Friday, May 30, 2025
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इन बुराइयों से बचें, वरना जीवन बन जाएगा नर्क, जानें गीता में बताई गई ये 4 अनमोल सीख


Gita Updesh in Hindi: श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन को समझने और सही दिशा में ले जाने वाला रास्ता है. इसमें जीवन के हर पहलू का गहराई से वर्णन किया गया है- चाहे वो कर्म हो, धर्म हो, या व्यवहार. भगवान श्रीकृष्ण ने जो ज्ञान अर्जुन को युद्धभूमि में दिया, वह सिर्फ युद्ध के लिए नहीं, बल्कि हर इंसान के दैनिक जीवन के लिए भी मार्गदर्शक है. गीता के श्लोक सिर्फ पवित्र शब्द नहीं हैं, बल्कि वे ऐसे मार्गदर्शक हैं जो हर परिस्थिति में इंसान को सही फैसला लेने में मदद करते हैं. यह ग्रंथ बताता है कि बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, अंत में जीत सत्य की ही होती है. गीता में यह भी समझाया गया है कि जीवन में मोह, लोभ, क्रोध और अहंकार से कैसे दूर रहा जाए. भगवद गीता का हर श्लोक एक गहरा संदेश देता है कि  कैसे जीना है, किससे बचना है और किस राह पर चलना है. कई बातें ऐसी हैं, जिनसे अगर हम समय रहते दूर हो जाएं, तो जीवन में दुख, तनाव और बर्बादी से बचा जा सकता है.

1. मेहनत से कमाई गई रोटी सबसे पवित्र होती है
भगवान श्रीकृष्ण ने साफ कहा है कि जो खाना अपनी ईमानदारी और मेहनत से कमाया गया हो, वही शरीर और आत्मा को संतोष देता है. अगर कोई किसी को धोखा देकर, छल से या किसी और की चीज हड़पकर खाता है, तो ऐसा भोजन ना तो शरीर को लगता है और ना ही मन को सुकून देता है. ऐसी कमाई से घर नहीं चलता, घर उजड़ता है. मेहनत की कमाई भले कम हो, लेकिन उसमें आत्म-संतोष और सच्ची खुशी होती है. यही भोजन शरीर को शक्ति देता है और मन को स्थिरता.

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2. गलत तरीके से कमाया गया पैसा साथ नहीं देता
अक्सर लोग सोचते हैं कि पैसा किसी भी तरह आए, बस आ जाए, लेकिन भगवद गीता में कहा गया है कि जो धन बेईमानी से आता है, वह हमेशा मुसीबतें लेकर आता है. ऐसा पैसा दिखता है बहुत, लेकिन टिकता नहीं है. कभी बीमारी, कभी झगड़ा, तो कभी अपनों से दूरी, ये सब उसी गलत कमाई का असर होता है. ऐसा धन न रिश्तों में सुख देता है, न घर में चैन. जब धन का स्रोत सही हो, तो जीवन में शांति और संतुलन बना रहता है. इसलिए सच्चाई और ईमानदारी से कमाया गया धन ही टिकाऊ और लाभकारी होता है.

3. किसी पराई स्त्री को गलत नजर से देखना भारी पड़ता है
श्रीकृष्ण ने भगवद गीता में यह भी बताया है कि किसी और की पत्नी या स्त्री को गलत नजर से देखना पाप है. ऐसा करने वाला इंसान धीरे-धीरे अपनी आत्मा की शांति खो देता है. उसका चरित्र गिरता है, रिश्ते टूटते हैं और समाज में उसकी इज्जत खत्म हो जाती है. इस प्रकार की सोच इंसान को मानसिक रूप से भी कमजोर करती है. हर स्त्री को वही सम्मान मिलना चाहिए जो हम अपनी मां, बहन या बेटी को देते हैं. यही सच्चे धर्म और संस्कार का परिचायक है.

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4. झूठ और कपट से बचना जरूरी है
कई बार लोग झूठ बोलकर, दूसरों को नुकसान पहुंचाकर आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन भगवत गीता में कहा गया है कि झूठ की उम्र बहुत छोटी होती है. सच भले धीरे चलता है, लेकिन वह कभी हारता नहीं. जो इंसान छल करता है, वह खुद ही अपने दुखों का कारण बनता है. जब कोई अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को धोखा देता है, तो अंततः उसे ही सबसे ज्यादा कष्ट झेलना पड़ता है. सत्य और नैतिकता की राह कठिन जरूर होती है, लेकिन वही अंत में सच्ची विजय दिलाती है.



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