Tuesday, April 15, 2025
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ऑपरेशन का असर…: घोर नक्सली इलाकों के पहले से ज्यादा युवा सरकारी नौकरियों से जुड़ने लगे – deobogh News



सालभर के अंदर छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के विरुद्ध बहुत तेजी से ऑपरेशन शुरू किए गए हैं, उनका असर अब दिखने लगा है। कुछ साल पहले तक घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में अब बदलाव आ रहे हैं। लोग सरकारी नौकरियों से जुड़ने के लिए पहले से ज्यादा प्रयास करने लगे हैं।

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जनवरी माह में चलपति समेत 16 नक्सली मारे गए थे, जिसके बाद संगठन की पकड़ ढीली पड़ गई। 80 घंटे तक चलने वाले इस मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के बिछाए कई बम डिफ्यूज किए गए। 8 लाख नगद समेत हथियार और जमीन में गाड़े गए विस्फोटक बरामद हुए। तीन नक्सली सदस्यों ने भी सरेंडर किया। इसी जिले में 8 माह के अंदर 100 से ज्यादा युवक युवतियों ने यूनिफॉर्म सर्विस के लिए अप्लाई किया है। इसमें 32 लोग चयनित किए गए।

जो कि अब तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। इनमें से 10 से ज्यादा युवक युवती घोर नक्सली क्षेत्र मैनपुर इलाके से हैं। एसपी निखिल राखेचा ने बताया कि पिछले कुछ माह में सूबेदार/ उपनिरीक्षक/ प्लाटून कमांडर में 15,आरक्षक (जीडी) में 3,सीआरपीएफ में 3,सीआईएसएफ में 2,आईटीबीपी में 2,अग्निवीर के 5 और नगर सेना में 2 की भर्ती हुई है,सभी ट्रेनिंग ले रहे हैं।

जाड़ापदर गांव की बेटी बनी सब इंस्पेक्टर मैनपुर मुख्यालय से 5 किमी दूर जाड़ापदर गांव से 15 किमी दूर भालूडीगी पहाड़ी इलाके में जनवरी में 16 नक्सली मारे गए थे। गांव के इर्द–गिर्द नक्सलियों की चहलकदमी होती थी। लेकिन का परिवार ने साहस का परिचय दिया। 2021 में गांव के गौर सिंह नागेश की बेटी लिना नागेश ने भर्ती परीक्षा में भाग लिया और सब इंस्पेक्टर बनी। लिना के चलते अब गांव में 20 से ज्यादा लोग पुलिस सेना में जाने की तैयारी कर रहे हैं। इस गांव में दो अग्निवीर भी है।

बेटी का सपना पूरा करने परिवार ने मजदूरी की नहानबीरी निवासी आदिवासी परिवार के मुखिया चंदन नागेश की बड़ी बेटी भवानी भी सब इंस्पेक्टर बन गई है। चन्दन की पत्नी महेद्री बाई बताते हैं कि तीन बेटी में से बड़ी बेटी का वर्दी पहनने का सपना था। रायपुर में पीजी करते हुए उसने भर्ती परीक्षा में भाग लिया। तीन साल तक रायपुर का खर्च निकालने दो छोटे बेटियों और एक बेटे की जरूरत में कटौती की। तीन एकड़ जमीन है, पर आमदनी कम थी। इसलिए पूरा परिवार मजदूरी भी करता हैं। निजी कर्ज अब भी है।

सीआईएसएफ जवान बन गया पोस्ट मास्टर का बेटा एक समय में नक्सली आमद रफ्त को लेकर इंदागांव सुर्खियों में था, 2011 में कैंप खोलने के बाद यहां आवाजाही नियंत्रित हुई। सीआरपीएफ 211 बटालियन का कैंप है। इसी कैंप में जवानों को देखकर पोस्ट मास्टर राज प्रताप के बेटे अविनाश ने कैंप में आकर सुबह शाम दौड़ का अभ्यास किया। एक अफसर ने गाइड किया। करना शुरू किया। 2024 में भर्ती प्रकिया में शामिल हुआ। अब राजस्थान के कोटा देवली में है। दबनई पंचायत के लेडीबहरा का आदिवासी युवक खिलेस ठाकुर भी अविनाश के साथ चयनित हुआ।



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