेल में दलितों की अहम भूमिका है। ऐसे में बीजेपी, कांग्रेस जैसी पार्टियां चाहती हैं कि दलितों का रुख उनकी ओर हो।

दूसरी वजहः अंबेडकर का अपमान यानी नॉन-प्रोग्रेसिव दिखना बतौर समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, और संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर ने न केवल दलितों के अधिकारों की रक्षा की, बल्कि सामाजिक न्याय को भी बढ़ावा दिया। अंबेडकर ने महाड सत्याग्रह, कालाराम मंदिर आंदोलन जैसे सामाजिक आंदोलनों का नेतृत्व किया। दलित आरक्षण के लिए अंबेडकर महात्मा गांधी तक से भिड़ गए।

मानवाधिकार जन-निगरानी समिति के संयोजक डॉ. लेनिन रघुवंशी कहते हैं,

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अंबेडकर ने एक विचार दिया कि संविधान और बातचीत के जरिए बदलाव लाया जा सकता है, न कि हिंसा के जरिए।

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नेशनल अलायंस फॉर सोशल जस्टिस के फाउंडर मेंबर डॉ. अनूप श्रमिक के मुताबिक, ‘अगर भारत में तबाही आ जाए तो केवल 2-3 चीजें ही दिखेंगी। एक तो महादेव की मूर्तियां और दूसरी अंबेडकर की प्रतिमाएं। आज अंबेडकर प्रोग्रेसिव विचारों के आइकॉन बन गए हैं।’

डॉ. लेनिन कहते हैं, ‘आज हर पार्टी खुद को अंबेडकर से जुड़ा हुआ दिखाना चाहती है। साथ ही ये दलित वोट से जुड़ा हुआ मामला है। ऐसे में कोई पार्टी अंबेडकर के खिलाफ नहीं हो सकती है।’

सवाल 4: ऐसे विवाद पर बीजेपी को कैसे सीधा नुकसान होता है? जवाबः इलेक्शन एनालिस्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, ‘ऐसे विवादों से बीजेपी के दलित वोट बैंक को सीधा नुकसान पहुंचेगा। इसका ताजा उदाहरण 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे हैं। इसमें बीजेपी ने 400 पार सीट लाने का नारा दिया था, जिसे लेकर धीरे-धीरे विवाद गहराता गया।’

दरअसल, कर्नाटक से बीजेपी सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने 400 पार के नारे को संविधान बदलने के लिए जरूरी बता दिया। राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने चुनावी मंचों से बीजेपी के 400 पार के लक्ष्य के पीछे संविधान खत्म करने की बात कही।

विपक्ष ने संविधान को अपने लोकसभा चुनाव का मुख्य मुद्दा बना दिया। नतीजतन, बीजेपी 240 सीटों पर सिमट गई और उसे 63 सीटों का नुकसान हुआ।

दलित वोटरों के प्रभाव वाली 156 सीटों के परिणाम
सालकांग्रेस+बीजेपी+अन्य
202493576
2019539112

सोर्स- इंडिया टुडे/माय एक्सेस

2024 के लोकसभा चुनाव में NDA को दलित वोटर्स के प्रभाव वाली सीटों में 2019 के मुकाबले 34 सीटों का नुकसान हुआ। INDIA गठबंधन को 40 सीटों का सीधा फायदा हुआ। इसके साथ ही अन्य सीटों पर जहां दलित वोटर बड़ी संख्या में नहीं है, वहां भी दलितों का ज्यादातर वोट INDIA गठबंधन को मिला।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल वोटर में 17% दलित समाज के वोट हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा+ को 2019 की तुलना में 6% कम वोट मिले। वहीं, कांग्रेस+ को 2024 लोकसभा चुनाव में 2019 की तुलना में 18% ज्यादा वोट मिला।

दलित वोटर्स के प्रभाव वाली सीटों पर INDIA को बहुमत
सालकांग्रेस+बीजेपी+अन्य
202446%35%19%
201928%41%31%

सोर्स- इंडिया टुडे/माय एक्सेस

अमिताभ तिवारी कहते हैं कि 2024 के चुनावी नतीजों में बीजेपी को दलित वोट बैंक से नुकसान हो चुका है इसलिए बीजेपी यह गलती दोबारा नहीं दोहराना चाहती।

सवाल 5: शाह के बयान पर कांग्रेस की स्ट्रैटजी क्या है? जवाबः सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक, ‘कांग्रेस ने शाह के बयान को सिस्टमैटिकली उठाया। राहुल गांधी ने अपनी जगह कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को आगे किया। कांग्रेस ने बीजेपी के दलित वोट बैंक के खिलाफ दलित नेता को ही चेहरा बनाया क्योंकि बीजेपी शाह के बयान पर एक दलित नेता का काट नहीं ला सकती।’

19 दिसंबर को मल्लिकार्जुन खड़गे ने शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी पेश किया। दरअसल, सदन में हर सांसद के पास विशेषाधिकार होते हैं। इन अधिकारों का हनन करने पर नोटिस पेश किया जाता है। इसके लिए एक जांच कमेटी गठित होती है, जो जांच करती है। इसकी रिपोर्ट सदन के अध्यक्ष को सौंपी जाती है, जिस पर आगे कार्यवाही होती है। खड़गे ने कहा,

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गृह मंत्री ने हम पर अंबेडकर के बारे में 100 बार बोलने का आरोप लगाया और हमसे कहा कि अगर हमने भगवान को इतनी बार याद किया होता तो हम 7 बार स्वर्ग प्राप्त कर सकते थे।

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सवाल 6: क्या ये कांग्रेस के लिए अपने खोए मोमेंटम को हासिल करने का मौका है? जवाबः लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ ने पार्टी के लिए पॉजिटिव माहौल बनाया। उन्होंने संविधान और आरक्षण का मुद्दा उठाया और नैरेटिव बनाने में बीजेपी को पीछे छोड़ा। इसके अलावा क्षेत्रीय दलों के साथ गठजोड़ कर INDIA अलायंस बनाया और एकजुट होकर बीजेपी को टक्कर दी। ‘400 पार’ का नारा देने वाली बीजेपी 240 सीटों पर सिमट गई। बीजेपी को सरकार बनाने के लिए NDA की सहयोगी पार्टियों की मदद लेनी पड़ी।

वहीं कांग्रेस ने 30% स्ट्राइक रेट के साथ 99 सीटों पर जीत हासिल की, जो बीते 2 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की परफॉर्मेंस से कहीं बेहतर है। कुल मिलाकर कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 में मोमेंटम गेन किया, जो नतीजों में भी नजर आया, लेकिन आम चुनाव के बाद 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए और यहां कांग्रेस ने अपना मोमेंटम गंवा दिया।

हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड की कुल 554 में से महज 75 सीटें ही कांग्रेस जीत सकी। महाराष्ट्र में पार्टी का सबसे बुरा हाल हुआ और 16 सीटों में सिमट गई। हालांकि जम्मू-कश्मीर और झारखंड में क्षेत्रीय दलों के साथ कांग्रेस सरकार में है। अब अंबेडकर का मुद्दा उठाकर कांग्रेस गंवाया हुआ मोमेंटम हासिल करना चाहती है।

इलेक्शन एनालिस्ट अमिताभ तिवारी मानते हैं कि संसद में संविधान पर हुई चर्चा में कांग्रेस बैकफुट पर रही। वे कहते हैं,

  • कांग्रेस का नैरेटिव था कि बीजेपी संविधान विरोधी है, लेकिन बीजेपी ने संसद में कई सारे उदाहरण देकर कांग्रेस पर ‘संविधान विरोधी’ का टैग लगा दिया।
  • संसद के भाषण बहुत कम लोग ही पूरे सुनते हैं, लेकिन संसद से उठे मुद्दे पर पूरे देश की नजर होती है। ठीक ऐसा ही मुद्दा अंबेडकर पर दिया गया बयान है।
  • मौजूदा दलित पॉलिटिक्स ट्रांजिशन पीरियड में है। दलितों की पार्टी माने जाने वाली बीएसपी को देश में 18-22% दलित वोट मिला करता था, लेकिन अब बीएसपी जीरो हो गई है।
  • नेशनल लेवल पर अब दलित कांग्रेस और बीजेपी की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस चाहती है कि ज्यादातर दलित उन्हें चुने।

पॉलिटिकल एनालिस्ट रशीद किदवई मानते हैं कि कांग्रेस इस मुद्दे से अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। वे कहते हैं,

  • कांग्रेस ने इस मुद्दे को भुनाने का पूरा मन बना लिया है, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मनमुताबिक दलितों का साथ नहीं मिला था।
  • कहा जाता है कि बीजेपी की सरकार दलित वोट बैंक से ही बनी। चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने इस बात को बहुत अच्छी तरह भांप लिया। अब मौका मिलने पर कांग्रेस अंबेडकर के मुद्दे को गर्मजोशी से उठा रही है।

सवाल 7: शाह माफी मांगेगे या विपक्ष ठंडा पड़ जाएगा; इस कंट्रोवर्सी में आगे क्या हो सकता है? जवाबः पॉलिटिकल एनालिस्ट रशीद किदवई के मुताबिक, 20 दिसंबर को सदन का आखिरी दिन है, लेकिन यह मामला तूल पकड़ेगा। कांग्रेस इसे संसद के बाद जनता की अदालत में लेकर जाएगी। जिस तरह कांग्रेस ने संविधान बचाने की बात संसद में की और बीजेपी पर इसे मिटाने के आरोप लगाए, कांग्रेस इसे जल्दी ठंडा नहीं होने देगी।’

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा,

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अमित शाह ने जो कहा, उसे पूरी दुनिया ने देखा है। यह लाइव टेलीकास्ट था। उसके बाद वह झूठ बोल रहे हैं। यह देश बाबा साहब अंबेडकर का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता। जब तक अमित शाह इस्तीफा नहीं देते और माफी नहीं मांगते, तब तक हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज उठाते रहेंगे।

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वहीं बीजेपी मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए पूरी ताकत से लड़ रही है। 19 दिसंबर को संसद में धक्का-मुक्की का माहौल बना, जिसमें बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी को चोट लग गई। पार्टी ने इसका आरोप राहुल गांधी पर लगाया और FIR दर्ज कराई।

संसद परिसर में ओडिशा के बालासोर से भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी।

संसद परिसर में ओडिशा के बालासोर से भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी।

बीजेपी ने इतिहास के पन्ने भी खोल दिए। PM मोदी ने नेहरू पर अंबेडकर का अपमान करने के आरोप लगाए और उन्हें भारत रत्न न देने की बात कही। बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा,

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नेहरू-गांधी परिवार ने हमेशा अंबेडकर का अपमान किया। नेहरू ने खुद अंबेडकर के खिलाफ साजिश रची ताकि वे चुनाव हार जाएं और राजनीति छोड़ने पर मजबूर हो जाएं।

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रशीद किदवई का कहना है कि ‘दलित वोट बैंक राजनीतिक रूप से सबसे ज्यादा संवेदनशील है। इसका सीधा असर यूपी, दिल्ली और बिहार जैसे आगामी चुनाव पर भी पड़ेगा। इन जगहों पर कांग्रेस को जीत के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत होगी इसलिए शाह का बयान कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।’

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रिसर्च सहयोग- आयुष अग्रवाल

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राज्यसभा में अंबेडकर को लेकर अपनी टिप्पणी पर गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी। कहा- ‘संसद में बात तथ्य और सत्य के आधार पर होनी चाहिए। भाजपा के सदस्यों ने ऐसा ही किया। जब साबित हो गया कि कांग्रेस अंबेडकर विरोधी पार्टी है, आरक्षण विरोधी है, संविधान विरोधी है, तो कांग्रेस ने अपनी पुरानी रणनीति अपनाते हुए बयानों को तोड़ना-मरोड़ना शुरू कर दिया।’ पूरी खबर पढ़ें…



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