नागपुर2 मिनट पहले
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प्रतीकात्मक तस्वीर।
महाराष्ट्र के नागपुर में एक 17 वर्षीय लड़की ने ऑनलाइन सर्च किया कि ‘मृत्यु के बाद क्या होता है’, इसके बाद उसने कथित तौर पर सुसाइड कर लिया। धंतोली पुलिस आकस्मिक मौत का मामला दर्ज कर जांच कर रही है।
पुलिस ने बताया कि पुलिस ने बताया कि 17 वर्षीय लड़की ने कथित तौर पर पहले अपनी कलाई को चाकू से काटा और ‘स्टोन ब्लेड चाकू’ से क्रॉस के निशान बनाए। इसके बाद उसने गला रेतकर सुसाइड कर लिया।
पुलिस के अनुसार उसके कमरे से जब्त चाकू नागपुर में नहीं मिलता है। चाकू ऑनलाइन मंगाया होगा। साइबर पुलिस भी मोबाइल की जांच कर रही है।
जानें पूरा घटनाक्रम…
- घटना रविवार रात की है। सोमवार सुबह 5.45 बजे जब उसकी मां उसे जगाने के लिए कमरे में गई तो वह खून से लथपथ हालत में बेड पर पड़ी थी। यह देखकर मां की चीख निकल गई। शोर सुनकर छात्रा के पिता भी कमरे में पहुंचे।
- इसके बाद धंतोली थाने की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। पुलिस ने मोबाइल जब्त कर उसकी जांच की तो पता चला कि वह गूगल पर ‘मौत के बाद क्या होता है’ इस बारे में जानकारी सर्च कर रही थी। पुलिस को एक डायरी भी मिली है।
- पुलिस को डायरी से पता लगा है कि लड़की को यूरोपीय कल्चर में इंटरेस्ट था। उसने डायरियों में विदेशी संस्कृतियों के बारे में विस्तार से लिखा था। वह कुछ समय से मौत पर रिसर्च भी कर रही थी।
परिवार कुछ महीने पहले ही नागपुर शिफ्ट हुआ था
मृतका निजी स्कूल की 12वीं की स्टूडेंट थी। उसे लगभग 10 से 12 विदेशी लैंग्वेज भी आती थीं। वह पढ़ने में काफी तेज थी।
उसका परिवार कुछ महीने पहले ही नागपुर आया था। वह छत्रपति नगर इलाके में अपने माता-पिता के साथ रहती थी और उनकी इकलौती संतान थी।
उसके पिता नागपुर में RBI के रीजनल डायरेक्टर हैं। वह पेरेंट्स के साथ घर के नीचे के कमरों में रहती थी। पहली मंजिल पर उसके चाचा का परिवार और दादी रहती थीं।
स्टूडेंट्स के सुसाइड मामले में महाराष्ट्र नंबर 1
एक रिपोर्ट के अनुसार, स्टूडेंट्स के सुसाइड के मामले में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश और तीसरे पर तमिलनाडु है। राजस्थान के कोटा से स्टूडेंट्स की आत्महत्या की खबरें अक्सर आती हैं। मगर रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में राजस्थान 10वें पायदान पर है।

भारत में स्टूडेंट सुसाइड की रोकथाम के लिए सरकार ने ये नियम बनाए
1. मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, 2017 इस एक्ट के अनुसार मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्ति को इसके लिए ट्रीटमेंट लेने और गरिमा के साथ जीवन जीने का पूरा हक है।
2. एंटी रैगिंग मेजर्स सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, रैगिंग की शिकायत आने पर सभी एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को पुलिस के पास FIR दर्ज करानी होगी। साल 2009 में हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में रैगिंग की घटनाओं की रोकथाम के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन यानी UGC ने रेगुलेशन जारी की थी।
3. स्टूडेंट काउंसलिंग सिस्टम स्टूडेंट्स की एंग्जायटी, स्ट्रेस, होमसिकनेस, फेल होने के डर जैसी समस्याओं को सुलझाने के लिए UGC ने 2016 में यूनिवर्सिटीज को स्टूडेंट्स काउंसलिंग सिस्टम सेट-अप करने को कहा था।
4. गेटकीपर्स ट्रेनिंग फॉर सुसाइड प्रिवेंशन बॉय NIMHANS, SPIF NIMHANS यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस और SPIF यानी सुसाइड प्रिवेंशन इंडिया फाउंडेशन इस ट्रेनिंग को कराते हैं। इसके जरिए गेटकीपर्स का एक नेटवर्क तैयार किया जाता है जो सुसाइडल लोगों की पहचान कर सके।
5. NEP 2020 टीचर्स स्टूडेंट्स की सोशियो-इमोशनल लर्निंग और स्कूल सिस्टम में कम्यूनिटी इनवॉल्वमेंट पर ध्यान दें। साथ ही स्कूलों में सोशल वर्कर्स और काउंसलर्स भी होने चाहिए।
70% टीचर्स मेंटल हेल्थ को बीमारी नहीं कमजोरी मानते हैं
- दुनिया में 83% यंगस्टर्स मानते हैं कि मेंटल हेल्थ समस्याओं के लिए किसी दूसरे की मदद लेनी चाहिए। वहीं भारत में सिर्फ 41% यंगस्टर्स ऐसा मानते हैं।
- साउथ इंडिया के 566 स्कूलों पर की गई एक स्टडी में सामने आया कि 70% टीचर्स डिप्रेशन को बीमारी के बजाए साइन ऑफ वीकनेस मानते हैं। साथ ही टीचर्स इसे खतरनाक नहीं बल्कि अनप्रेडिक्टेबल मानते हैं।
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