बिहार शरीफ के दिव्या ज्योति अस्पताल पर एक मरीज के परिजनों ने इलाज में लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया है। परिजनों ने सोमवार को मामले को लेकर अस्पताल के सामने जमकर हंगामा किया। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस मामले को शांत कराने के लिए बातचीत कर रही है।
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जानकारी के अनुसार, मरीज की तबीयत खराब होने पर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका गॉलब्लैडर का ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद हालत गंभीर होने पर रेफर कर दिया गया था ,दूसरे अस्पताल में जाने के बाद परिजनों को मालूम हुआ कि मरीज कोमा में जा चुका है और उनके शरीर में पथरी अभी भी है। मरीज के शरीर में कहीं और ऑपरेशन किया गया था।
पीड़ित मरीज नूरसराय प्रखंड के होरिल बिगहा निवासी श्याम सुंदर प्रसाद हैं। जिनकी गॉलब्लैडर ऑपरेशन के बाद उनकी हालत बिगड़ गई और वह पिछले तीन महीनों से कोमा में हैं। इस मामले को लेकर सोमवार को मरीज के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया, जिसके बाद पुलिस को बुलाना पड़ा।
बेटे ने कहा- गॉलब्लैडर की जगह किसी और अंग का ऑपरेशन
श्याम सुंदर प्रसाद के पुत्र प्रभात कुमार ने बताया कि 27 दिसंबर को हमने अपने पिता को गॉल ब्लेडर में स्टोन के ऑपरेशन के लिए दिव्या ज्योति अस्पताल में भर्ती कराया था। ऑपरेशन के लगभग 6 घंटे बाद डॉक्टरों ने बताया कि मरीज को हिचकी आ रही है और बेड पर एक्स-रे की सुविधा उपलब्ध नहीं है, इसलिए उन्हें हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है।
जब हम उन्हें पटना के एक निजी अस्पताल में ले गए, तब पता चला कि वह कोमा में चले गए हैं और गॉलब्लैडर में अभी भी स्टोन मौजूद है। पिछले 3 महीने से मेरे पिता कोमा में हैं और अब तक करीब 10 लाख रुपए से अधिक का खर्च इलाज में हो चुका है।


बेटे ने आरोप लगाते हुए कहा है कि अस्पताल के डॉक्टरों ने न केवल इलाज में लापरवाही बरती, बल्कि यह भी स्पष्ट नहीं किया कि गॉलब्लैडर की जगह शरीर के किस अंग का ऑपरेशन किया गया।
लोजपा जिलाध्यक्ष ने की क्लिनिक की जांच की मांग
लोजपा रामविलास के जिला अध्यक्ष सत्येंद्र मुकुट ने इस मामले में कहा कि इस क्लिनिक की जांच होनी चाहिए और यह पता लगाया जाना चाहिए कि गॉल ब्लेडर के नाम पर शरीर के किस भाग का ऑपरेशन किया गया है, और ऑपरेशन के बावजूद मरीज के अंदर अभी भी स्टोन कैसे मौजूद है।

हंगामा करते परिजन को समझाती पुलिस।
अस्पताल प्रबंधक ने सभी आरोपों को कहा बेबुनियाद
जब इस मामले में अस्पताल प्रबंधन से संपर्क किया, तो अस्पताल प्रबंधक डॉ. अमरेंद्र कुमार ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि करीब 3 महीने पहले मरीज को गॉल ब्लेडर में पथरी का ऑपरेशन करने के लिए परिजन लेकर आए थे। ऑपरेशन के बीच में ही मरीज का पल्स डाउन होने लगा और मामला क्रिटिकल हो गया।
जिसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया और फिर पटना रेफर किया गया। मरीज के परिजनों द्वारा लगाए जा रहे आरोप बेबुनियाद हैं।
लिखित आवेदन मिलने पर होगी जांच
सदर एसडीओ काजले वैभव नितिन ने इस संबंध में बताया कि इलाज में लापरवाही से मरीज की हालत गंभीर का मामला प्रकाश में आया है। लिखित शिकायत मिलने पर नालंदा सिविल सर्जन से पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी।