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एयरफोर्स को 3 मॉडर्न I-STAR स्पाय एयरक्राफ्ट मिलेंगे: स्वदेशी इंटरनल सिस्टम से लैस होंगे; सरकार ₹10 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट को इसी महीने मंजूरी दे सकती है


नई दिल्ली37 मिनट पहले

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एयरक्राफ्ट मिलने के बाद भारत अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल जैसे चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास यह टेक्नॉलॉजी है। 

एयरफोर्स (IAF) को जल्द ही तीन मॉडर्न I-STAR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टारगेट एक्विजिशन एंड रिकॉनिसेंस) स्पाय एयरक्राफ्ट मिलने जा रहे हैं। प्रोजेक्ट की लागत 10,000 करोड़ रुपए की है।

इसका प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय जून के चौथे हफ्ते में होने वाली हाई लेवल मीटिंग में मंजूरी के लिए रखेगा। एयरक्राफ्ट मिलने के बाद भारत अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल जैसे चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास यह टेक्नॉलॉजी है।

I-STAR स्पाय एयरक्राफ्ट की मदद से वायुसेना को दुश्मन के जमीनी ठिकानों जैसे रडार स्टेशनों, एयर डिफेंस सिस्टम और मोबाइल टारगेट्स की सटीक जानकारी मिलेगी और लक्ष्यों पर निशाना साधना आसान होगा।

यह प्रोजेक्ट रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की ओर से विकसित किया जा रहा है। तीन एयरक्राफ्ट विदेशी कंपनियों जैसे बोइंग और बॉम्बार्डियर से खुले टेंडर के माध्यम से खरीदे जाएंगे, लेकिन इनके अंदर लगने वाले सभी सिस्टम पूरी तरह स्वदेशी होंगे।

मॉडर्न I-STAR स्पाय एयरक्राफ्ट के अंदर DRDO के सेंटर फॉर एयरबोन सिस्टम (CABS) की ओर से विकसित स्वदेशी सिस्टम लगाए जाएंगे।

मॉडर्न I-STAR स्पाय एयरक्राफ्ट के अंदर DRDO के सेंटर फॉर एयरबोन सिस्टम (CABS) की ओर से विकसित स्वदेशी सिस्टम लगाए जाएंगे।

DRDO द्वारा विकसित इंटरनल स्वदेशी सिस्टम से लैस होगा

मॉडर्न I-STAR स्पाय एयरक्राफ्ट के अंदर DRDO के सेंटर फॉर एयरबोन सिस्टम (CABS) की ओर से विकसित स्वदेशी सिस्टम लगाए जाएंगे। ये पहले ही परीक्षण में सफल हो चुके हैं। I-STAR विमान ऊंचाई से खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी करने, लक्ष्य पहचानने और उन पर हमले के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे।

ये दिन और रात में किसी भी मौसम में काम करने में सक्षम होंगे। इनके जरिए दुश्मन की गतिविधियों पर दूर से नजर रखी जा सकेगी। I-STAR सिस्टम हवाई और जमीनी दोनों हिस्सों में काम करेगा और भारतीय सेना की सुरक्षा क्षमताओं को कई गुना बढ़ाएगा। इससे देश को समय पर खतरों की पहचान करने और उन पर जवाबी कार्रवाई करने में बड़ी मदद मिलेगी।

27 मई को AMCA के प्रोडक्शन मॉडल को मंजूरी मिली थी

इससे पहले 27 मई को भारत में बनने वाले 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान यानी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के प्रोडक्शन मॉडल को मंजूरी मिली थी। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि एयरक्राफ्ट को बनाने के लिए सरकारी के साथ निजी कंपनियों को भी बोली लगाने का मौका दिया जाएगा।

एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) जल्द ही इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) जारी करेगा। एयरक्राफ्ट बनाने में निजी कंपनियों को मौका देने की घोषणा से डिफेंस और इससे जुड़े सेक्टर्स की कंपनियों के शेयर्स में करीब 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स भी 52 सप्ताह के नए हाई 8,674.05 पर पहुंच गया।

AMCA प्रोजेक्ट को 2024 में मंजूरी मिली

  • अप्रैल, 2024 में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) ने 5वीं पीढ़ी के स्वदेशी फाइटर जेट के डिजाइन और विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। यह फाइटर जेट ‘एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट’ (Advanced Medium Combat Aircraft – AMCA) है।
  • ADA इस प्रोग्राम के एग्जीक्यूशन और एयरक्राफ्ट डिजाइन करने के लिए नोडल एजेंसी है। ADA रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के तहत आता है।
  • यह भारतीय वायुसेना के अन्य लड़ाकू विमानों से बेहतर होगा। दुश्मन के रडार से बचने के लिए हाईटेक स्टेल्थ टेक्नोलॉजी से लैस होगा। इंटरनेशनल लेवल पर इस्तेमाल हो रहे 5वीं पीढ़ी के अन्य स्टेल्थ लड़ाकू विमानों के जैसा या उससे भी बेहतर होगा।
AMCA को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारत में ही बनाएगा। HAL पहले ही तेजस का उत्पादन कर रहा है।

AMCA को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारत में ही बनाएगा। HAL पहले ही तेजस का उत्पादन कर रहा है।

AMCA स्वदेशी तकनीक से बनने वाला दूसरा फाइटर जेट

एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट यानी AMCA देश में ही विकसित होने वाला दूसरा फाइटर एयरक्राफ्ट होगा। इससे पहले भारत में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस और उसके एडवांस्ड वर्जन तेजस मार्क-1 को तैयार किया जा चुका है। इसके और भी उन्नत संस्करण मार्क-1-ए पर काम चल रहा है। जानकारी के मुताबिक AMCA 2035 तक एयरफोर्स और नेवी में तैनाती के लिए उपलब्ध हो सकेगा।

अभी तक AMCA के कॉन्सेप्ट मॉडल को ही डिस्प्ले किया जा रहा था। पहली बार इसके प्रोडक्शन वर्जन को लेकर जानकारी सामने आई है।

अभी तक AMCA के कॉन्सेप्ट मॉडल को ही डिस्प्ले किया जा रहा था। पहली बार इसके प्रोडक्शन वर्जन को लेकर जानकारी सामने आई है।

भारतीय वायुसेना देश में बने तेजस जेट इस्तेमाल कर रही

30 जुलाई को एयर फोर्स ने जम्मू-कश्मीर के अवंतीपोरा एयरबेस पर हल्के लड़ाकू विमान तेजस MK-1 को तैनात किया। सेना का कहना है कि पायलट्स घाटी में उड़ान की प्रैक्टिस कर सकें, इसलिए ऐसा किया गया।

कश्मीर, पड़ोसी देशों चीन-पाकिस्तान के लिहाज से संवेदनशील है। तेजस MK-1 मल्टीरोल हल्का लड़ाकू विमान है, जो वायुसेना को कश्मीर के जंगल और पहाड़ी इलाकों में और मजबूत करेगा। भारतीय वायुसेना के पास अभी 31 तेजस फाइटर प्लेन हैं।

4 खूबियों की वजह से कुछ अलग है तेजस

  • इस विमान के 50% कलपुर्जे यानी मशीनरी भारत में ही तैयार हुई है।
  • इसमें इजराइल के EL/M-2052 रडार को लगाया गया है। इससे यह एक साथ 10 लक्ष्यों को ट्रैक कर उन पर निशाना साधने में सक्षम है।
  • बेहद कम जगह यानी 460 मीटर के रनवे पर टेकऑफ करने की क्षमता है।
  • यह फाइटर जेट सुखोई, राफेल, मिराज और मिग से हल्का है। इसका वजन 6500 किलो है।

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