उपभोक्ता फोरम ने दिया मुआवज़े का आदेश।
भोपाल की रहने वाली डॉक्टर संगीता राजेश की शिकायत पर उपभोक्ता फोरम ने एयर इंडिया को सेवा में लापरवाही का दोषी पाया है। देश की प्रमुख एयरलाइन मानी जाने वाली एयर इंडिया को अब टिकट की राशि लौटाने के साथ-साथ मानसिक परेशानी और वाद खर्च के लिए जुर्माना भी द
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फैसला भोपाल जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की बेंच-2 (अध्यक्ष गिरिबाला सिंह, सदस्य अंजुम फिरोज और प्रीति मुद्गल) ने सुनाया। फोरम ने एयर इंडिया को ₹22,908 की टिकट राशि, 7% सालाना ब्याज, ₹10,000 मानसिक क्षतिपूर्ति और ₹5,000 वाद व्यय अदा करने का आदेश दिया है।
यदि दो महीने में भुगतान नहीं किया गया तो एयर इंडिया को 9% सालाना ब्याज भी देना होगा।
दो टिकट बुक किए, दोनों रद्द हुईं, लेकिन रिफंड नहीं मिला
परिवादी डॉक्टर रागित पी. राजेश, जो एयरफोर्स में पदस्थ हैं, के पिता राजेश पिल्लई ने बताया कि उन्होंने 28 सितंबर 2020 को एयर इंडिया से 18 अक्टूबर की तारीख के लिए पोर्ट ब्लेयर से कोलकाता और फिर कोलकाता से दिल्ली की यात्रा हेतु टिकट बुक किया था, जिसकी कीमत 12,181 रुपए थी।
इसके बाद, 23 अक्टूबर को उन्होंने एक और टिकट मुंबई से पोर्ट ब्लेयर वाया चेन्नई के लिए 17 नवंबर की तारीख की बुकिंग की, जिसकी राशि 10,727 रुपए थी। दोनों टिकटों की कुल राशि 22,908 रुपए थी, जिसे समय पर भुगतान किया गया।
पिल्लई ने बताया कि बाद में जब फ्लाइट रद्द कर दी गई, तो एयर इंडिया ने रिफंड नहीं किया। उल्टा एक फर्जी रिफंड लेटर भेजकर मामले को टालने की कोशिश की गई। हमने बार-बार ईमेल किए, कई बार कॉल करने की कोशिश की, लेकिन किसी भी माध्यम से कोई जवाब नहीं मिला। एयर इंडिया का कस्टमर केयर से संपर्क करना बेहद मुश्किल है। हमें भरोसा है कि हमारी तरह कई अन्य यात्री भी इस तरह की परेशानी झेल रहे होंगे। एयर इंडिया को अपनी व्यवस्था में सुधार कर यात्रियों की समस्याओं का समय पर समाधान करना चाहिए।
एडवोकेट विष्णु प्रसाद तिवारी ने पैरवी की।
फर्जी रिफंड लेटर देकर टालती रही एयर इंडिया 2 अक्टूबर को डॉक्टर रागित को एयर इंडिया की ओर से सूचना दी गई कि 18 अक्टूबर की फ्लाइट रद्द कर दी गई है और उसे 19 अक्टूबर की सुबह 6 बजे के लिए रीशेड्यूल किया गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि यदि ग्राहक को कोई परेशानी है तो वह टिकट कैंसिल कर सकता है और पूरी राशि लौटा दी जाएगी।
चूंकि डॉक्टर संगीता को 19 अक्टूबर की सुबह अगली फ्लाइट पकड़नी थी, उन्होंने तत्काल टिकट रद्द कर पूरी राशि वापस करने का अनुरोध किया। उन्होंने कंपनी को ईमेल और फोन के माध्यम से कई बार संपर्क किया। हर बार उन्हें 2 से 4 दिनों में रिफंड मिलने का आश्वासन दिया गया, लेकिन महीनों बीतने के बावजूद कोई पैसा वापस नहीं आया। 25 नवंबर को एयर इंडिया ने फोन पर बताया कि राशि खाते में जमा कर दी गई है, लेकिन जब डॉक्टर रागित ने बैंक स्टेटमेंट जांचा तो उसमें ऐसा कोई लेनदेन नहीं मिला। फोरम ने अपने आदेश में कहा कि एयर इंडिया न तो यह स्पष्ट कर पाई कि पैसे क्यों नहीं लौटाए गए और न ही उसने कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किया। दूसरी ओर परिवादी के पास टिकट, ईमेल संवाद, बैंक स्टेटमेंट जैसी पूरी जानकारी थी, जो साफ तौर पर यह दर्शाती है कि सेवा में भारी चूक हुई है।

रागित पी राजेश के पिता राजेश पिल्लई ने कहा एयर इंडिया के कस्टमर केयर सिस्टम में सुधार की जरूरत।
उपभोक्ता फोरम ने माना सेवा में कमी
इस मामले में परिवादिनी की ओर से एडवोकेट विष्णु प्रसाद तिवारी ने पैरवी करते हुए बताया कि, “यह मामला वर्ष 2019 से चल रहा है। एयर इंडिया ने खुद फ्लाइट रद्द होने की जानकारी देते हुए टिकट की राशि लौटाने का भरोसा दिया था, लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी कोई रिफंड नहीं मिला। लगातार संपर्क के बाद भी जब सुनवाई नहीं हुई, तो उपभोक्ता फोरम में सेवा में कमी और लापरवाही का केस दाखिल किया गया। फोरम ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया।