उज्जैन में के दशहरा मैदान पर 101 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन हुआ।
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इसके पहले शाम 7 बजे को बाबा महाकाल की सवारी दशहरा मैदान पहुंची। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा ने भगवान महाकाल का पूजन किया। चबूतरे पर भगवान महाकाल के सानिध्य में शमी पूजन के बाद सवारी वापस मंदिर के लिए रवाना हुई। इसके बाद दशहरा मैदान पर भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमान की सवारी पहुंची।
स्व. लाला अमरनाथ स्मृति दशहरा महोत्सव समिति ने पूजन किया। अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन, निगम सभापति कलावती यादव, कांग्रेस नेता मनोहर बैरागी मौजूद रहे। रावण दहन के पूर्व आतिशबाजी का शुभारंभ एसपी प्रदीप शर्मा ने किया।
रावण का धड़ जला, सिर बचा
आतिशबाजी के बाद भगवान राम बने अक्षत भट्ट, लक्ष्मण बने कृष्ण परमार और हनुमान के स्वरूप में आशीष सक्सेना ने प्रतीक स्वरूप रावण से युद्ध करते हुए रावण की लंका जलाई। भगवान राम ने अग्रि तीर चलाकर रावण के पुतले को आग लगाई। रावण दहन करने के लिए भगवान राम द्वारा छोड़ा गया अग्रि तीर रावण के पुतले के पेट में लगते ही आग पकड़ ली थी। इसी दौरान कुछ देर जलने के बाद रावण का सिर बिना जले ही रह गया। रावण तैयार करने वाले कलाकारों ने लोहे की रेलिंग पर चढ़कर चेहरे पर आग लगाई। इसके बाद भी रावण के पांच चेहरे आधे जले रह गए।
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