कहते हैं कला कहानियां कहती हैं, इतिहास कहती है, भविष्य बताती हैं….। इसी कड़ी में इंदौर में एक बार फिर कला, संस्कृति और परंपरा का अद्वितीय संगम ‘लोकोत्सव 2024’ आयोजित किया जा रहा है। 25 से 31 दिसंबर तक ऐतिहासिक धरोहर लालबाग पैलेस में आयोजित यह सात द
.
पारंपरिक नृत्य, संगीत और नाटकों के प्रदर्शन होंगे
लोकोत्सव 2024 की आयोजक अनंत जीवन सेवा एवं शोध समिति ज्योति कुमरावत ने कहा- “इस उत्सव का उद्देश्य भारत की विविध कला और संस्कृति को प्रोत्साहित करना है, और शिल्पकारों और कलाकारों को उनकी कला के लिए एक नया मंच प्रदान करना भी है। यह उत्सव समाज को अपनी जड़ों से जोड़ने का प्रयास है।” उत्सव में देशभर से आए प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा पारंपरिक नृत्य, संगीत और नाटकों के प्रदर्शन, हस्तशिल्प, लकड़ी के काम, जरी कढ़ाई, मिट्टी के बर्तन, और अन्य शिल्पकृतियों की प्रदर्शनी और बिक्री, भारत के विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध व्यंजनों का स्वाद, जिसमें राजस्थानी, पंजाबी, दक्षिण भारतीय, और स्थानीय मालवी व्यंजन शामिल होंगे।
पशमीना शॉल, लेदर जैकेट, ड्राई फ्रूट सहित कई वस्तुएं मिलेंगी
उत्सव प्रेमियों को इस सात दिवसीय उत्सव में कश्मीर का पशमीना शॉल, लेदर जैकेट, ड्राई फ्रूट, लखनऊ का चिकन वर्क, खादी के कुर्ते एवं शर्ट, भागलपुर का सिल्क, ड्रेस मटेरियल एवं सूट्स, दिल्ली की ज्वेलरी बुटिक प्रिंट, ब्लॉक प्रिंट, सहारनपुर का फर्नीचर, इमिटेशन ज्वेलरी एवं बैंगल्स, खुर्जा के चीनी मिट्टी के बर्तन एवं आकर्षक गमले, बनारसी साड़ियां एवं सूट, चंदेरी एवं महेश्वरी साड़ियां एवं सूट, बाग प्रिंट, पश्चिम बंगाल का कथा वर्क, भदोही का कारपेट, हैदराबादी पर्ल ज्वेलरी, पटियाला जूती, खादी के हर्बल प्रोडक्ट, केकड़ा की बेडशीट इत्यादि देखने, ट्राय करने और खरीदने का मौक़ा मिलेगा।
बच्चों के लिए होंगे मनोरंजन झूले, खेल
बच्चों के लिए मनोरंजन झूले, खेल और बच्चों के लिए विशेष कार्यशालाएं और शिल्पकारों, रसोइयों और कलाकारों द्वारा कला, शिल्प और पाक – कला की बारीकियों पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।