शहर की जीवनदायिनी परियोजना राजघाट बांध की ऊंचाई नहीं बढ़ाई जाएगी। इस पर अनुमानित खर्च 300 करोड़ रुपए और 400 हेक्टेयर डूब क्षेत्र को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है। इसके बदले में अब राजघाट बांध से 16 किलोमीटर दूर खमरिया गांव में बांध बनाया जाएगा। इसकी क्ष
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इसमें से 20 एमसीएम पानी तक राजघाट बांध के लिए दिया जाएगा। यह पानी पाइपलाइन से आएगा या फिर नहर के माध्यम से इस पर भी निर्णय होना है। खमरिया के पास बांध बन जाने से शहर में जलसंकट की समस्या खत्म हो जाएगी। सोमवार को सागर गौरव दिवस के कार्यक्रम में सागर आ रहे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इसकी घोषणा कर सकते हैं। इसको लेकर बीते छह माह से काम चल रहा है। मुख्यमंत्री के ही निर्देश पर चीफ सेक्रेटरी इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं।
राजघाट बांध की स्थिति
}बांध की क्षमता – 62 एमसीएम }सागर में नल कनेक्शन – 36 हजार }मकरोनिया में कनेक्शन – 18 हजार }सागर में जलापूर्ति – 60 से 70 एमएलडी प्रतिदिन }मकरोनिया में जलापूर्ति – 8 से 9 एमएलडी प्रतिदिन }सदर में जलापूर्ति- 4 एमएलडी प्रतिदिन }आर्मी में जलापूर्ति – 18 }एमएलडी, साल में 270 दिन।
दो मीटर से घटाकर डेढ़ मीटर का था प्रस्ताव
राजघाट बांध परियोजना 2003 में शुरू हुई। आबादी लगातार बढ़ती गई। इससे जलसंकट होना शुरू हो गया। विशेषकर गर्मियों में चार से छह दिन बाद तक पानी मिल पाता है। ऐसे में तय हुआ कि राजघाट बांध की जलभराव क्षमता को 2 मीटर बढ़ाकर गेट लगाए जाएं। इस पर शुरुआत में खर्च 200 करोड़ आंका गया। बाद में यह बढ़कर 400 करोड़ तक पहुंच गया। इसके बाद इसे डेढ़ मीटर की ऊंचाई बढ़ाने पर ही रखा गया। इसमें भी 120 करोड़ का खर्च था। आखिर में इस पर भी सहमति नहीं बनने से नए बांध का प्रस्ताव बना।
डूब क्षेत्र बना बड़ी वजह, किसान पानी पर राजी
जल संसाधन विभाग के मुताबिक पहले जब राजघाट बांध की ऊंचाई 2 मीटर बढ़ाने की बात आई तो उसमें डूब क्षेत्र 400 हेक्टेयर तक आ रहा था। चूंकि यह बांध सिर्फ जलापूर्ति के लिए है, ऐसे में डूब प्रभावित किसान नहीं माने। खमरिया में जहां बांध प्रस्तावित है, वहां भी 300 हेक्टेयर भूमि डूब में आ सकती है। परंतु इस बांध से 6 हजार हेक्टेयर में सिंचाई का भी प्रावधान है। ऐसे में किसानों को अपनी अन्य जमीन पर खेती के लिए बांध से पानी मिल सकेगा, जिससे उनकी उपज बढ़ेगी। इस पर किसानों के भी राजी होने की बात सामने आई है।
क्षमता 62 एमसीएम,ऊंचाई बढ़ती तो 96 हो जाती
राजघाट बांध की क्षमता वर्तमान में 62 एमसीएम पानी की है। यदि इसकी ऊंचाई दो मीटर बढ़ाई जाती तो यह क्षमता बढ़कर 96 एमसीएम हो जाती। यानी सीधे तौर पर डेढ़ गुना। इससे शहर सहित उपनगरीय क्षेत्र मकरोनिया की अगले दो दशक की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाती।
प्रस्ताव भेजा है, टेंडर के बाद डेढ़ साल लगेंगे
डब्ल्यूआरडी के एसडीओ जीएस चौधरी के मुताबिक खमरिया गांव के पास 32 एमसीएम क्षमता के बांध का प्रस्ताव पूरी सर्वे रिपोर्ट के साथ भेजा गया है। इसी सप्ताह भोपाल से हाइड्रोलॉजी यानी एनालिसिस हो जाएगा। इसकी अनुमति के बाद डीपीआर बनेगी। डीपीआर 15 दिन में ही बन जाएगी। टेंडर आदि होने के बाद एक से डेढ़ साल में बांध बन जाएगा।
नए बांध से क्षमता बढ़कर 82 एमसीएम तक पहुंचेगी
खमरिया के पास जो बांध बनेगा, उसकी क्षमता 32 मिलियन क्यूबिक मीटर की है। इसमें से 20 एमसीएम पानी राजघाट बांध के लिए आसानी से देने की बात डब्ल्यूआरडी के अधिकारियों ने कही है। यह मात्रा और भी बढ़ सकती है। यदि 20 एमसीएम पानी और मिलता है तब भी बांध का कुल पानी बढ़कर 82 एमसीएम तक रहेगा।
5 एमसीएम पानी मिले तो 5 साल दिक्कत नहीं होगी
निगमायुक्त राजकुमार खत्री के मुताबिक अगर 5 एमसीएम पानी भी नए बांध से मिलने लगे तो अगले 5 साल कोई दिक्कत नहीं होगी। 15 से 20 एमसीएम पानी मिलने लगेगा तो स्थिति और भी बेहतर होगी। नई लाइन से लीकेज आदि में बहने वाला पानी भी अब कम हुआ है। हम रोज पानी देने की स्थिति में होंगे।