पटना के फुलवारी शरीफ स्थित इमारत-ए-शरिया मुख्यालय में नेतृत्व को लेकर शनिवार को जमकर बवाल हुआ। अमीर ए शरियत और नाजिम के पद पर कब्जा को लेकर दो गुटों के बीच धक्का-मुक्की हो गई। पूर्व सचिव शिबली अलकासमी और पूर्व अमीर ए शरीयत के दावेदार अनीसुर रहमान कास
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विवाद बढ़ने पर एसडीपीओ सदर गौरव कुमार, फुलवारी शरीफ एसडीपीओ सुनील कुमार दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। दोनों गुटों को समझा-बुझाकर मामले को शांत कराया। मामले की गंभीरता को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है।
एक गुट मौजूदा अमीर-ए-शरीयत हजरत अहमद वली फैसल रहमानी का तो दूसरा कार्यवाहक नाजिम पद से हटाए गए मौलाना शिबली अलकासमी, पूर्व नाजिम मौलाना अनिसुर रहमान कासमी, पूर्व सांसद अशफाक करीम का था।
इमारत-ए-शरिया मुख्यालय में नेतृत्व को लेकर विवाद।
विदेशी नागरिकता की बात कहकर हटाया
पूर्व सचिव शिबली अलकासमी ने कहा कि वली फैसल रहमानी के पास विदेशी नागरिकता है। इसी वजह से उन्हें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव और सदस्य से कुछ माह पहले हटा दिया गया था। वे आलिम भी नहीं हैं। इमारत के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने बहुमत से हजरत अहमद वली फैसल रहमानी को पद से हटा दिया। उनकी जगह पूर्व नाजिम मौलाना अनिसुर रहमान कासमी को अमीर बना दिया और मुझे नाजिम बनाया।
जदयू नेता कब्जा करने आए थे
इधर, मौलाना फैसल रहमानी गुट की ओर से जारी बयान के अनुसार, इमारत वक्फ संशोधन विधेयक का शुरू से विरोध कर रही है। गर्दनीबाग में 26 मार्च को धरना-प्रदर्शन कामयाब रहा। इस वजह से जदयू के नेता बौखलाए हुए हैं। जदयू के नेता देश की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम संस्था इमारत पर कब्जा करने आए थे। लेकिन स्थानीय लोगों ने विरोध कर दिया। इमारत पर हुए इस हमले में पुलिसकर्मियों और जदयू नेताओं का पूरा समर्थन था।

शनिवार को फुलवारी शरीफ स्थित इमारत-ए-शरिया मुख्यालय में जमकर बवाल हुआ।
मुस्लिम लीग को कमजोर करने की साजिश
उलमा ए किराम और सामाजिक संगठनों ने इस घटना को असंवैधानिक बताया है। संगठन का कहना है कि मुस्लिम लीग को कमजोर करने की साजिश है। आगामी चुनाव में इसका असर देखने को मिलेगा। इमारत एक शरिया को डरा-धमकाकर चुप नहीं रख सकते हैं। देश की पवित्रता, स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए लड़ता रहेगा।