“1 अक्टूबर को मेरे इकलौते बेटे कृष्णा का जन्मदिन था। मगर इससे पहले ही 4 सितंबर को इंदौर-मुंबई फोर लेन के गणपति घाट ने मेरी पत्नी अनीता यादव और बेटे को मुझसे छीन लिया। घाट पर एक अनियंत्रित ट्रक ने पीछे से टक्कर मारी तो मेरी कार तीन बार पलटी। मेरी आंखो
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इंदौर के सेज यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉक्टर दीपक यादव इस सदमे से उबर नहीं सके है। कार का कांच तोड़कर वह जैसे तैसे बाहर निकले थे। उनकी आंखों के सामने पूरा परिवार उजड़ गया। प्रोफेसर यादव की ही तरह गणपति घाट ने पिछले डेढ़ दशक में अनगिनत परिवारों को दर्द दिया है।
इस घाट पर पिछले 15 सालों में 343 लोगों की मौत हो चुकी है। 16 लोग एक्सीडेंट के बाद जिंदा जल गए। एमपी में ऐसे 23 घाट हैं, जहां आए दिन ऐसे जानलेवा हादसे होते हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने इन्हें ब्लैक स्पॉट की कैटेगरी में डाला है। संडे स्टोरी में पढ़िए एमपी के इन घाटों पर हादसे की वजह क्या है, जिम्मेदार कौन है और हादसों को रोकने के क्या उपाय है?
अब सिलसिलेवार जानिए इन घाटों के बारे में
गणपति घाट का डेढ़ किमी का हिस्सा जानलेवा
दैनिक भास्कर की टीम आगरा मुंबई राजमार्ग के गणपति घाट पर होने वाले हादसों की पड़ताल करने पहुंची । इस घाट का डेढ़ किमी का हिस्सा बेहद जानलेवा है। ये हिस्सा दो जिले धार के धामनोद और खरगोन के महेश्वर की काकड़दा पुलिस चौकी के तहत आता है। पिछले 15 सालों में इस घाट पर 837 हादसों में 343 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें 16 लोग एक्सीडेंट के बाद वाहन में आग लगने से जिंदा जलकर मर गए।
इस घाटी को यहां की ढलान खतरनाक बनाती है। धार जिले के पलाशमाल गांव के पास से शुरू ढलान खरगोन जिले के बाकानेर गांव तक जाती है। ये 3 किमी की हल्का कर्व लेती सीधी रोड है। इसी 3 किमी की दूरी वाले फोरलेन पर बीच के डेढ़ किमी वाले हिस्से में ही सारे एक्सीडेंट होते हैं।

भास्कर की टीम के सामने पांच गाड़ियां टकराईं
13 सितंबर को इस खतरनाक घाट की खामियों का पता लगाने दैनिक भास्कर टीम मौके पर मौजूद थी। घड़ी में 5.30 का वक्त हो रहा था, तभी पलाशमाल गांव की ओर से एक टैंकर बेकाबू हो गया। उसने सबसे पहले एक कंटेनर को टक्कर मारी, जो बीच रोड पर पलट गया।
इसके बाद एक ट्रक से जाकर टकरा गया। ये ट्रक रोड किनारे खड़े दूसरे ट्रक से टकराया। कुल पांच वाहन टकराए। टैंकर और ट्रक के दो ड्राइवर मथुरा निवासी जाहिद और रामगढ़ प्रतापगढ़ निवासी शेरू वाहन के केबिन में फंस गए । दोनों को घंटे भर की मशक्कत के बाद निकाल कर अस्पताल पहुंचाया गया।

हादसे में घायल यूपी के हरदोई निवासी ड्राइवर श्यामवीर ने दैनिक भास्कर को बताया कि वे कंटेनर में बाइक लेकर मुम्बई जा रहे थे। इस रोड पर तीन साल से चल रहे हैं। मुझे पता था कि यहां एक्सीडेंट होते हैं।
मैं एक नंबर गेयर में गाड़ी उतार रहा था कि पीछे से टैंकर ने टक्कर मार दी और मेरी गाड़ी पलट गई। मैं खुद आश्चर्य में हूं कि इस मौत के मुंह से कैसे बच गया? टैंकर के पीछे चले रहे इंदौर निवासी महेश शर्मा ने बताया कि मैं जरा सा बचा हूं। गाड़ी की स्पीड कम थी, ब्रेक मार कर किसी तरह वाहन रोक लिया।
हादसे के बाद दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। मौके पर एसडीओपी धरनावद, टीआई और काकड़दा चौकी की पुलिस पहुंची। क्रेन की मदद से क्षतिग्रस्त वाहनों को किनारे कर रात 12 बजे के लगभग आवागमन शुरू कराया जा सका।

इस घाट पर हुए चार बड़े हादसों के बारे में जानिए…
4 सितंबर 2024: यूनिवर्सिटी प्रोफेसर की पत्नी और बच्चे की मौत
ये हादसा हुआ इंदौर के रहने वाले और सेज यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ दीपक यादव के साथ। दीपक, पत्नी अनीता और बेटे कृष्णा के साथ कार से नागलबाड़ी के पास दोंगवाड़ा गांव में मृत्युभोज कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। उनके साथ पिता कमल यादव भी थे। वे सुबह करीब 7.30 बजे गणपति घाट पर पहुंचे थे कि ढलान पर पीछे से एक ट्रक ने जोरदार टक्कर मारी।
कार की पिछली सीट पर पत्नी व बेटा कृष्णा थे। दीपक ड्राइव कर रहे थे। जबकि बगल वाली सीट पर पिता कमल यादव बैठे थे। ट्रक की टक्कर से कार का पिछला हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। कार ने तीन बार पलट गई। सभी बेहोश हो गए थे। कुछ देर बाद दीपक को होश आया तो सामने का कांच तोड़कर खुद निकले।
इसके बाद बारी-बारी से अन्य राहगीरों की मदद से पिता, पत्नी व बेटे को निकाला। अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही पत्नी व बेटे ने दम तोड़ दिया।

10 मई 2017: दूल्हा समेत 6 जीजा की मौत
सात साल पहले इसी गणपति घाट पर बारातियों से भरी इनोवा कार को ट्राले ने टक्कर मारी थी और वह सामने से आ रहे ट्रक से टकरा गया। ट्राले और ट्रक के बीच इनोवा कार पिचक गई। हादसे में इनोवा में सवार दूल्हा मुकेश और उसके 6 जीजा की मौत हो गई। ट्राले के ड्राइवर ने भी दम तोड़ दिया था। बारात सीहोर के रूपदी गांव से धार के सिरसी जा रही थी।
28 अक्टूबर 2017: 24 घंटे में तीन हादसे, एक में ड्राइवर जिंदा जला
एक दिन में इस घाट पर तीन हादसे हुए थे जिसमें एक ट्रक ड्राइवर जिंदा जल गया जबकि 26 लोग घायल हुए थे। ट्रक में मार्बल लोड था। ढलान पर उतरते समय अनियंत्रित होकर वह दूसरे ट्रक से टकरा गया।
25 दिसंबर 2023: एक कार समेत 5 वाहनों से टकराया ट्रक
इस हादसे में ढलान से उतरते हुए एक ट्राल अनियंत्रित होकर दूसरी लेन से इंदौर की ओर जा रहे एक कार सहित 5 वाहनों से टकरा गया। हादसे के बाद ट्राला सहित तीन वाहनों में आग लग गई। मरने वालों में कार सवार इंदौर के होटल व्यवसायी राकेश साहनी भी शामिल थे।

गणपतिघाट पर क्या है हादसे की वजह
इसे समझने के लिए भास्कर ने ट्रैफिक एक्सपर्ट, पुलिस अधिकारियों से बात की। एक्सपर्ट ने इसके तीन कारण गिनाए
1.रोड की डिजाइन में खामी: राऊ से खलघाट की 78 किमी फोरलेन का निर्माण 2005 में शुरू हुआ था। गणपतिघाट का हिस्सा वन विभाग के अंतर्गत आता है। इस रोड की डिजाइन में ही खामी है। एनएचएआई ने तब ध्यान नहीं दिया।
यहां एस आकार में ढलान को समाप्त करने के लिए तब निर्माण एजेंसी ने वन विभाग से और अतिरिक्त जमीन दिलाने का प्रस्ताव रखा था। पर उस समय वन विभाग की अनुमति न मिलने की वजह से प्रोजेक्ट अटकने का डर था। इस वजह से इसे खारिज कर दिया गया।

2.एनएचएआई की लापरवाही: 2009 में रोड चालू होने के बाद इस घाट पर लगातार हादसा होने के बावजूद एनएचएआई 15 साल तक चुप रहा। जबकि कई आंदोलन हुए। तब जाकर 2023 में 110 करोड़ की लागत से 9 किमी का नया बायपास बनाया जा रहा है। इस बायपास से इंदौर से खलघाट जाने वाले वाहन गुजरेंगे।

3.पुलिस और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी: ये घाट क्षेत्र खरगोन के महेश्वर थाने की काकड़दा चौकी और धार जिले की धरनावद थाना के अंतर्गत आता है। दोनों जिलों की पुलिस मिलकर यहां बैरियर लगाकर एक-एक वाहन कुछ अंतराल पर सुरक्षित निकाल सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस पर समय रहते हुए ध्यान दिया होता और रोड इंजीनियरिंग की खामी को दूर करने का प्रयास किया होता ताे हादसों को रोका जा सकता था। इसे सिर्फ ब्लैक स्पॉट के तौर पर चिह्नित कर कोरम पूरा कर लिया गया था।

15 साल में कई प्रयोग हुए मगर नहीं रुके हादसे
पहला प्रयोग: डेढ़ किमी के इस खतरनाक हिस्से में 17 स्पीड ब्रेकर बनाए गए।
दूसरा प्रयोग: जिगजेग बनाकर वाहनों को निकाला गया।
तीसरा प्रयोग: सड़क के बीच में कोठियां रखकर सवारी गाड़ी और भारी वहनों के लिए अलग-अलग लेन बनाया गया।
चौथा प्रयोग: हादसे वाली जगह हाईमास्ट लगाए गए।
पांचवां प्रयोग: जगह-जगह चेतावनी बोर्ड लगाए गए।
छठा प्रयोग: अब ढलान पर बैरियर लगाकर पुलिस की मौजूदगी में 30-30 सेकेंड के अंतराल पर वाहनों को छोड़ने की तैयारी है।

110 करोड़ खर्च कर ब्लैकस्पॉट समाप्त करने का आखिरी उपाय
गणपति घाट पर आए दिन होने वाले एक्सीडेंट के बाद लोगों ने धरना-प्रदर्शन किया। कई आंदोलन किए। कई प्रयोग हुए। पर हादसे नहीं रुके। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर भी यहां आंदोलन कर चुकी हैं। 15 साल में 343 लोगों की मौत और 16 लोगों के जिंदा जलने के बाद एनएचएआई विभाग की नींद टूटी।
जून 2023 में 110 करोड़ का ठेके से 9 किमी का एक नया बाय पास बनाया जा रहा है। अभी 70 प्रतिशत काम हुआ है। दिसंबर तक तक पूरा करने की डेडलाइन है। निर्माण एजेंसी केसीपीएल के प्रशांत सिंह ने बताया कि अब इंदौर से खलघाट जाने वाले वाहन इस बाय पास से जाएंगे।
इसमें 102 मीटर का थ्री-लेन वीओपी बनाया गया है। इसके ऊपर से खलघाट से इंदौर जाने वाले वाहन निकलेंगे। आगे बाकानेर गांव के पास फ्लाईओवर बनाकर इसे जोड़ा जा रहा है।
तीन दिन पहले धार सांसद एवं केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर ने भी यहां का दौर कर निर्माण कार्य समय सीमा में पूरा करने का निर्देश दे चुकी हैं। एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर सोमेश बांझल ने बताया कि नए बायपास में ढलान की समस्या नहीं होगी।

अब जानिए उन घाटों के बारे में जहां अक्सर हादसे होते हैं

छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा से हर्रई के बीच दूल्हादेव घाट पड़ता है यहां अब तक सैकड़ों हादसें हो चुके हैं। 2 सितंबर को यहां एक ट्रक अनियंत्रित होकर पलट गया था। जिसकी चपेट में आए बाइक सवार ससुर-दामाद की मौके पर ही मौत हो गई। इसी तरह 25 अगस्त 2019 को यहां एक यात्री बस खाई में पलट गई थी जिसमें 5 लोगों की मौत के साथ 50 लोग घायल हुए थे।

शिवपुरी में खूबत घाटी पर एक मोड़ है जो जानलेवा है। इसे कई साल पहले ही ब्लैक स्पॉट घोषित किया जा चुका है। इसके बाद माधव नेशनल पार्क को ध्यान में रखते हुए एनजीटी के नियमों के तहत फिर से सड़क और ओवर ब्रिज का निर्माण करवाया गया। लेकिन इस ब्लैक स्पॉट को खत्म नहीं किया गया। जिससे आए दिन इस मोड़ पर सड़क हादसे होते हैं।

जौरासी घाटी ग्वालियर से डबरा को जोड़ती है। यहां पहले सिंगल सड़क हुआ करती थी, लेकिन अब यहां पहाड़ों को काटकर हाइवे बनाया गया है। हाइवे के एक ओर पहाड़ तो दूसरी ओर गहरी खाई है। यहां हाइवे पर एक टर्न आता है, जिस कारण घाटी में आगे का रास्ता नहीं दिखता। गाड़ियों की स्पीड ज्यादा होने से अचानक आने वाला टर्न और दूसरी गाड़ियां दिखाई नहीं देती।

गवाघाटी एबी रोड पर स्थित है। यहां अक्सर दुर्घटनाएं होती है। जानकारों के मुताबिक गवाघाटी का ओझर फाटे का कट प्वाइंट संकरा है। यहां रोड की चौड़ाई बेहद कम है। जब कोई गाड़ी यहां खड़ी होती है तो आधा रास्ता ब्लॉक हो जाता है। इसके अलावा रात में अंधेरा भी रहता है। इससे हादसे होते रहते हैं।

सागर के गौरझामर थाना क्षेत्र में नीम घाटी पर अक्सर हादसे होते हैं। ये गौरझामर वन परिक्षेत्र के बीच से होकर गुजरता है। फोर लेन के चारों तरफ जंगल है। जिसकी वजह से वन्य प्राणी सड़क पर आते हैं। जिससे वाहन अनियंत्रित होकर पलट जाते हैं। इसके अलावा वाहनों की रफ्तार भी यहां एक्सीडेंट की एक बड़ी वजह है।
