Thursday, March 20, 2025
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इस साल भी यूनेस्को सूची में शामिल नहीं होगी गेर: इंदौर में रंगपंचमी के उत्सव को पहले नेशनल इन्वेंट्री में शामिल होना जरूरी; 10 पैरामीटर में होगी जांच – Indore News


रंगपंचमी पर इंदौर में निकलने वाली पारंपरिक गेर का इस साल भी यूनेस्को की सूची में आना मुश्किल है। हांलाकि जिला प्रशासन ने पिछले साल की तरह ही इस साल भी गेर को यूनेस्को में सांस्कृतिक धरोहर के रूप में दर्ज करवाने का प्रस्ताव भेजा है। लेकिन यूनेस्को की

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भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अभी इंदौर की गेर को यूनेस्को में भेजना का कोई प्रस्ताव मंत्रालय के पास नहीं है। वहीं पूरे मामले को लेकर संस्कृति मंत्रालय में पदस्थ अपर सचिव मोनिका राय ने बताया कि इंदौर की गेर का कोई प्रस्ताव संस्कृति मंत्रालय के पास आया है या नहीं इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

राय ने कहा कि यूनेस्को की सूची में शामिल होने के लिए सबसे जरूरी भारत के नेशनल इन्वेंट्री में शामिल होना जरूरी है। इसके लिए एक्सपर्ट के द्वारा एग्जामिन किया जाता है। फिर यूनेस्को में एलिजिब्लिटी के आधार पर नामांकन होता है। राय ने बताया कि यूनेस्को द्वारा दो साल में एक बार भारत या अन्य देश की किसी धरोहर को शामिल किया जाता है।

कमेटी तय करेगी

इंदौर सांसद शंकर लालवानी ने इंदौर की गेर को यूनेस्को में शामिल करने के लिए 2024 में संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉक्टर संध्या पुरेचा से मुलाकात कर आगे की प्रकिया करने के लिए आग्रह किया था। जिस पर पिछले साल पुरेचा ने पॉजिटीव रिस्पांस दिखाया था।

दैनिक भास्कर के सवाल, क्या इस बार यूनेस्को की सूची में इंदौर की गेर शामिल होगी? के​ जवाब में डॉ. संध्या पूरेचा से कहा कि अभी तो इसे नेशनल इन्वेंट्री में शामिल करने के लिए पहले कमेटी तय करेगी। इसके बाद यूनेस्को की प्रोसेस होती है।

नेशनल इन्वेंट्री में शामिल होने की प्रकिया शुरू

दैनिक भास्कर ने संगीत नाटक अकादमी के सचिव राजू दास से बात की तो उन्होंने बताया कि अभी इंदौर की प्रसिद्ध गेर को नेशनल इन्वेंट्री में शामिल करने की प्रकिया चल रही है। हमनें कमेटी के पास प्रस्ताव भेजा है। जल्द ही इसको लेकर कमेटी की मीटिंग होना है। इंदौर की गेर पहले नेशनल इन्वेंट्री में शामिल होगी उसके बाद ही संस्कृति मंत्रालय से यूनेस्को में शामिल करने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। सूत्रों की मानें तो इस साल इंदौर की गेर का यूनेस्को की सूची में शामिल होना मुश्किल है।

जिला प्रशासन ने भेजा यूनेस्को को प्रस्ताव

अपर कलेक्टर रोशन रॉय ने बताया कि पिछली बार भी हमारी टीम की यूनेस्को से इंदौर की गेर को लेकर मीटिंग हुई थी। जिसके बाद हमनें उनके मापदंड के आधार पर कार्यवाही सुनिश्चित की थी। इस बार भी हम प्रयासरत है कि हमारी तैयारियों के आधार यूनेस्को में चयनित हो। हमनें हमारी तरफ से इस साल पूरी तैयारी कर ली है। हमारी कोशिश यही है कि इंदौर की गेर यूनेस्को में सम्मिलित हो हमने इंदौर की गेर के सभी तथ्यों से यूनेस्को की टीम को अवगत कराया है।

यूनेस्को में शामिल होने की यह है प्रकिया

सांस्कृति मंत्रालय के मुताबिक यूनेस्को की सूची में आने के लिए सबसे पहले राष्ट्रीय धरोहर में शामिल होना जरूरी है। उसके बाद ही यूनेस्काे में जगह मिलती है। वहीं विश्व धरोहरों को चुनने के लिए यूनेस्को के पास फिलहाल दस ऐसे पैमाने हैं, जिनमें से कम से कम किसी एक पर खरा उतरने पर किसी स्थल या स्मारक या सांस्कृतिक धरोहर को को विश्व धरोहर की सूची में रखने पर विचार किया जा सकता है। इन पैमानों को समय समय पर अपडेट किया जाता है और फिर कई देशों के प्रतिनिधि मिलकर इन पर विचार करते हैं।

यूनेस्को सूची में शामिल होने के पैरामीटर

  • मानव रचित बेहतरीन शाहकार हो।
  • विचाराधीन स्थल या स्मारक, पुरातत्व कला, तकनीक या शिल्प के विकास पर किसी खास समय के दौरान दुनिया के सांस्कृतिक परिदृश्य में मानवीय मूल्यों का महत्वपूर्ण आदान प्रदान करने वाला रहा हो।
  • गुम हो चुकी या जीवित किसी सभ्यता या किसी सांस्कृतिक परंपरा में उसका कोई अनूठापन हो।
  • निर्माण का ऐसा बेहतरीन उदाहरण, जो ऐसी वास्तुकला, स्थापत्य कला या तकनीक या प्राकृतिक भूदृश्य का नमूना हो, जो मानवता के इतिहास में किसी उल्लेखनीय चरण को दर्शाता हो।
  • किसी सभ्यता का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई भूभाग, समुद्री भाग या पारंपरिक मानव निर्मित कला का बेहतरीन नमूना हो, या अचल बदलाव के असर के कारण भले ही असुरक्षित हो चुका कोई ऐसा नमूना हो, जिसका पर्यावरण और मानवीयता के बीच कोई खास संबंध रहा हो।
  • बेहतरीन वैश्विक मूल्यों वाले कलात्मक, साहित्यिक काम के साथ किसी विचार, परंपरा या आस्था से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा कोई नमूना हो। (यूनेस्को की समिति को निर्देश है कि इस पैमाने को दूसरे पैमानों के साथ जोड़कर ही विचार करे।)
  • प्राकृतिक संरचना अद्वितीय श्रेणी की हो या अनूठी सुंदरता या सौंदर्य के लिहाज़ से महत्वपूर्ण हो।
  • जीवन के विकास समेत पृथ्वी के इतिहास के किसी खास चरण का प्रतिनिधित्व करने वाली कोई संरचना, जो किसी खास भूभाग के विकास के लिहाज़ से जारी भूगर्भीय प्रक्रिया में महत्वपूर्ण हो या उसका जियोग्राफिक या फिजियोग्राफिक महत्व हो।
  • जीवों व वनस्पति के समुदाय और भूभाग, जल, तट या समुद्री इकोसिस्टम के विकास की प्रक्रिया में जारी इकोलॉजिकल या बायोलॉजिकल प्रक्रिया में कोई प्रतिनिधि या महत्वपूर्ण नमूना हो।
  • जैविक विविधता के यथास्थान संरक्षण के लिए प्राकृतिक हैबिटेट के नजरिए से महत्वपूर्ण हो। इसमें विज्ञान या संरक्षण के नजरिए से वैश्विक मूल्यों वाली अस्तित्व के संकट से जूझ रही प्रजातियां भी शामिल हैं।

बदलते रहते हैं ये पैमाने

विश्व धरोहर चुनने के लिए यूनेस्को ने ये ऑपरेशनल गाइडलाइन्स बनाई हैं, जिनके आधार पर यूनेस्को के सम्मेलन में विचार किया जाता है। नियमित तौर पर इन कसौटियों की समीक्षा होती रहती है और बदलते समय के साथ इनमें बदलाव किया जाता है। जैसे 2004 के अंत तक विश्व धरोहरों को चुनने के लिए छह सांस्कृतिक और चार प्राकृतिक पैमाने निर्धारित थे। फिर इन गाइडलाइन्स को अपडेट किया गया और अब दस पैमानों का केवल एक सेट है, जिसके आधार पर विचार कर विश्व धरोहर का चयन किया जाता है।

कैसे चुनी जाती हैं हेरिटेज साइट्स?

किसी जगह को उसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की वजह से विश्व धरोहर स्थल (वर्ल्ड हेरिटेज साइट) में शामिल किया जाता है। दो संगठनों अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद और विश्व संरक्षण संघ इसका पूरा आकलन करते हैं। जांच-निरीक्षण के बाद इसे हेरिटेज लिस्ट में शामिल करने की सिफारिश विश्व धरोहर समिति से की जाती है। यह समिति साल में एक बार बैठती है और निर्णय लेती है कि जिन स्थलों को नामांकित किया गया है उन्हें विश्व धरोहर सूची में शामिल करना है या नहीं। वर्ल्ड हेरिटेज साइट में ऐतिहासिक भवन, शहर, रेगिस्तान, जंगल, द्वीप, झील, स्मारक, पहाड़ आदि शामिल हो सकते हैं।

यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल होने के फायदे

इसका सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि उस जगह का नाम पूरी दुनिया में मशहूर हो जाता है। जिससे उस जगह का पर्यटन में इजाफा होता है। वहां रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं। पर्यटकों के बढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होता है। ऐसे कई देश हैं जो विरासतों के मामले में तो धनी है, लेकिन उनके रख-रखाव के लिए उनके पास संसाधनों की कमी है। ऐसे में यूनेस्को उन स्थलों की देखरेख की जिम्मेदारी उठाता है। किसी जगह को विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल करने का मुख्य उद्देश्य उसके अस्तित्व को बचाना है। जिससे वो अनदेखी या लापरवाही का शिकार होकर खत्म न हो जाए।

बैलगाड़ी से हुई थी गेर की शुरुआत

गेर आयोजक कमलेश खंडेलवाल ने बताया कि आज से 75 साल पहले उनके पिता प्रेमस्वरूप खंडेलवाल, बाबूलाल गिरी और सत्यनारायण सत्तन साहब ने मिलकर इंदौर में गेर की शुरुआत की थी। बैलगाड़ी से शुरू हुआ गेमिसाइल, टैंकर, डीजे सहित मॉडर्न साधनों तक पहुंच चुका है। इस गेर की पहचान पूरे देशभर में है।

गेर आयोजक शेखर गिरी ने बताया कि गेर 48 और 50 के दशक में बाबूलाल गिरी और छोटे लाल गिरी ने निकाली थी। हमारी एक पीढ़ी गेर निकाल चुकी है। दूसरी पीढ़ी गेर का संचालन कर रही है। मेरे बाद भी मेरे भाई और भतीजे भविष्य में गेर को निकालेंगे।

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इंदौर की गेर के लिए 370लोगों ने छतें बुक कराईं:टैंकरों से उड़ेगा 25 हजार किलो गुलाल-रंग; 75 साल पहले मिसाइल से हुई थी शुरुआत

देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में रंगपंचमी पर होने वाली विश्वप्रसिद्ध पारंपरिक गेर बुधवार को निकलेगी। करीब 3 किलोमीटर लंबी गेर में मुख्यमंत्री मोहन यादव, एनआरआई सहित लाखों लोग शामिल होंगे। इसमें लाखों लीटर पानी और हजारों किलो गुलाल-रंग लोगों पर उड़ाया जाएगा। नाच-गाने के लिए डीजे रहेंगे।

ये तस्वीर पिछले साल की है, जब एक शख्स की तबीयत बिगड़ने पर उसे गेर के बीच से एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया जा रहा था।

इस बार तीन गेर और एक फाग यात्रा निकलेगी, 370 लोगों ने छत बुक कराई हैं। राजवाड़ा को ढंका गया है, ताकि रंगों के कारण वह खराब न हो। आयोजकों से लेकर प्रशासन, सभी ने गेर की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पुलिस ने एरिया को सेक्टर में बांटकर सुरक्षा इंतजाम किए हैं। यहां पढ़ें पूरी खबर



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