राजधानी में 4 दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ का आज समापन हो गया। शुक्रवार की सुबह सूर्य की पहली किरण के साथ भोपाल के 60 से अधिक घाटों पर 2 लाख से अधिक श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए उमड़े। इस अवसर पर महिला श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगा
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छठ पूजा का उल्लास और भक्ति
सिर पर सजाया सौभाग्य का सिंदूर और चेहरों पर आस्था की झलक, व्रती ‘भईल अरगिया के बेरइया…उगी उगी दीनानाथ’ जैसे छठ गीत गाते हुए जल में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य दे रहे थे। छठ महापर्व का यह अंतिम दिन था, जब व्रतधारी महिलाएं 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जल में खड़ी हुईं।

बरखेड़ा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में भक्ति का महापर्व
भोपाल के बरखेड़ा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर परिसर में आयोजित इस पूजा समारोह में विशेष रूप से भोजपुरी और पूर्वांचल समाज के लोग एकत्रित हुए। यह स्थान इस दिन अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति से भरपूर था। गायकों ने छठी मैया के गीतों और भजनों से सभी भक्तों को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। इस दौरान महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर भी लगाया, जो उनके सौभाग्य और समृद्धि की प्रतीक था।

नहाय-खाय से लेकर अर्घ्य तक
चार दिवसीय इस पर्व का आगाज ‘नहाय-खाय’ से हुआ, और आज इसका समापन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर किया गया। व्रतधारी महिलाएं इस दिन विशेष रूप से तैयार होकर पूजा करने पहुंचीं और जल कुंड में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया। इस दौरान लोक गायिका चंदन तिवारी और रितम दुबे ने छठ मैया के गीतों से वातावरण को और भी भक्ति पूर्ण बना दिया।