Thursday, April 17, 2025
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आज का एक्सप्लेनर: समुद्री पानी खौलने से कैद हो गई हीट, इसलिए अप्रैल इतना गर्म; 2025 की गर्मी क्यों तोड़ सकती है सारे रिकॉर्ड


2024 भारत के सबसे गर्म सालों में से एक था, लेकिन 2025 में गर्मी के तेवर और भी तीखे हो सकते हैं। अप्रैल की शुरुआत में ही हीटवेव मोड ऑन हो चुका है। मौसम विभाग ने गुजरात को रेड अलर्ट पर रखा है और उत्तर भारत के कई राज्यों में लू की दस्तक की बात कही है।

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क्या 2025 की गर्मी 2024 का भी रिकॉर्ड तोड़ देगी, भयंकर तपिश की आशंका क्यों है और देश के किन इलाकों में हीटवेव का सबसे ज्यादा खतरा है, जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल-1: अगले कुछ दिन किन इलाकों में पारा चढ़ेगा?

जवाब: भारतीय मौसम विभाग यानी IMD ने अगले 4 दिनों के मौसम के लिए तीन कैटेगरी में अलर्ट जारी किया है-

  • रेड अलर्टः गुजरात के कुछ इलाकों में 6 से 10 अप्रैल तक हीटवेव चलेगी। सौराष्ट्र और कच्छ के इलाकों में 6 और 7 अप्रैल को गंभीर हीटवेव की कंडीशंस होंगी। स्थानीय अधिकारियों को गर्मी के चलते इमरजेंसी की स्थिति रोकने के लिए जरूरी कार्रवाई करनी चाहिए।
  • ऑरेंज अलर्टः राजस्थान में 6 से 10 अप्रैल तक हीटवेव चलेगी। कुछ इलाकों में 7 से 9 अप्रैल तक गंभीर हीटवेव रहेगी। IMD ने कहा है कि हालत बिगड़ने पर अधिकारियों को कार्रवाई के लिए तैयारी करनी चाहिए।
  • यलो अलर्टः 6 से 7 अप्रैल तक हिमाचल प्रदेश, 6 से 10 अप्रैल तक हरियाणा और चंडीगढ़ में, 7 से 10 अप्रैल तक पंजाब, 7 और 8 अप्रैल को दिल्ली, 7 से 9 अप्रैल तक को पश्चिमी उत्तर प्रदेश और 8 से 10 अप्रैल तक मध्य प्रदेश में हीटवेव की कंडीशंस रहेंगी।

IMD के मुताबिक 5 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के कुछ इलाकों में हीटवेव की स्थिति रही थी।

सवाल-2: अप्रैल से ही हीटवेव शुरू, तो मई-जून में क्या होगा?

जवाबः मार्च के आखिर में ही मौसम विभाग ने बता दिया था कि इस साल देश के नॉर्थ-वेस्ट राज्यों यानी हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, दिल्ली में हीटवेव (लू) के दिनों की संख्या दोगुनी होने की आशंका है। आमतौर पर अप्रैल से जून के महीनों में लगातार 5-6 दिन लू चलती है, लेकिन इस बार 10 से 12 दिनों के ऐसे कई दौर आ सकते हैं।

हालांकि मौसम विभाग ने यह जानकारी नहीं दी कि इस साल हीटवेव का असर कितने दिन रहेगा। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हीटवेव के दिनों की संख्या दोगुनी होती है तो 2025 अब तक का सबसे गर्म साल होगा। ऐसे में पारा सामान्य से 5 डिग्री या इससे भी ज्यादा रह सकता है।

सवाल-3: हीटवेव क्या है और गर्मियों में इसकी इतनी चर्चा क्यों होती है?

जवाब: IMD के मौसम वैज्ञानिक आरके जेनामनी के मुताबिक जब किसी इलाके में तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाए और वहां तेज लू चलने लगे तो उसे हीटवेव माना जाता है। हीटवेव के लिए फिक्स तापमान अलग-अलग देशों के लिए अलग-अलग हो सकता है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, हीटवेव तब मानी जाती है जब किसी इलाके का अधिकतम तापमान लगातार 5 या ज्यादा दिनों तक उस इलाके के औसत अधिकतम तापमान से कम से कम 5 डिग्री सेल्सियस (9 डिग्री फारेनहाइट) ज्यादा रहे।

IMD के मुताबिक, आमतौर पर देश में हीटवेव तब चलती है जब मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस, समुद्र तटीय इलाकों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी इलाकों में 30 डिग्री सेल्सियस या इससे ज्यादा हो जाए।

किसी क्षेत्र में तापमान, सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होने पर हीटवेव और 6.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होने पर सीवियर हीटवेव चलती है।

हीटवेव डे की ‘सामान्य संख्या’ हर राज्य में अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए, राजस्थान में गर्मी के मौसम में सालाना 8 से 12 हीटवेव डे सामान्य माने जाते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में सामान्य तौर पर 10 से 12 हीटवेव डे होते हैं। हालांकि 2024 में पूर्वी राजस्थान में 23 और पश्चिमी राजस्थान में 29 हीटवेव वाले दिन थे। वहीं यूपी में पिछले साल 32 दिन हीटवेव चली थी।

सवाल-4: हीटवेव से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य कौन से हैं, इस बार यहां कितने दिन हीटवेव चलेगी?

जवाब: मौसम विभाग ने देश के 13 प्रदेशों को ‘हीटवेव प्रोन स्टेट’ माना है। इस लिस्ट में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ , दिल्ली, पश्चिम मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश , छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र में विदर्भ, गंगा के तटवर्ती पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से, तटीय आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं।

आमतौर पर कोर हीटवेव जोन यानी CHZ में मार्च से जून तक भीषण गर्मी पड़ती है। कई बार जुलाई महीने में भी हीटवेव और लू चलने की आशंका रहती है। 2024 में अप्रैल में ही हीटवेव का रिकॉर्ड टूट गया था।

इस बार IMD ने कहा है कि अप्रैल से जून तक लगभग पूरे उत्तर, मध्य और पूर्वी भारत में सामान्य से ज्यादा हीटवेव वाले दिन हो सकते हैं। देश के सुदूर दक्षिण के इलाके, नॉर्थ-ईस्ट के राज्य, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में ही हीटवेव न आने की उम्मीद है।

सवाल-5: क्या हर साल हीटवेव के दिन बढ़ रहे हैं?

जवाब: कई स्टडीज कहती हैं कि भारत में हीटवेव के दिन और उनकी इंटेंसिटी बढ़ रही है। पुणे के भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान की एक स्टडी के मुताबिक साल 2000 के बाद से देश के ज्यादातर इलाकों में हर दस साल में तीन हीटवेव डे बढ़ रहे हैं। इसका लोगों के स्वास्थ्य, खेती और ईको-सिस्टम पर खतरनाक असर होता है।

2024 का साल भारत और पूरी दुनिया के लिए सबसे गर्म साल था। इस साल भारत में सभी राज्यों में कुल मिलाकर 554 दिन हीटवेव चली। इसके बाद 2023 दूसरा सबसे गर्म साल था, लेकिन इस साल सिर्फ 230 हीटवेव डे थे।

सवाल-6: 2025 में इतनी ज्यादा गर्मी क्यों पड़ सकती है?

जवाबः भारत में वेदर डेवलपमेंट के लिए दो मुख्य चीज जिम्मेदार होती हैं…

1. वेस्टर्न डिस्टर्बेंस: भारत के पश्चिम में भूमध्य सागर है, वहां से तूफानी हवा नमी लेकर गल्फ देशों और काला सागर, कैस्पियन सागर से होकर हमारे देश तक आती है, जिसे वेस्टर्न डिस्टर्बेंस कहते हैं। ये हवा भारत में आकर यहां के वेदर पैटर्न को डिस्टर्ब करती है, इसलिए डिस्टर्बेंस शब्द जुड़ा। जैसे- ठंड के मौसम में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आ जाए तो बारिश या बर्फबारी होने लगती है। एक तरह से बेमौसम बारिश के लिए यही हवा जिम्मेदार है।

2. एंटी साइक्लोन: भारत में मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली संस्था स्काईमेट वेदर के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत के मुताबिक, ‘अरब सागर पर बने एंटीसाइक्लोन के चलते राजस्थान और गुजरात की तरफ गर्म हवाएं चल रही हैं। इसलिए इन इलाकों में भयंकर गर्मी पड़ सकती है। दिल्ली और आसपास के इलाकों में भी मौसम सूखा रहेगा और तेज गर्मी होगी।’

IMD रायपुर की मौसम वैज्ञानिक गायत्री वाणी कंचिभोटला के मुताबिक एंटी साइक्लोन एक्टिव होने का मतलब है कि हवा का रुख क्लॉक वाइज होना।

आमतौर पर हमारे देश में समुद्र से आने वाली हवाओं से ठंडक होती है, लेकिन एंटीसाइक्लोन एक्टिव होने की वजह से बंगाल की खाड़ी से होकर देश में आने वाली ठंडी हवा का रुख बदल जाता है, जबकि तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और बाकी राज्यों की गर्म हवाएं ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र से होकर समुद्र की ओर बहने लगती हैं। इससे हीट ट्रैप हो जाती है और समुद्री किनारे पर बसे प्रदेश गर्म हो जाते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर ओडिशा, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में होता है।

अब आप सोचेंगे कि ये एंटीसाइक्लोन एक्टिव क्यों होता है और हवा की दिशा बदलती क्यों है? इसका जवाब है समुद्री पानी का गर्म या ठंडा होना। पानी ठंडा रहने के समय अगर ग्लोबल वार्मिंग या दूसरी वजहों से हवा गर्म हो गई तो हवा की दिशा बदल जाती है।

2024 का साल भारत के लिए सबसे गर्म साल था, इसके पीछे एंटीसाइक्लोन और एल नीनो इफेक्ट को जिम्मेदार बताया गया था। महेश के मुताबिक, ‘इस बार गर्मी समय से पहले हो रही है। मार्च में भी हीटवेव महसूस की गई है, ये गर्मी असामान्य है।’

सवाल-7: क्या 2025 अब तक का सबसे गर्म साल हो सकता है?

जवाब: 10 जनवरी 2025 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने 6 इंटरनेशनल डेटासेट के आधार पर कहा कि 2024 अब तक का सबसे गर्म साल रहा। इस साल तापमान 1850-1900 के दौरान के औसत तापमान से सबसे ज्यादा 1.5 डिग्री सेल्सियस रहा।

इसके बाद भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 15 जनवरी, 2025 को बताया था कि साल 2024 भारत में अब तक का सबसे गर्म साल रहा है। IMD ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि इस साल देश में जमीन की सतह पर हवा का औसत सालाना तापमान, 1991 से 2020 तक के औसत सालाना तापमान से 0.65 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। इससे पहले भारत में 2016 का तापमान इन 220 सालों के औसत तापमान से .54 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था।

हालांकि IMD के वैज्ञानिक नरेश कुमार के मुताबिक, ‘अभी यह नहीं कहा जा सकता कि 2025 का साल 2024 के मुकाबले ज्यादा गर्म रहेगा। हालांकि बीते कुछ सालों में गर्मी बढ़ रही है, लेकिन 2025 में हम अभी यही कह सकते हैं कि देश के दक्षिण-पश्चिम और पूर्व के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो अप्रैल से जून तक पूरे देश में अधिकतम तापमान, सामान्य से ज्यादा रहेगा।

IMD के मौसम वैज्ञानिक आरके जेनामनी कहते हैं, ‘हमारे पास ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नहीं है कि हम अभी यह बता सकें कि 2025, 2024 से ज्यादा गर्म साल होगा। हालांकि देश के कुछ हिस्सों में अभी से हीटवेव शुरू हो गई है।’

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