India vs Australia BGT: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली बहुप्रतिक्षित सीरीज अब करीब आ रही है। टीम इंडिया का ऐलान इस सीरीज के लिए बीसीसीआई की ओर से कर दिया गया है। सीरीज भारत के लिए काफी ज्यादा अहम होने वाली है। इसी सीरीज से तय होगा कि टीम इंडिया एक बार फिर से आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेलेगी या फिर इस बार चूक जाएगी। हालांकि टीम इंडिया की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। सीरीज जब शुरू होगी, तब जो होगा, वो तो होगा ही, लेकिन इससे पहले भारतीय टीम के सामने दो बड़ी टेंशन हैं, जिनसे पार पाना होगा।
बॉर्डर गावस्कर सीरीज के पहले कुछ मैचों में रोहित शर्मा गैरमौजूद रहेंगे, इसको लेकर पहले ही रोहित ने बीसीसीआई को बता दिया है। अभी तक तो पहले मैच की ही बात सामने आ रही है, लेकिन हो सकता है कि वे दूसरा मुकाबला भी मिस कर जाएं। अब सबसे बड़ी टेंशन ये है कि अगर रोहित नहीं होंगे तो टीम इंडिया की कप्तानी कौन करेगा। बीसीसीआई ने ऑस्ट्रेलिया सीरीज के लिए जो टीम चुनी है, उसमें उपकप्तान की जिम्मेदारी जसप्रीत बुमराह को दी गई है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि हो सकता है कि जसप्रीत बुमराह को रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी में कप्तानी की जिम्मेदारी दी जाए। लेकिन बुमराह के कप्तानी बहुत ज्यादा फली नहीं है। उन्होंने अब तक एक ही टेस्ट में भारत के लिए कप्तानी की है, जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा है।
रोहित की गैरमौजूदगी में कौन संभालेगा सलामी बल्लेबाज की भूमिका
रोहित शर्मा के ना होने से सवाल ये भी खड़ा हो गया है कि सलामी बल्लेबाज की भूमिका कौन अदा करेगा। यशस्वी जायसवाल तो एक ओपनर हैं ही, लेकिन उनके जोड़ीदार के लिए किस पर दांव लगाया जाएगा, ये अभी तक पता नहीं है। वैसे केएल राहुल और अभिमन्यु ईश्वरन इसके लिए दावेदार हैं, लेकिन इस वक्त दोनों के बल्ले से रन नहीं बन रहे हैं। भारत की ए टीम अभी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर है, जहां अनाधिकारिक मुकाबले हो रहे हैं। अभिमन्यु और केएल राहुल दोनों सलामी बल्लेबाज के तौर पर उतर रहे हैं, लेकिन उनके बल्ले से रन निकलने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में ये भी एक दिक्कत का सबब है।
पांच टेस्ट मैचों की सीरीज को भारत को हर हाल में जीतना होगा। भारतीय टीम न्यूजीलैंड से लगातार तीन मैच हारकर पहले ही विश्व टेस्ट चैंपियनशिप प्वाइंट्स टेबल में पहले नंबर से दूसरे नंबर पर जा चुकी है। अब अगर और मैचों में हार मिली तो संकट और भी बढ़ जाएगा। अभी तक के समीकरणों की बात करें तो भारत को पांच मैचों की सीरीज में कम से कम चार मैच अपने नाम करने होगी, तभी फाइनल की सीट पक्की होगी। अगर तीन मैच जीते और दो हार गए तो दूसरी टीमों के प्रदर्शन पर निर्भर रहना होगा। वहीं अगर कहीं दो ही मैचों में जीत मिली और तीन हार गए तो फिर फाइनल खेलने का सपना अधूरा ही रह जाएगा। हालांकि होने के लिए तो कुछ भी हो सकता है, लेकिन भारतीय टीम अपने बूते अगर फाइनल में जाए तो वो ज्यादा बेहतर रहेगा।
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