बिहार की फिजा में अलटन-पलटन का शोर-शराबा है। चौक-चौराहे पर बैठकी करने वाले भी एक्सपर्ट बन बैठे हैं। इन लोगों को खुराक देने के लिए राजनीतिक गलियारों से एक सनसनाती खबर आई, तेजस्वी यादव रात में अकेले में किसी से मिले हैं। कुछ दिन में कुछ बड़ा हो सकता है
.
दरअसल, ये मनगढ़ंत खबर तब फैली जब भागलपुर से अचानक रात को तेजस्वी यादव पटना लौटे। स्टेशन से सीधे गर्दनीबाग में धरना दे रहे BPSC कैंडिडेट्स से मिले और वहां से अपने MLC के भोज में होटल गए। इसके बाद वह अपने आवास पहुंचे। इतनी सूचना तक तो सब तथ्यों पर आधारित है। इसके बात की कहानी ने ही पूरे माहौल को चर्चा में लाया, जो तथ्यों पर कम कथनी पर आधारित थी।
कहा गया कि तेजस्वी अपने घर से रात में अकेले अपनी गाड़ी से निकल गए। पटना की सड़कों पर गाड़ी की स्टियरिंग खुद संभाल ली। पर्सनल गार्ड तक को गाड़ी में जगह नहीं दी। उन्हें राजवंशी नगर हनुमान मंदिर तक आते हुए देखा गया। इसके बाद फिल्मी स्टाइल में उन्होंने अपनी गाड़ी बदली और अचानक गायब हो गए। लोग उन्हें खोजते रहे, लेकिन वे कहीं नहीं मिले।
हालांकि, जब हमने पड़ताल की तो ये पूरी तरह फर्जी निकला। इस अफवाह के पीछे तेजस्वी के खास प्रवक्ता का खुरापाती दिमाग था। ये वही प्रवक्ता हैं, जिन्होंने पिछले चुनाव में पहले जीत का दावा किया और बाद में काउटिंग सेंटर से हारे हुए कैंडिडेट के रूप में बाहर निकले। अब फजीहत होने के बाद भागते फिर रहे हैं।
सुशासन बाबू चुप क्या हुए, कयासबाजी वाले तिकड़म में लग गए
सुशासन बाबू चुप हैं। उनकी लंबी चुप्पी से पक्ष और विपक्ष में बेचैनी है, क्योंकि उनका ट्रैक ही कुछ ऐसा है। जब-जब चुप होते हैं अपनी कुर्सी के बाद वाली कुर्सी के आदमी को बदल देते हैं। उनकी चुप्पी का फायदा विपक्ष के बड़बोले नेता भी उठा रहे हैं। जिनको अपने टिकट तक के लिए जुगाड़ लगानी पड़ती है वो उनको ऑफर दे रहे हैं। अपनी टीआरपी के लिए कुछ भी अलबल बोल रहे हैं। वो अपने को ऐसा लोगों के बीच दिखा रहे हैं, जैसे लगता है जब-जब पलटासन हुआ है उनसे पूछकर ही हुआ है।
हालांकि, इस बयानबाजी से अफसरशाही में हल्की ही सही, चर्चा तो जरूर है कि फिर से पलटी मारेंगे क्या! कुछ घाघ लोग इसके लिए तर्क भी गिना रहे हैं कि साहब वक्फ बोर्ड, वन नेशन वन इलेक्शन से लेकर अंबेडकर विवाद तक पर चूं तक नहीं बोले हैं।
अमित शाह के चुनाव बाद सीएम फेस तय होने के बयान के बाद भी साहब चुप हैं। वैसे चर्चा करने वाले ये जानते हैं कि जब-जब साहब चुप होते हैं कुछ कमाल करते हैं। लेकिन वो ये भी जानते हैं कि साहब उसमें के आदमी है कि वो राइट हेंड के काम को लेफ्ट हैंड को भनक तक नहीं लगने देते।
वैसे हमारी जानकारी है कि साहब इस बार नहीं पलटेंगे। बस दोनों तरफ से सीट के उलझे गणित को ठीक करने की कवायद की जा रही है। माने जिसको प्रेशर पॉलिटिक्स कहते हैं। वहीं विपक्ष वाले साहब को लेकर भ्रम फैलाना चाहते हैं ताकि अपना मार्केट भी बना रहे।
वैसे गिरिराज बाबू ने भारत रत्न की मांग करके उनके रिटायरमेंट की तरफ चर्चा को छेड़ दिया है। अब देखिए होता क्या है…पिछली बार जाड़ा में ही सब खेला हुआ था। वैसे साहब सिराहने चाणक्य नीति रखते हैं। आजकल उसको पढ़ भी ज्यादा रहे हैं।
स्टूडेंट्स के बैग में शराब तलाश रही है पुलिस
बिहार पुलिस के नैका कप्तान ने जब से मोर्चा संभाला है छोटका सब अधिकारी सड़क पर आए हैं। संदेश साफ है, अब खाली थाना में कुर्सी डंटाने से काम नहीं चलेगा। थानेदार हो या चौकीदार सबको अपनी ड्यूटी ईमानदारी से करनी होगी।
इसका असर ये हुआ है कि हाइवे पेट्रोलिंग से लेकर गली में निगरानी करने वाले छोटका सिपाही तक रेस हो गए हैं। संदिग्ध दिखते ही वे उसके पीछे दौड़ जा रहे हैं। इसका नुकसान आम जनता को भी उठाना पड़ रहा है। हुआ यूं कि पटना के एक वीवीआईपी इलाके में दो सिपाही बाइक से गश्ती पर थे। शाम को 9 बजे 12वीं क्लास का एक बच्चा ट्यूशन पढ़कर लौट रहा था।
साहब के मन में ये ख्याल आ गया कि बच्चा बैग में शराब छुपाकर होम डिलेवरी करने जा रहा है। बस क्या था वे बच्चे के पीछे दौड़ने लगे। गांव से शहर पढ़ने आया बच्चा अपने पीछे पुलिस को देखकर सहम कर भागने लगा।
पुलिस वाले ने झपट्टा मारकर उसका बैग दबोच लिया। बैग में किताब और पेन के अलावा कुछ नहीं मिला। जब बच्चों के गर्जियन आए तो पुलिस वाले साहब ने माना कि उनसे गलती हो गई। किसी तरह मामले को रफा-दफा किया गया।
प्रेग्नेंट सिपाही से परेशान हैं मेजर साहब
इन दिनों मेजर साहब प्रेग्नेंट महिलाओं से बहुत परेशान हैं। उनको समझ नहीं आ रहा कि करें क्या? जैसे कोई आदमी मिलता है बेचारे फट पड़ते हैं। अपनी समस्याओं का पिटारा खोल लेते हैं। कभी-कभी तो उनके अंदर के शब्द जुबान तक पर आ जाते हैं।
दरअसल हुआ यह है कि जहां सरकार बैठती हैं वहां की सुरक्षा में गर्भवती महिलाओं की ड्यूटी लगा दी गई है। सचिवालय सुरक्षा में तैनात 106 कॉन्स्टेबल में से 78 महिला सिपाही हैं। इसमें भी अधिकतर प्रेगनेंट हैं। बीमार और प्रेग्नेंट महिला सिपाही से मेजर साहब परेशान हो गए हैं। कहते हैं ये ना मैटरनिटी लाभ लेती है और ना ड्यूटी करती हैं। मेजर साहब कार्रवाई भी नहीं पा रहे हैं। अब ऐसे में बेचारा साहब करें तो क्या करें। कड़ई करेंगे तो नारी विरोधी कहलाएंगे। ऊपर से शिकायत अलग से। मेजर साहब का सीआर खराब भी होगा।
मेजर साहब ने अपनी बात एसएसपी तक पहुंचाई, लेकिन वहां भी मामला अटक गया। एसएसपी साहब तो खुद महिला सिपाही की छुट्टी की अर्जी से दुख में हैं।
बतकही में पिछले सप्ताह भी कई किस्से थे, पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
रात में DSP को आया लड़की का फोन:दिल्ली वाले साहेब के प्रेशर में बदले बिहार DGP,बड़का भाई की बोली के बाद प्रगति देखेंगे छोटका भाई