ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए बनाई गई शर्तों का अपने हिसाब से अर्थ निकालकर अफसरों ने उन्हें ही भ्रष्टाचार का नया जरिया बना लिया है। सरकार ने 2015 में नोटिफिकेशन जारी कर नए उद्योगों के लिए 33 केवी तक के बिजली कनेक्शन लेने वालों को सिर्फ सेल्फ डिक्लेरेशन द
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लेकिन अनुवाद में बदलाव कर इसमें इंस्पेक्शन अनिवार्य कर दिया गया। उद्योगपतियों ने अतिरिक्त मुख्य सचिव और विद्युत सुरक्षा विभाग के मुख्य सचिव तक को शिकायत की, पर कार्रवाई नहीं हुई है।
सुप्रिटेंडिंग इंजीनियर अरुण कुमार श्रीवास्तव ने गजट नोटिफिकेशन के हिन्दी अनुवाद में बदलाव कर इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर से लिखित चार्जिंग परमिशन को अनिवार्य कर दिया। इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर का चार्ज इन्हीं के पास है। इसके बाद से फिर लाइजनिंग फीस के नाम पर वसूली शुरू हो गई है।
भास्कर एक्सपर्ट– शैलेंद्र अग्रवाल, महासचिव, इंजी. एसो.
- 2010 में सेंट्रल इलेक्ट्रिकल अथॉरिटी (सीईए) के रेगुलेशन में इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर से लिखित में चार्जिंग परमिशन लेने का नियम था। 2015 में सीईए ने नोटिफाइड (33 केवी के लिए) व नीचे के वोल्टेज के लिए सेल्फ डिक्लेरेशन की व्यवस्था लागू की गई।
- 2018 और 2023 के सेंट्रल नोटिफिकेशन में भी यह लागू रही। 2015 के गजट के बाद 2018, 2022 और 2023 के विनियम में भी इसमें बदलाव नहीं किया गया।
- सेल्फ सर्टिफिकेट से खुद सर्टिफाई कर आवेदन किया जाता। दो दिन में बिजली सप्लाय शुरू हो जाती।