बंदरों से सुरक्षा के लिए लोगों ने छत पर लगाया जाली
जींद जिले के उचाना शहर में गलियों में घूम रहे बंदरों के झुंडों से दहशत फैली हुई है। वहीं बंदरों के डर के कारण घरों से बुजुर्गों और बच्चों ने निकलना भी बंद कर दिया है। बंदर बुजुर्गों और बच्चों पर हमला करके घायल कर रहे हैं। तो वहीं गलियों से सामान लेकर
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बंदरों से बचने के लिए लोग खर्च कर रहे 50 हजार रुपए
उचाना शहर के लोगों ने करोड़ों रुपए खर्च कर घरों पर बंदरजाल लगवाए हैं। निरंतर शहर में बंदरों का आतंक बढ़ रहा है। लोग बंदरों से बचने के लिए मकान के आगे बंदरजाल लगवा रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार उचाना में लगभग सभी घरों पर लोहे की जाल लगे हुए हैं और एक बंदरजाल बनवाने पर 30 हजार से 50 हजार रुपए तक का खर्च आता है। बंदरों के आतंक से छुटकारा पाने के लिए निरंतर लोग प्रशासन से मांग करते आ रहे हैं।
पिछली एजेंसी ने ठीक से नहीं किया अपना काम बंदरों की समस्याओं से निपटने के लिए नगरपालिका सचिव विक्रमजीत से बातचीत की गई। उन्होंने बताया कि इस बारे में जिला नगर आयुक्त से बात हुई थी और बंदर पकड़ने के लिए पहले भी काम दिया गया था। लेकिन उस एजेंसी ने सही तरीके से अपना काम नहीं किया। अब नगर पालिका उचाना द्वारा नया टेंडर लगाकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। 10 से 15 दिनों में नगरपालिका द्वारा नया टेंडर बंदरों को पकड़ने के लिए लगा दिया जाएगा।
जानवर के काटने पर 24 घंटे के भीतर लगता है इंजेक्शन
बीते दिनों नगर पालिका द्वारा बंदरों को पकड़ने के लिए ठेका दिया गया था। वह काम कुछ ही दिन चला लेकिन बाद में बंद हो गया। बंदरों के आतंक के डर से गली में बच्चे व बुजुर्ग निकलने से भी डरते हैं। उचाना के सिविल हॉस्पिटल में रोजाना बंदरों के काटे हुए 5 से 7 मरीज दाखिल होते हैं।
उचाना सिविल अस्पताल के डॉ. योगेश ने बताया कि उचाना में लगातार कुत्तों और बंदरों के कांटे जाने के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं । वही कुत्तों में बंदरों के काटने से रेबीज का खतरा भी बढ़ रहा है। किसी भी मरीज को किसी कुत्ते, बंदर या बिल्ली द्वारा काटा जाता है तो 24 घंटे के भीतर पहला इंजेक्शन लगाया जाता है। रेबीज के चार स्टेज होते हैं यह किसी भी जानवर द्वारा काटे जाने पर निर्धारित किया जाता है।