पंजाब के बादल के सरकारी अस्पताल में पटाखा फैक्ट्री में घायलों से बातचीत करते हुए कांग्रेस नेत्री अमृता बडिंग।
पंजाब के मुक्तसर के गांव सिंघेवाला में पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके में पांच जिंदगी खाक हो गई, जबकि 25 से ज्यादा लोग बठिंडा एम्स में जिंदगी की जंग लड़ रहे है। यह हादसा उस वक्त हुआ, जबकि फैक्ट्री के एक हिस्से में पटाखे बनाए जा रहे थे। बताया जा रहा है क
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कारीगर टिंकू बताते है-
फैक्ट्री में धमाके के बाद जहां पर पटाखे बनाने थे, वो शेड से बना गोदाम मलबे में बदल गया। पटाखों में जैसे ही आग लगने पर धमाका हुआ, पास की बिल्डिंग का गोदाम की तरफ लगता हिस्सा टूटकर नीचे आ गिरा। उनकी आंखों के सामने ही पलभर में पूरा एरिया मलबे में दब गया।
शुक्रवार को दैनिक भास्कर जब इस फैक्ट्री पर पहुंचा तो बिल्डिंग के नाम पर दो-तीन दीवारें ही नजर आए। पूरी छत ढह चुकी थी। वहां राहत दल की ओर से बचाव कार्य जारी था, जो देर रात तक चलता रहा। कैसे हुआ यह हादसा, कैसे लोगों ने अपनी जान बचाई और कौन इसके लिए जिम्मेदार? ऐसे ही कई सवालों के चौंकाने वाले जवाब चश्मदीदों टिंकू और अमित से मिले। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
300 पेटी पैक कर रखी, उन्हीं पर गिरी चिंगारी कारीगर अमित ने बताया कि रात करीब 12.30 से एक बजे का समय था। मैं और टिंकू दोनों ही काम के बाद सफाई कर रहे थे। उस समय हमने करीब 300 पटाखों की पेटी पैक कर रख दी थी, जिनका ऑर्डर आया था। हमारी कुछ देर में सोने की तैयारी थी। तभी अचानक ऊपर से चिंगारी आ गिरी। यह नहीं पता कि कहां से आई। पास के खेत में आग लग थी और नजदीक से ऊपर से बिजली की लाइन गुजर रही थी। वो चिंगारी पटाखों पर आ गिरी।
हम चिल्लाए, सब बाहर भागा, आग लग गई है अमित ने आगे बताया कि जैसे ही चिंगारी पटाखों की पेटियों पर गिरी, वैसे ही धमाके शुरू हो गए। हमने बाकी साथियों को आवाज लगाई और वहां से बाहर की ओर भागे। उस समय कोई ऊपर तो कोई नीचे कमरे में सोया हुआ था। सभी जान बचाने को सब कुछ छोड़ भागने लगे। कोई मलबे के नीचे दबा हुआ था तो किसी को ईंटें-पत्थर लगे थे। हर जगह चिल्लाने की आवाजें आ रही थी।
2-3 दीवारों को छोड़कर छत नीचे आ गिरी टिंकू ने बताया कि जिस जगह वह काम कर रहे थे, लंबाई में पोल्ट्री फार्म की तरह शेड लगा गोदाम टाइप बना हुआ था। आगे लगने पर धमाका होते ही शेड और लोहे के गाटर उखड़कर दूर जा गिरे और ईंटें भी बीच-बीच में टूटकर दूर जा गिरी। जब हम अपनी जान बचाने बाहर भाग रहे थे तो वह ईंटें भी कई लोगों को लगी। धमाके तेज हुए तो 2-3 दीवारों को छोड़कर छत नीचे आ गिरी। इसके मलबे में कई लोग दब गए।
आधा घंटा लगा बाहर निकलने में, एंबुलेंस पहुंची टिंकू ने आगे बताया कि करीब आधा घंटा लगा सभी को बाहर निकलने में। कुछ लोग मलबे के नीचे दबे थे। करीब एक से सवा घंटे बाद एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंची। उन सभी ने मिलकर उनको मलबे के नीचे से बाहर निकाला। चार लोगों की उसी समय मौत हो गई थी और एक दर्द और घायल अवस्था में तड़प रहा था। उस समय तक किसी को कुछ पता नहीं था कि कौन बच गया और कौन नहीं। एक तरफ उनकी आंखों में आंसू थे और दूसरी तरफ दर्द की पीड़ा थी।
फैक्ट्री मालिक आया, कुछ देर रुका, फिर फोन बंद किया अमित ने बताया कि फैक्ट्री मालिक भी करीब एक घंटे बाद आया। आते ही कुछ देर तक देखता रहा और दो से तीन लोगों को अस्पताल पहुंचाया। मगर बाद में उसका कोई पता नहीं लगा। मालिक ने न फोन उठाया तो न ही उनसे कोई संपर्क किया। कुछ देर बाद मालिक का फोन बंद आने लगा। हमें कुछ होश नहीं रहा। सिर्फ अपने-अपने लोगों को बचाने की लगी रही। इसके बाद उनमें किसी को बादल के सरकारी अस्पताल में पहुंचाया तो किसी को बठिंडा के सरकारी अस्पताल में पहुंचाया। देर शाम सात बजे तक भी उनको कोई पता नहीं चल पाया है कि कौन जीवित है तो कौन नहीं।
सब मलबे में दब गया, घरवालों से संपर्क भी नहीं टिंकू ने बताया कि हमारा सारा सामान वहीं मलबे में दब गया। किसी का फोन मलबे में दब कर खो गया तो कुछ तो कपड़े भी नहीं पहन पाए। किसी से संपर्क भी नहीं कर पा रहे। हम तो घरवालों को भी फोन नहीं कर पाए। किसी का हाथ टूट गया तो किसी का पांव, किसी को सिर पर तो किसी को पीठ पर चोट लगी। किसी वर्कर को सिर पर चोट लगी है तो किसी को पीठ पर। हादसे में आग की लपटों में काफी वर्कर झुलस गए। बारूद की आग में झुलसने से दर्द भी ज्यादा है।
एक माह की सैलरी भी नहीं मिली अमित और टिंकू ने बताया कि यह पटाखों की फैक्ट्री दिसंबर 2024 से चल रही थी। उनमें से कुछ वर्कर शुरू से काम कर रहे थे तो कुछ डेढ़ से दो माह पहले ही काम करने आए थे। काफी वर्करों की एक माह बीत जाने के बाद सैलरी भी नहीं मिली। दोनों ने बताया कि हमें पता चला है कि मालिक के पास लाइसेंस भी नहीं था और न ही कोई कागज।
अवैध रूप से चल रही फैक्ट्री के बारे में ये भी जानिए…
तरसेम की फैक्ट्री, यूपी का है ठेकेदार ग्रामीण जसपाल सिंह ने बताया कि यह फैक्टरी सिंघे वाला-फुतूहीवाला के तरसेम सिंह नामक व्यक्ति की है, जो मंजूरशुदा है। बताया जाता है कि फैक्टरी में पटाखे बनाने का काम उत्तर प्रदेश के हाथरस निवासी ठेकेदार राज कुमार के अधीन होता था। ठेकेदार घटना के बाद से फरार है। घटनास्थल पर कार्सेर कंपनी के बक्सों में तैयार पटाखे पड़े थे। विस्फोट की तेज आवाज कई किलोमीटर तक सुनी गई।
दो शिफ्टों में काम करते थे 40 कर्मचारी स्थानीय ग्रामीणों के अनुसान, फैक्ट्री 2 मंजिला थी। पहली मंजिल पर कुछ कमरे बने हुए थे। फैक्ट्री में ही सभी वर्करों के रहने की व्यवस्था की गई थी। मौके से बारूद और केमिकल मिला है। यहां दो शिफ्टों में करीब 40 कर्मचारी काम करते थे, जिनमें से कुछ अपने परिवारों के साथ यहां रहते थे। बताया जा रहा है कि अधिकतर कर्मचारी उत्तर प्रदेश और बिहार के थे। पांच लोगों की मौत हुई है। इनमें से अभी तक केवल एक 25 वर्षीय राहुल निवासी अलीगढ़, उत्तर प्रदेश की ही पहचान हो पाई है।
DC और SSP ने क्या कहा…
- पटाखा फैक्ट्री चलाने की नहीं थी अनुमति: DC अभिजीत कपलीश ने बताया कि पटाखा फैक्ट्री को प्रशासन की तरफ से चलाने की कोई अनुमति नहीं दी गई थी। प्रशासन की अभी पहली जिम्मेदारी जख्मियों का बेहतर इलाज करवाना है। फैक्ट्री की इन्क्वायरी करने के बाद आरोपियों पर जरूर कार्रवाई की जाएगी।
- धमाके के वक्त कुछ वर्कर काम कर रहे थे : मुक्तसर के SSP अखिल चौधरी ने कहा कि सुबह पुलिस को सूचना मिली थी। शुरुआती जांच में सामने आया कि यहां दो सेटअप किए हुए थे। एक तरफ पटाखे बनाए जा रहे थे, दूसरी तरफ उन्हें पैक किया जा रहा था। रात को पटाखों में आग लगी और धमाका हुआ। इससे बिल्डिंग गिर गई। तब कुछ वर्कर काम कर रहे थे।

सुखबीर बादल ने दिया सहायता का आश्वासन घायलों का हालचाल जानने के लिए शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख और पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बठिंडा बादल एम्स पहुंचे। उन्होंने सभी घायलों से मुलाकात कर उनका हाल जाना। सुखबीर बादल ने डॉक्टरों से कहा कि घायलों के इलाज में किसी भी तरह की कोताही न बरती जाए। आश्वासन दिया कि घायलों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो घायलों के उपचार का खर्च वह स्वयं वहन करेंगे।