Wednesday, April 23, 2025
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आज से पंचक्रोशी यात्रा के जरिए सिंहस्थ कुंभ की रिहर्सल: पहली बार कैमरे से गिनती; एक साथ सभी पड़ावों तक मैसेज भी भेजे जा सकेंगे – Ujjain News


आज से नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर पंचक्रोशी यात्रा शुरू हुई है।

उज्जैन में वैशाख मास की दशमी से अमावस्या तक चलने वाली पंचक्रोशी यात्रा आज बुधवार 23 अप्रैल से शुरू हो कर 27 अप्रैल तक चलेगी। इस बार की पंचक्रोशी यात्रा के लिए जिला प्रशासन ने सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए प्लानिंग की है। प्रशासन ने क्राउड मैनेजमेंट क

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पंचक्रोशी यात्रा का रूट मैप।

इधर, ग्रामीण श्रद्धालुओं ने परंपरागत रूप से एक दिन पहले 22 अप्रैल से ही यात्रा शुरू कर दी है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन करने के बाद बल लेकर यात्रा के पहले पड़ाव पिंगलेश्वर महादेव के लिए निकल पड़े हैं। पांच दिन तक चलने वाली यात्रा की शुरुआत 23 अप्रैल से होनी थी लेकिन एक दिन पहले 22 अप्रैल को ही पटनी बाजार स्थित श्री नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर पर भारी भीड़ पहुंच गई।

यहां श्रद्धालु दर्शन कर भगवान को नारियल अर्पित कर 118 किमी की यात्रा के लिए निकले। यात्री भीषण गर्मी में पैदल ही यह दूरी तय करेंगे। प्रतिवर्ष होने वाली पंचक्रोशी यात्रा के लिए बुधवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जत्था भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर निकला।

बड़ी संख्या में श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन कर नारियल चढ़ाने के बाद बल लेकर यात्रा के पहले पड़ाव पिंगलेश्वर महादेव के लिए निकल पड़े हैं।

बड़ी संख्या में श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन कर नारियल चढ़ाने के बाद बल लेकर यात्रा के पहले पड़ाव पिंगलेश्वर महादेव के लिए निकल पड़े हैं।

नागचंद्रेश्वर से शुरू होकर शिप्रा स्नान के साथ समापन

पांच दिवसीय यह यात्रा उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर से प्रारंभ होकर प्रमुख पड़ाव-पिंगलेश्वर, करोहन, अंबोदिया, जैथल और उंडासा- से होते हुए लौटेगी। यात्री इस दौरान शहर के चारों कोनों में विराजित मंदिर पिंगलेश्वर, कायावर्णेश्वर, विल्वेश्वर, दुर्दरेश्वर, नीलकंठेश्वर का पूजन अर्चन करेंगे। इसके अतिरिक्त शनि मंदिर त्रिवेणी, राघौपिपल्या, नलवा, सोडंग और केडी पैलेस जैसे उप-पड़ाव भी शामिल रहेंगे। समापन नागचंद्रेश्वर मंदिर लौटने के बाद शिप्रा नदी में स्नान के साथ होगा।

प्रशासन ने किए कूलर और टेंट सहित अन्य इंतजाम।

प्रशासन ने किए कूलर और टेंट सहित अन्य इंतजाम।

पहली बार 6 स्थानों पर करेंगे हेड काउंटिंग

क्राउड मैनेजमेंट को बेहतर बनाने के लिए इस बार पड़ाव स्थल सहित यात्रा रूट पर 6 जगह हेड काउंटिंग मशीनें लगाई गई हैं। इन मशीनों के जरिए यह पता लगाया जा सकेगा कि प्रत्येक पड़ाव पर कितने श्रद्धालु पहुंचे। कहां सबसे अधिक भीड़ है और किस स्थान पर भीड़ को डायवर्ट करने की जरूरत है। हेड काउंटिंग कैमरों की मदद से सिंहस्थ के लिए क्राउड मैनेजमेंट की प्रैक्टिकल रिहर्सल भी हो जाएगी।

क्राउड मैनेजमेंट को बेहतर बनाने के लिए इस बार पड़ाव स्थल सहित यात्रा रूट पर 6 जगह हेड काउंटिंग मशीनें लगाई गई हैं।

क्राउड मैनेजमेंट को बेहतर बनाने के लिए इस बार पड़ाव स्थल सहित यात्रा रूट पर 6 जगह हेड काउंटिंग मशीनें लगाई गई हैं।

ऑटोमैटिक मैसेजिंग सिस्टम भी लगाया गया

जिला पंचायत सीओ जयति सिंह ने बताया कि हेड काउंटिंग मशीन उन पड़ावों पर लगाई गई है, जहां लोग एक लाइन में निकल रहे हैं। ऐसी 6 जगह चिह्नित कर कैमरे लगाए गए हैं। इसका डेटा भी आना शुरू हो गया है। जिला पंचायत, जनपद पंचायत सहित पड़ाव पर भी कुल तीन जगह कंट्रोल रूम बनाकर मॉनिटरिंग कर रहे हैं। इस बार पंचक्रोशी मार्ग और पड़ाव पर हर जगह कैमरे लगाए हैं। पूरे रूट को सीसीटीवी से लैस किया गया है। इसके साथ ही सेमी ऑटोमैटिक मैसेजिंग सिस्टम लगाया गया है। जिसके माध्यम से एक ही जगह से सभी पड़ावों पर एक साथ मैसेज भेजे जा सकेंगे। हेड काउंटिंग कैमरों से सिंहस्थ की रिहर्सल की जा रही है। इन कैमरों की मदद से श्रद्धालुओं की गिनती हो सकेगी। भीड़ को डायवर्ट किया जा सकेगा। क्राउड मैनेजमेंट के लिए भीड़ बढ़ने के साथ ही तत्काल एक्शन लिया जा सकेगा।

पंचक्रोशी यात्रा मार्ग पर चाय, नाश्ते और निशुल्क भोजन की व्यवस्था भी की गई है।

पंचक्रोशी यात्रा मार्ग पर चाय, नाश्ते और निशुल्क भोजन की व्यवस्था भी की गई है।

अब जानिए पंचक्रोशी यात्रा का महत्व, इससे पहले जान लेते हैं वैशाख महीने का महत्व …

स्कंदपुराण में कहा गया है – ‘न माधवसमोमासोन कृतेनयुगंसम्‌।

अर्थात वैशाख के समान मास नहीं। सतयुग के समान युग नहीं। वेद के समान शास्त्र नहीं। गंगा के समान तीर्थ नहीं। भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय होने के कारण ही वैशाख उनके नाम माधव से जाना जाता है। जिस तरह सूर्य के उदित होने पर अंधकार नष्ट हो जाता है, उसी प्रकार वैशाख में श्रीहरि की उपासना से ज्ञानोदय होने पर पर अज्ञान का नाश होता है।

पंचक्रोशी यात्रा का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

हिंदू धर्मशास्त्रों में पंचक्रोशी यात्रा का बहुत महत्व है। वैशाख मास का महत्व माघ और कार्तिक मास के समान है। इस महीने में दान-पुण्य, स्नान और धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व है। वैशाख मास में स्नान के महत्व का उल्लेख पुराणों में भी है। मान्यता है, जो लोग इस महीने में दान-पुण्य या स्नान नहीं कर पाए, वे इस यात्रा में शामिल होकर या अंतिम पांच दिनों में स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। यही कारण है कि कई लोग यात्रा के लिए महाकाल की नगरी पहुंचते हैं। हालांकि ये यात्रा कब से शुरू हुई, इसका कोई सटीक उल्लेख नहीं है। फिर भी पंडितों का मानना है कि ये यात्रा अनादिकाल से चली आ रही है।

पंचक्रोशी यात्रा के लिए उज्जैन ही क्यों?

उज्जैन चौकोर आकार में बसा है। भगवान श्री महाकालेश्वर का स्थान मध्य में हैं। इस बिन्दु के अलग-अलग अंतर से शिव मंदिर स्थित हैं, जो द्वारपाल कहलाते हैं। इनमें पूर्व में पिंगलेश्वर, दक्षिण में कायावर्णेश्वर, पश्चिम में बिल्व केश्वर, उत्तर दिशा में दुर्दरेश्वर और नीलकंठेश्वर महादेव स्थित हैं। इन पांचों मंदिरों की दूरी करीब 118 किलोमीटर है। यात्रा के दौरान इन्हीं पांचों शिव मंदिरों की परिक्रमा कर क्षिप्रा नदी में स्नान करते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यात्रा के दौरान 33 कोटि देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।

पंचांग में 5 अंकों का महत्व

पंचांग में 5 अंकों का विशेष महत्व है। वार, तिथि, योग, नक्षत्र और करण। ये 5 अंक कहलाते हैं। इनमें से दो विशिष्ट की उपस्थिति भी अनुकूल होने से यात्रा शुभ मानी जाती है। श्रवण नक्षत्र भगवान विष्णु के संरक्षण में है और साध्य योग अपने आप में विशिष्ट की श्रेणी में आता है। यह यात्रा को साधने का अनुक्रम बनाता है।



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