JRC का सहयोगी संगठन ‘आस’ का बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता अभियान।
बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन (JRC) काम कर रहा है। वहीं, इंदौर में इसका सहयोगी संगठन ‘आस’ की ओर से बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान अक्षय तृतीया के अवसर पर चलाया जा रहा है और इस
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शहर के कई धार्मिक स्थलों के बाहर लगाए गए बोर्ड
संगठन का मानना है कि कोई भी बाल विवाह पंडित, मौलवी या पादरी पुरोहित के बिना संपन्न नहीं हो सकता। इसी कारण, इन्हें इस अभियान से जोड़ने का निर्णय लिया गया है। दो दिनों में शहर के कई धार्मिक स्थलों के बाहर ऐसे बोर्ड लगाए गए हैं, जिन पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि “यहां बाल विवाह की अनुमति नहीं है”।
JRC, 2030 तक देश को बाल विवाह से मुक्त करने के उद्देश्य से ‘चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया’ कैम्पेन चला रहा है।
JRC ‘चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया’ कैम्पेन चला रहा है।
2 लाख से अधिक रोके गए बाल विवाह, 5 करोड़ लोगों ने ली इसके खिलाफ शपथ
JRC, कानूनी हस्तक्षेपों के जरिए बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के 416 जिलों में 250 से अधिक नागरिक संगठनों के नेटवर्क के साथ काम कर रहा है। इस अभियान से अब तक 2 लाख से अधिक बाल विवाह रोके गए हैं और पांच करोड़ से अधिक लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई गई है।
संगठन का लक्ष्य 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत बनाना
इसके सहयोगी संगठन ‘आस’ ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर वर्ष 2023-24 में इंदौर जिले में अकेले 57 बाल विवाह रुकवाए हैं। यह संगठन 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए JRC के संस्थापक भुवन ऋभु की किताब ‘व्हेन चिल्ड्रन हैव चिल्ड्रन : टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरिज’ में सुझाई गई रणनीति के अनुसार कार्य कर रहा है।
भागीदारी देने पर दो साल तक की सजा और जुर्माना
संस्था के डायरेक्टर वसीम इक़बाल ने बताया कि आज भी देश में बाल विवाह के खिलाफ पर्याप्त जागरूकता नहीं है। अधिकांश लोगों को यह पता नहीं है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA), 2006 के तहत एक दंडनीय अपराध है। इस कानून के मुताबिक, बाल विवाह में किसी भी प्रकार की भागीदारी या सेवा देने पर दो साल तक की सजा, जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।
इसमें बाराती, लड़की के परिजनों के अलावा, कैटरर, डेकोरेटर, हलवाई और माली शामिल हैं। बैंड वाले और मैरिज हॉल मालिक भी जिम्मेदार माने जाएंगे। यहां तक कि विवाह कराने वाले पंडित या मौलवी को भी दोषी माना जाएगा। सभी को सजा और जुर्माना हो सकता है।
समन्यक राहुल गोठाने ने बताया कि धर्मगुरुओं और पुरोहितों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसका कारण है कि ये विवाह में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 18 साल से कम उम्र की लड़की से वैवाहिक संबंध में यौन संबंध बनाना अपराध है। यह पॉक्सो अधिनियम के तहत बलात्कार की श्रेणी में आता है।
आज पंडित और मौलवी इस बात को समझते हुए न केवल इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं, बल्कि स्वयं आगे आकर बाल विवाह को रोकने की शपथ भी ले रहे हैं।