इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी में इस्तेमाल होने वाला ग्रेफाइट एनोड अब मध्यप्रदेश के देवास में ही बनेगा। भोपाल में 24-25 फरवरी को हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड बनाने वाली कंपनी एचईजी ने मध्यप्रदेश सरकार के साथ करार किया है। देवास के
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कंपनी का दावा है कि अगले साल तक ग्रेफाइट एनोड का निर्माण शुरू हो जाएगा। बता दें कि ग्रेफाइट एनोड इलेक्ट्रिक व्हीकल में इस्तेमाल होने वाली लिथियम आयन बैटरी का एक अहम पार्ट होता है। ईवी बैटरी बनाने वाली कंपनियां अब तक इसे चीन, अमेरिका और जापान की कंपनियों से आयात करती रही हैं।
भारत में ही ग्रेफाइट एनोड का निर्माण होने से इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरियों की कीमतों में कमी आने का दावा है। क्या होता है ग्रेफाइट एनोड और इसके भारत में ही बनने से किस तरह से ईवी व्हीकल की कीमतों में कमी आ सकती है, पढ़िए रिपोर्ट..
दो साल तक डेमो अब प्रोडक्शन की तैयारी एचईजी यानी हिंदुस्तान इलेक्ट्रो ग्रेफाइट का एक प्लांट मंडीदीप में पहले से स्थापित है। एचईजी मुख्य रूप से ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड बनाने का काम करती है। एचईजी की सहायक कंपनी द एडवांस कार्बन कंपनी( TACC) इसका निर्माण करेगी। कंपनी के इनोवेशन हब हेड रविराज शाह कहते हैं कि ग्रेफाइट एनोड, लिथियम आयन बैटरी का अहम कंपोनेंट होता है।
एनोड बनाने में ग्रेफाइट पाउडर इस्तेमाल होता है। हम लोग देवास के पास जो प्लांट लगा रहे हैं उसमें 1800 करोड़ रु. का इन्वेस्टमेंट है और इसमें 20 हजार मीट्रिक टन सिंथेटिक ग्रेफाइट बनाया जाएगा। रविराज बताते हैं कि मंडीदीप के एचईजी कैंपस में हमने ग्रेफाइट पाउडर बनाने का डेमो प्लांट 2022 में स्थापित किया था।
यहां हमने सिंथेटिक ग्रेफाइट पाउडर बनाया और फिर इससे ग्रेफाइट एनोड बनाए। इन्हें जांच के लिए बैटरी बनाने वाली कंपनियों को भेजा। वहां से जो भी फीडबैक मिला उसके आधार पर हम इसमें सुधार करते चले गए।

कम हो जाएगी ईवी बैटरी की कीमत रविराज शाह कहते हैं कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की ग्रोथ बढ़ रही है। अनुमान है कि 2030 तक भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का कारोबार 20 लाख करोड़ के आसपास होगा। ऐसे में बड़ी संख्या में ईवी का निर्माण होने की संभावना है। शाह कहते हैं कि फिलहाल ईवी के सामने चुनौती बैटरी लाइफ की है।
लोगों की भी आम धारणा है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी कितनी चलेगी। ग्रेफाइट एनोड बैटरियों की लाइफ बढ़ाता है। देश में ही बैटरी बनने से इसकी लागत कम होगी जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल की कीमतें भी घटेंगी।

बैटरी में ग्रेफाइट एनोड का ही इस्तेमाल क्यों होता है शाह बताते हैं कि लिथियम आयन बैटरी के चार कंपोनेंट होते हैं- एनोड, कैथोड, इलेक्ट्रोसिटी और सेपरेशन। ग्रेफाइट एनोड बैटरी को चार्ज करने और डिस्चार्ज करने में मदद करता है। ग्रेफाइट एक अच्छा कंडक्टर होता है, जिससे बैटरी जल्दी चार्ज होती है और ज्यादा समय तक चलती है।
ये बैटरी का वो हिस्सा होता है जहां से इलेक्ट्रॉन बैटरी के भीतर जाते हैं और बैटरी एनर्जी स्टोर और रिलीज करती है। यह मटेरियल हल्का, मजबूत और ईको फ्रेंडली है। यह लंबे समय तक चलता है और जल्दी खराब नहीं होता।मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक व्हीकल, सोलर पैनल के लिए जो बैटरियां बनती हैं उनमें इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है।

2025 के आखिर में ग्राफीन का प्रोडक्शन शाह बताते हैं कि 2025 के आखिर तक कंपनी ग्राफीन का प्रोडक्शन भी शुरू करने वाली है। ग्राफीन एक एडवांस मटेरियल है। इसे एचईजी ने ग्रेफाइट से इनहाउस डेवलप किया है। ये स्टील से 200 गुना मजबूत और हल्का मटेरियल है। एक बेहतर कंडक्टर होता है, लंबे समय तक टिकाऊ है।
इसकी वजह से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में इसका ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। इसके अलावा ग्राफीन का इस्तेमाल टेक्सटाइल्स, टायर्स, पेंट्स एंड कोटिंग्स में किया जा सकता है। ग्राफीन को कांक्रीट में इस्तेमाल करने पर सीमेंट की मात्रा कम लगती है।
शाह के मुताबिक भविष्य में इसके दो फायदे होंगे। सीमेंट का इस्तेमाल कम होने से निर्माण की लागत कम होगी। दूसरा सीमेंट का ज्यादा इस्तेमाल करने से कार्बन डाइऑक्साइड का ज्यादा होने वाले उत्सर्जन में कमी आएगी। साथ ही एचईजी सिलिकॉन एनोड बनाने पर भी काम कर रहा है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने मप्र सरकार क्या कर रही मप्र सरकार ने ई-व्हीकल पॉलिसी 2025 लागू कर दी है। ये पॉलिसी अगले 5 साल तक प्रभावी रहेगी। सरकार का टारगेट है कि पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की बजाय ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो। इस पॉलिसी में ई व्हीकल के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने पर भी जोर दिया गया है।
इसके साथ ई-व्हीकल खरीदने वाले लोगों को एक साल तक के लिए टैक्स और रजिस्ट्रेशन में छूट की भी सिफारिश की है। इलेक्ट्रिक व्हीकल का सबसे अहम पार्ट चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए सब्सिडी देने का ऐलान किया है। इसका फायदा दो तरह से मिलेगा..
1.सरकार जमीन देगी
- नोडल एजेंसी चार्जिंग स्टेशन के लिए लैंड बैंक का डेटा बेस तैयार करेगी।
- जिन्हें चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना है उन्हें MPEV पोर्टल से अप्लाय करना होगा।
- प्राइवेट प्लेयर्स का सिलेक्शन टेंडर से किया जाएगा।
- नोडल एजेंसी टेंडर की शर्तों के मुताबिक चार्जिंग स्टेशनों को जमीन देगी।
- सरकारी एजेंसियों को 10 साल के पट्टे पर जमीन मिलेगी।
2.बिजली की आपूर्ति
- चार्जिंग स्टेशन को पूरे 5 साल तक एक रेट पर बिजली मिलेगी। ये बिजली की औसत लागत से ज्यादा नहीं होगी।
- सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक बिजली की लागत औसत लागत का 0.8 गुना होगी। शाम को ये औसत लागत का 1.2 गुना होगी।
- जो चार्जिंग स्टेशन खुद बिजली बनाएंगे उन्हें पॉलिसी पीरियड तक 100 फीसदी की छूट मिलेगी।
- एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी तय करेगी चार्जिंग स्टेशन ग्राहकों से कितना सर्विस चार्ज वसूल करेंगे। ये टैरिफ का 1 फीसदी तक हो सकता है।

एमपी के पांच शहर बनेंगे ईवी सिटी
साल 2019 की पॉलिसी में भी सरकार ने इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन को ईवी सिटी बनाने का प्रावधान किया था। ये पॉलिसी में भी इन पांचों शहरों को ईवी सिटी बनाने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत अगले पांच साल में इन शहरों में चलने वाले पेट्रोल-डीजल वाहनों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदला जाएगा।
इसके अलावा 5 साल का पॉलिसी पीरियड खत्म होने तक टू-व्हीलर का 40 फीसदी, थ्री व्हीलर का 70 फीसदी, फोर व्हीलर का 15 फीसदी और ई बस के 40 फीसदी रजिस्ट्रेशन का टारगेट सरकार ने तय किया है। नगर निगम और नगर पालिका की कचरा गाड़ियों को भी इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदला जाएगा।
ईवी पॉलिसी लागू करने बनेगा प्रमोशनल बोर्ड ईवी पॉलिसी को लागू करने और इसके क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एमपीईवी प्रमोशनल बोर्ड का गठन होगा। बोर्ड में तीन विभागों के मंत्री और 6 विभागों के प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी सदस्य होंगे। नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग पॉलिसी लागू करने वाली नोडल एजेंसी रहेगी।
