अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास समिति की बैठक 9 अप्रैल को मंत्रालय, महानदी भवन, अटल नगर में हुई। बैठक की अध्यक्षता विधि मंत्री अरुण साव ने की। 65 वर्ष की आयु और 35 वर्ष की वकालत पूरी करने वाले अधिवक्ताओं को पेंशन भी दी जाएगी। बैठक में वकीलों की पेंशन और ब
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अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास समिति की बैठक में महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत, विधायक धरमलाल कौशिक, अधिवक्ता एवं स्टेट बार काउंसिल कार्यकारिणी के सदस्य सुनील ओटवानी, शैलेन्द्र दुबे, प्रमुख सचिव रजनीश श्रीवास्तव, विधि सचिव शीतल शाश्वत सहित अन्य सदस्य शामिल रहे। प्रमुख सचिव ने बताया कि देश के किसी भी राज्य में अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू नहीं है। इस पर अधिवक्ता और वर्तमान में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य शैलेन्द्र दुबे ने जानकारी दी कि देश के 7 राज्यों में यह अधिनियम लागू है।
धरमलाल कौशिक ने सुझाव दिया कि इन राज्यों से अधिनियम की कॉपी मंगाई जाए। इस पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ कि 2 या 3 राज्यों से अधिनियम की कॉपी मंगवाकर मासिक सत्र में विचार के लिए रखा जाए। बैठक में अधिवक्ताओं के लिए मृत्यु-दावा राशि 10 लाख रुपए करने का प्रस्ताव भी पारित हुआ।
इसके लिए राज्य विधिज्ञ परिषद के सचिव को 15 दिन में स्टाम्प विक्रय और उपयोग का तीन साल का लेखा-जोखा देने को कहा गया। सभी अधिवक्ताओं को 5 लाख रुपए तक की चिकित्सा बीमा सुविधा देने का प्रस्ताव भी रखा गया। इसे भी अगली बैठक में विचार के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
पेंशन देने पर प्रस्ताव पारित: 65 वर्ष की आयु और 35 वर्ष की वकालत पूरी करने वाले अधिवक्ताओं को पेंशन देने का प्रस्ताव भी पारित हुआ। बताया गया कि बिहार में यह योजना लागू है। इस पर तय हुआ कि बिहार से जानकारी मंगाकर मापदंड तय किए जाएं।
इसके अलावा 30 वर्ष की आयु तक और 5 साल की वकालत पूरी करने वाले नए अधिवक्ताओं को 5 हजार रुपए मासिक मानदेय देने का प्रस्ताव भी पारित हुआ। इसके लिए अन्य राज्यों से जानकारी मंगाकर अगली बैठक में रखने का निर्णय लिया गया।
वकीलों के लिए सामूहिक जीवन बीमा लागू करने पर भी चर्चा छत्तीसगढ़ के अधिवक्ताओं के लिए सामूहिक जीवन बीमा योजना लागू करने पर भी चर्चा हुई। इस दौरान बताया गया कि केंद्र सरकार ने सभी राज्य विधिज्ञ परिषदों से अधिवक्ताओं का डाटा मांगा है। इस पर तय हुआ कि अगली बैठक में भारतीय विधिज्ञ परिषद का पत्र और उससे जुड़ी जानकारी प्रस्तुत की जाए। वहीं, एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के अधिवक्ताओं को पैनल में जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव भी रखा गया। इसे अगली बैठक में विचार के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।