दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय छत्रपति नगर में मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ने विशेष प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को जीवन उन्नति के लिए मिला है, लेकिन लोग इसे अवनति की ओर ले जा रहे हैं।
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मुनि श्री ने जीवन के पांच प्रमुख विषों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि विवाद, अज्ञान, ईर्ष्या, चिंता और कुटिलता जीवन को नष्ट करने वाले विष हैं। विशेष रूप से विवाद पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आजकल लोग छोटी-छोटी बातों पर विवाद कर अपनी ऊर्जा नष्ट करते हैं।
उन्होंने समझाया कि विवाद से कषाय और बैर पैदा होता है। यह जीवन की शांति को भंग करता है। बुद्धिमान व्यक्ति विवाद में नहीं पड़ते, बल्कि समाधान खोजते हैं। विवाद की स्थिति में ‘इग्नोराय नमः’ बोलकर मौन धारण करना चाहिए।
कार्यक्रम का शुभारंभ पंडित रमेशचंद बांझल के मंगलाचरण से हुआ। पूर्व आरटीओ पी.सी. जैन परिवार ने मुनि श्री का पाद प्रक्षालन किया। श्रीमती लता हीरालाल शाह ने मुनि श्री को शास्त्र भेंट किया। कार्यक्रम में कैलाश जैन नेताजी, वीरेंद्र देवरी, राजेश जैन दद्दू, डॉ. जैनेंद्र जैन, अरविंद सोधिया, राजेंद्र नायक और अखिलेश सोधीया सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। जिनालय ट्रस्ट के अध्यक्ष भूपेंद्र जैन ने कार्यक्रम का संचालन किया।