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Astro Tips:हर व्यक्ति की जन्म कुंडली अलग होती है, और उसी के अनुसार उसके जीवन की घटनाएं भी भिन्न होती हैं. अगर एक जैसी कुंडली होती, तो सभी लोगों के जीवन में एक जैसी समस्याएं और घटनाएं घटतीं. लेकिन ऐसा नहीं होता….और पढ़ें
माता-पिता की कुंडली और संतान की कुंडली के बीच गहरा संबंध होता है
हाइलाइट्स
- माता-पिता और संतान की कुंडली आपस में जुड़ी होती हैं.
- माता-पिता की कुंडली का संतान के जीवन पर गहरा प्रभाव होता है.
- संतान की समस्याओं के समाधान के लिए माता-पिता की कुंडली का विश्लेषण जरूरी है.
Astro Tips: क्या सभी लोगों की जन्म कुंडली एक जैसी होती है? क्या उनके जीवन में घटनाएं और चुनौतियां एक जैसी आती हैं? नहीं, हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है और जीवन में घटनाएं भी अलग-अलग होती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता-पिता की कुंडली का संतान की कुंडली से गहरा संबंध होता है? दरअसल, माता-पिता के ग्रहों की स्थिति यह तय करती है कि संतान उनके जीवन में सुख और समृद्धि लेकर आएगी या चुनौतियां. इसलिए केवल संतान की कुंडली देखने से संपूर्ण भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, माता-पिता के ग्रहों का विश्लेषण भी जरूरी होता है. इस बारे में बता रहे हैं भोपाल स्थित ज्योतिषाचार्य रवि पाराशर.
माता-पिता और संतान का त्रिकोण
माता-पिता और संतान के जन्म चार्ट आपस में जुड़े होते हैं. जैसे ही कोई संतान जन्म लेती है, माता-पिता के जीवन में भी बदलाव आने लगते हैं. कुछ माता-पिता कहते हैं कि उनके बच्चे के जन्म के बाद उनके जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ गई, उनका घर-परिवार फलने-फूलने लगा. वहीं, कुछ माता-पिता को लगता है कि बच्चे के जन्म के बाद उनकी परेशानियां बढ़ गईं, नौकरी चली गई, दुर्घटनाएं होने लगीं.
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यह क्यों होता है?
हर आत्मा अपने पिछले जन्मों के कर्मों का हिसाब लेकर आती है. अगर माता-पिता के कर्म किसी आत्मा के साथ जुड़े होते हैं, तो उनके जीवन में भी उस संतान के आने से बदलाव आता है. कभी-कभी संतान की कुंडली माता-पिता की कुंडली के ग्रहों से मेल नहीं खाती, जिससे संघर्ष और परेशानियां बढ़ जाती हैं.
संतान की कुंडली में ग्रहों का प्रभाव
सूर्य: पिता का कारक होता है. अगर किसी संतान की कुंडली में सूर्य आठवें या बारहवें घर में हो, तो पिता को संघर्ष, आर्थिक नुकसान या नौकरी में परेशानी हो सकती है.
चंद्रमा: माता का कारक होता है. अगर चंद्रमा कमजोर हो, तो माता को मानसिक तनाव या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.
केतु: पुत्र का कारक होता है. केतु माता-पिता की कुंडली में खराब स्थिति में हो, तो पुत्र को जीवन में अनेक संघर्षों का सामना करना पड़ सकता है.
बुध: पुत्री का कारक होता है. अगर माता-पिता की कुंडली में बुध कमजोर हो, तो उनकी बेटियों को शिक्षा, विवाह या करियर में बाधाएं आ सकती हैं.
कुंडली के संतुलन का महत्व
अगर माता-पिता की कुंडली में केतु और बुध को ठीक कर लिया जाए, तो संतान की समस्याएं भी अपने आप कम होने लगती हैं. इसके लिए ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं. आइए जानते हैं उपाय.
केतु के दोष को दूर करने के लिए: गणपति पूजा, केतु मंत्र जप, घर में वास्तु दोष का निवारण.
बुध को मजबूत करने के लिए: बुध ग्रह से जुड़े उपाय जैसे हरी मूंग का दान, बुध मंत्र का जाप, घर में तोते या हरे पौधे लगाना.
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माता-पिता की कुंडली का संतान पर प्रभाव
सिर्फ संतान की कुंडली देखने से संतान की समस्याओं का पूरा समाधान नहीं किया जा सकता. माता-पिता की कुंडली के बिना संतान के जीवन का संपूर्ण विश्लेषण नहीं हो सकता. माता-पिता और संतान के त्रिकोण को समझना जरूरी है, क्योंकि यही त्रिकोण किसी व्यक्ति को करोड़पति बना सकता है या आर्थिक रूप से कमजोर भी कर सकता है.
अगर माता-पिता अपनी कुंडली को संतुलित रखेंगे, तो संतान की परेशानियां भी कम होंगी और पूरा परिवार समृद्धि की ओर बढ़ेगा. इसलिए ज्योतिष को परिवार की संपूर्ण इकाई के रूप में देखना जरूरी है, जिससे सभी को इसका सही लाभ मिल सके.