Friday, June 27, 2025
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एपल को ट्रम्प की समझाइश बेअसर: आईफोन बनाने वाली फॉक्सकॉन का भारत में ₹12,700 करोड़ निवेश; अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था- यहां पैसा न लगाएं


मुंबई17 मिनट पहले

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ट्रम्प ने कंपनी के CEO टिम कुक से कहा था कि भारत में फैक्ट्रियां लगाने की जरूरत नहीं है। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है।

एपल की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन ने भारत में 1.49 बिलियन डॉलर (करीब ₹12,700 करोड़) का निवेश किया है। फॉक्सकॉन ने अपने सिंगापुर यूनिट के जरिए बीते 5 दिन में तमिलनाडु के युजहान टेक्नोलॉजी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में यह निवेश किया है।

कंपनी ने यह निवेश ऐसे समय में किया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट भारत में बने। पिछले हफ्ते ट्रम्प ने कंपनी के CEO टिम कुक से कहा था कि भारत में फैक्ट्रियां लगाने की जरूरत नहीं है। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है।

एपल CEO के साथ हुई इस बातचीत की जानकारी ट्रम्प ने गुरुवार (15 मई) को कतर की राजधानी दोहा में बिजनेस लीडर्स के साथ कार्यक्रम में दी। उन्होंने कहा था कि एपल को अब अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ाना होगा।

ट्रम्प ने गुरुवार को कतर की राजधानी दोहा में बिजनेस लीडर्स के साथ एक कार्यक्रम में एपल CEO के साथ हुई बातचीत की जानकारी दी।

ट्रम्प ने गुरुवार को कतर की राजधानी दोहा में बिजनेस लीडर्स के साथ एक कार्यक्रम में एपल CEO के साथ हुई बातचीत की जानकारी दी।

ट्रम्प का पूरा बयान

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मुझे कल टिम कुक के साथ थोड़ी परेशानी हुई। मैंने उनसे कहा, टिम, तुम मेरे दोस्त हो, तुम 500 बिलियन डॉलर लेकर आ रहे हो, लेकिन अब मैं सुन रहा हूं कि तुम पूरे भारत में प्रोडक्शन कर रहे हो। मैं नहीं चाहता कि तुम भारत में प्रोडक्शन करो। अगर तुम भारत का ख्याल रखना चाहते हो तो तुम भारत में निर्माण कर सकते हो क्योंकि भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा टैरिफ वाले देशों में से एक है। भारत में बेचना बहुत मुश्किल है और उन्होंने हमें एक डील ऑफर की है जिसके तहत वे हमसे कोई टैरिफ नहीं वसूलने को तैयार हैं। मैंने टिम से कहा, टिम, देखो, हमने वर्षों तक चीन में तुम्हारे द्वारा बनाए गए सभी प्रोजेक्ट्स को सहन किया, अब तुम्हें अमेरिका में प्रोडक्शन करना होगा, हम नहीं चाहते कि तुम भारत में निर्माण करो। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है।

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अमेरिकी बाजार में बिकने वाले 50% आईफोन भारत में बन रहे

एपल के CEO टिम कुक ने हाल ही दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि अमेरिकी बाजार में बिकने वाले 50% आईफोन भारत में बन रहे हैं। कुक ने कहा कि भारत अप्रैल-जून तिमाही में अमेरिका में बिकने वाले आईफोन्स का कंट्री ऑफ ओरिजिन बन जाएगा। उन्होंने बताया कि एयरपॉड्स, एपल वॉच जैसे अन्य प्रोडक्ट्स भी ज्यादातर वियतनाम में बनाए जा रहे हैं।

एपल का भारत पर इतना ज्यादा फोकस क्यों?

  • सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन: एपल चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। जियोपॉलिटिकल टेंशन, ट्रेड डिस्प्यूट और कोविड-19 लॉकडाउन जैसे दिक्कतों से कंपनी को लगा कि किसी एक क्षेत्र में ज्यादा निर्भर रहना ठीक नहीं है। इस लिहाज से एपल के लिए भारत एक कम जोखिम वाला ऑप्शन साबित हो रहा है।
  • गवर्नमेंट इंसेंटिव: भारत की मेक इन इंडिया इनिशिएटिव और प्रोडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव (PLI) स्कीम्स कंपनियों को लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता देती हैं। इन पॉलिसीज ने फॉक्सकॉन और टाटा जैसे एपल के पार्टनर्स को भारत में ज्यादा निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
  • बढ़ती बाजार संभावना: भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन मार्केट में से एक है। लोकल प्रोडक्शन से एपल को इस मांग को पूरा करने में ज्यादा मदद मिलती है, साथ ही इसकी बाजार हिस्सेदारी भी बढ़ जाती है, जो फिलहाल लगभग 6-7% है।
  • एक्सपोर्ट के लिए अवसर: एपल इंडिया में बने अपने 70% आईफोन को एक्सपोर्ट करता है, जिससे चीन की तुलना में भारत के कम इम्पोर्ट टैरिफ का फायदा मिलता है। 2024 में भारत से आइफोन एक्सपोर्ट 12.8 बिलियन डॉलर (करीब ₹1,09,655 करोड़) तक पहुंच गया। आने वाले समय में इसके और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।
  • स्किल्ड वर्कफोर्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर: भारत का लेबर फोर्स एक्सपीरियंस के मामले में चीन से पीछे है, लेकिन अभी इसमें काफी सुधार हो रहा है। एपल के फॉक्सकॉन जैसे पार्टनर, प्रोडक्शन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं और कर्नाटक में 2.7 बिलियन डॉलर (₹23,139 करोड़) के प्लांट जैसी फैसिलिटीज का विस्तार कर रहे हैं।

2026 तक देश में सालाना 6 करोड़+ आईफोन बनेंगे

  • फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए एपल काफी समय से अपनी सप्लाई चेन को वहां से बाहर शिफ्ट करने पर काम कर रही है।
  • एपल अगर अपनी असेंबलिंग भारत की ओर इस साल के आखिर तक शिफ्ट कर लेती है, तो 2026 से यहां सालाना 6 करोड़ से ज्यादा आईफोन का प्रोडक्शन होगा। ये मौजूदा कैपेसिटी से दोगुना है।
  • आईफोन के मैन्युफैक्चरिंग पर अभी चीन का दबदबा है। IDC के अनुसार, 2024 में कंपनी के ग्लोबल आईफोन शिपमेंट में इसका हिस्सा लगभग 28% था।

मार्च-24 से मार्च-25 में 60% बढ़ा आईफोन प्रोडक्शन

मार्च 2024 से मार्च 2025 तक एपल ने भारत में 22 बिलियन डॉलर (करीब ₹1.88 लाख करोड़) वैल्यू के आईफोन बनाए। पिछले साल की तुलना में इसमें 60% की बढ़ोतरी हुई है।

इस दौरान एपल ने भारत से 17.4 बिलियन डॉलर (करीब ₹1.49 लाख करोड़) वैल्यू के आईफोन एक्सपोर्ट किए। वहीं, दुनियाभर में हर 5 में से एक आईफोन अब भारत में बन रहा है। भारत में आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग तमिलनाडु और कर्नाटक की फैक्ट्रियों में की जाती है।

इसमें सबसे ज्यादा उत्पादन फॉक्सकॉन करता है। फॉक्सकॉन एपल का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर है। इसके अलावा टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पेगाट्रॉन भी मैन्युफैक्चरिंग करते हैं।

FY 2024 में 8 बिलियन डॉलर आईफोन की सेल

वित्त वर्ष 2024 में एपल के स्मार्टफोन की बिक्री 8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई। जबकि बाजार में इसकी हिस्सेदारी केवल 8% थी। भारत के उभरते मिडिल क्लास में अभी भी आईफोन एक लग्जरी बना हुआ है। इसलिए यहां मार्केट बढ़ने की उम्मीद है।

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1. ₹85-हजार के आईफोन की कीमत ₹2.5 लाख हो सकती है: ट्रम्प ने कहा था- नहीं चाहता एपल प्रोडक्ट भारत में बनें, अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ाएं

अगर एपल अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस भारत या चीन से अमेरिका में शिफ्ट करता है, तो एक आईफोन की कीमत 1,000 डॉलर से बढ़कर 3,000 डॉलर तक हो सकती है। इसे रुपए में बदले तो आईफोन की कीमत करीब 85 हजार रुपए से बढ़कर करीब 2.50 लाख रुपए हो जाएगी।

एक दिन पहले यानी, 16 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कतर की राजधानी दोहा में बताया था कि उन्होंने एपल के CEO टिम कुक से कहा है कि भारत में फैक्ट्रियां लगाने की जरूरत नहीं है। वो नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट वहां बनाएं जाए।

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2. HCL-फॉक्सकॉन भारत में सेमीकंडक्टर चिप बनाएंगी: सरकार ने ₹3,700 करोड़ लागत वाले छठे प्लांट को मंजूरी दी; हर महीने 3.6 करोड़ चिप बनेंगी

भारत सरकार ने बुधवार को HCL और फॉक्सकॉन को छठा सेमीकंडक्टर प्लांट बनाने की मंजूरी दी है। ये प्लांट 3,700 करोड़ रुपए की लागत से उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल जोन में जेवर एयरपोर्ट के पास बनाया जाएगा। प्लांट 20,000 वेफर्स प्रति माह की क्षमता से चलेगा।

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