कानपुर की क्राइम ब्रांच ने बीमा के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का खुलासा किया है। गैंग के पांच शातिरों को अरेस्ट करके जेल भेज दिया है। पकड़े गए शातिरों ने श्याम लीला अपार्टमेंट गीता नगर में रहने वाले कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अरविंद कुमार से 5.50 ल
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पॉलिसी मैच्योरिटी के फर्जी दस्तावेज भेजकर जमाते थे विश्वास
एडीसीपी क्राइम मनीष सोनकर ने बताया कि श्याम लीला अपार्टमेंट गीता नगर में रहने वाले अरविंद कुमार रिसर्च कृषि विभाग बाराबंकी में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात हैं। अरविंद ने अपनी पत्नी के नाम पर 8 बीमा पॉलिसी मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से ले रखी थी, लेकिन कोविड के दौरान किश्तें नहीं जमा करने पर चार पॉलिसी लेप्स हो गई थीं। बीते 24 सितंबर 2024 को अरविंद के पास एक अनजान नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने बताया कि आपकी मैक्स लाइफ इंश्योरेंस की 4 पॉलिसी जो लेप्स हो गई हैं, उनकी मेच्योरिटी 1 करोड़ से ज्यादा मिल सकती है। इसके लिए उन्हें अलग-अलग मदों में करीब 10 लाख रुपए जमा करना होगा।
इसके बाद शातिरों ने करीब 5.50 लाख जमा भी करा लिया और मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के फर्जी दस्तावेज भी भेज दिया। करीब 15 दिन में अलग-अलग मदों में यह सब रकम जमा कराई, संदेह होने पर जांच कराई तो पता चला कि उनके साथ ठगी हो गई है, यह कोई गैंग है। जो फर्जी बीमा कंपनी का अफसर बनकर ठगी की है। इसके बाद 28 नवंबर को अरविंद कुमार ने साइबर थाने में ठगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
25 से 30 साल के युवा गैंग बनाकर कर रहे थे ठगी
मामले की जांच कर रही क्राइमब्रांच ने ठगी करने वाले गिराेह तक पहुंच गई और दिल्ली के रमेश नगर से कॉल सेंटर फरीदाबाद निवासी 30 साल के विशाल कपूर, निहाल विहार दिल्ली निवासी 28 साल के तौफीक, मोतीनगर दिल्ली निवासी 24 साल के रमेश चौधरी, तिलक नगर दिल्ली निवासी 24 साल के ऋषभ और अस्पताल रोड उत्तम नगर दिल्ली निवासी 21 साल के साहिल को अरेस्ट कर लिया।
जांच के पता चला कि शातिरों ने ठगी का कॉल सेंटर खोल रखा है। शातिरों के गैंग ने AMSR वेल्थ क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी बना रखी थी। शातिरों ने जस्ट डायल से बंद पॉलिसियों का डेटा खरीद रखा था। इसी बंद पॉलिसी के डेटा से पॉलिसी धारक को कॉल करके उसे संबंधित कंपनी का अफसर बनकर झांसे में लेते और फिर ठगी को अंजाम देते थे। पांचों शातिरों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया।
यह माल कॉल सेंटर से हुआ बरामद
41 मोबाइल, 1 डेस्कटॉप, 1 लैपटॉप, 1 प्रिंटर, 3 पेन ड्राइव, 4 वाईफाई राउटर, 4 स्टांप, 4 आईडी कार्ड, 3 प्री एक्टिवेटेड सिम और 1.60 लाख रुपए बरामद किया है।
शातिरों के अपराध का तरीका
पूछताछ में शातिरों ने बताया कि सबसे पहले हम लोग साथ मिलकर रुकी हुई बीमा पॉलिसी का डेटा ओपन सोर्स Just Dial व अन्य बेबसाइटों से प्राप्त करते है। फिर हम लोगों द्वारा फर्जी प्री एक्टेवेटेड सिम से काल कर पॉलिसी धारकों को उनकी पालिसी को चालू करने व अधिक मिच्योरिटी देने का लालच देते हुए लोगों को विश्वास में लेकर उनके साथ साइबर धोखाधडी कर उनसे रुपया ठगकर विभिन्न खातों में ट्रांसफर कराते है। जिसके बाद फर्जी रसीद लैपटॉप व डेस्कटॉप से तैयार कर ऑफिस में लगे प्रिन्टर से प्रिन्ट कर लोगो को उनके मोबाइल नम्बर पर वाट्सएप कर देते हैं। जिससे लोगों को विश्वास हो जाता है तत्पश्चात हम लोग हमारे द्वारा उपयोग में लाये गए मोबाइल नम्बर को बंद कर देते है तथा उपयोग की गयी सिम तथा मोबाइल फोन को तोड देते है तथा उन्हे कही भी नदी नाले में फेक देते हैं।
इससे कि हम लोग पकडे़ न जाएं तथा कही की भी पुलिस हम लोगो को ट्रेस न कर सके। ये जो मोबाइल फोन हम लोगो के पास है ये फोन हम लोग ठगी के लिए ही इस्तेमाल कर रहे है तथा ये जो डाटा है इसी डाटा में दिए गए मोबाइल नम्बर पर हम लोग इन्ही मोबाइल से लोगों को काल करते हैं। काल करने के दौरान हम लोगो को उनका नाम व रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर, पालिसी नम्बर व जन्म तिथि व पालिसी धारक का पता व पालिसी प्रीमियम की धनराशि बताते है जिससे पालिसी धारक पूर्ण विश्वास में आ जाते है उन्हें लगता है कि ये आरिजनल कम्पनी की ओर से काल है इसके बाद हम लोग पालिसी को मेच्योर व रिइश्यू आदि के नाम पर अधिक लाभ का झासा देते हुए पालिसी धारको से पैसो को हमारे द्वारा पूर्व से अर्चित किए गए बैंक खातो में डलवाकर ठगी कर लेते है।