Monday, June 9, 2025
Monday, June 9, 2025
Homeविदेशऑस्ट्रेलिया 90 व्हेल को मारेगा: 150 से ज्यादा तस्मानिया के तट...

ऑस्ट्रेलिया 90 व्हेल को मारेगा: 150 से ज्यादा तस्मानिया के तट पर फंसीं, समुद्र में वापस नहीं भेजा जा सका


कैनबराकुछ ही क्षण पहले

  • कॉपी लिंक
रेस्क्यू वर्कर्स ने इन व्हेल्स को वापस समुद्र में भेजने की कोशिश की थी, लेकिन ये तेज हवाओं की वजह से वापस तट पर लौट आईं। - Dainik Bhaskar

रेस्क्यू वर्कर्स ने इन व्हेल्स को वापस समुद्र में भेजने की कोशिश की थी, लेकिन ये तेज हवाओं की वजह से वापस तट पर लौट आईं।

ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया राज्य में मंगलवार रात को एक समुद्र तट पर 150 से ज्यादा फॉल्स किलर व्हेल आकर फंस गईं। इनमें से बुधवार सुबह तक सिर्फ 90 ही जिंदा बची हैं। अधिकारियों ने अब इन व्हेल को भी मारने का फैसला किया है।

दरअसल इन व्हेल्स को समुद्र में वापस नहीं भेजा जा सका है। रेस्क्यू टीम के लोगों ने इन्हें वापस भेजने की कोशिश की थी लेकिन तेज हवा और समुद्र की लहरों के चलते वे वापस लौट आई।

अधिकारियों ने इन व्हेल्स की तकलीफ कम करने के लिए उन्हें मारने का फैसला किया है। तस्मानिया पार्क की अधिकारी ब्रेंडन क्लार्क के मुताबिक मुश्किल इलाके के चलते यहां इनके रेस्क्यू के लिए मशीनों को नहीं भेजा जा सका।

अधिकारियों ने आम लोगों को व्हेल्स वाले इलाके न जाने की अपील की है। यह इलाका यहां के आदिवासी समुदाय के काफी ज्यादा महत्व रखता है। ऑस्ट्रेलिया में तस्मानिया के पश्चिमी तट पर सबसे ज्यादा व्हेल्स के फंसने की घटनाएं होती हैं।

समुद्र तट पर फंसी व्हेल्स की तस्वीर…

फॉल्स किलर व्हेल ज्यादातर झुंड में रहती हैं। एक के फंसने पर दूसरी व्हेल्स उनकी मदद के लिए आ जाती है।

फॉल्स किलर व्हेल ज्यादातर झुंड में रहती हैं। एक के फंसने पर दूसरी व्हेल्स उनकी मदद के लिए आ जाती है।

ये व्हेल्स इंसानों से काफी दोस्ताना व्यवहार रखती हैं।

ये व्हेल्स इंसानों से काफी दोस्ताना व्यवहार रखती हैं।

आम लोगों को व्हेल्स वाले इलाके ने जाने की अपील की गई है।

आम लोगों को व्हेल्स वाले इलाके ने जाने की अपील की गई है।

रेस्क्यू वर्कर्स लगातार व्हेल्स को बचाने की कोशिश में जुटे हैं।

रेस्क्यू वर्कर्स लगातार व्हेल्स को बचाने की कोशिश में जुटे हैं।

खोपड़ी की वजह से मिला नाम इंटरनेशनल व्हेलिंग कमीशन के मुताबिक इन व्हेल्स को फॉल्स किलर व्हेल नाम इनकी खोपड़ी के आकार की वजह से दिया गया है, जो किलर व्लेह से काफी मिलता जुलता है। 6 मीटर तक की लंबाई वाली यह प्रजाति छोटी डॉल्फिन की तरह व्यवहार करती हैं।

ये व्हेल्स किलर व्हेल और स्पर्म व्हेल की तरह ही झुंड में रहना पसंद करती हैं। फॉल्स किलर व्हेल कई तरह की मछलियां और स्क्विड को खाती हैं। कभी-कभी वे छोटी डॉल्फिन और स्पर्म व्हेल को भी खा लेती हैं।​​​​​​

व्हेल्स आपस मे एक दूसरे को मैसेज भेजती है

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ज्यादातर व्हेल हमेशा एक साथ रहती हैं। अगर कोई एक व्हेल कहीं फंस जाती है तो बाकी सब भी उसके पीछे जाने लगती हैं। यही वजह है कि समुद्री तट के किनारे एक साथ इतनी सारी व्हेल्स की मौत होती है।

कई बार कोई एक व्हेल किनारे पर आ जाती है और फिर तकलीफ में दूसरी व्हेलों के पास संकेत भेजती है। उस व्हेल के सिग्नल्स मिलने पर दूसरी व्हेल्स भी उसके पास आने लगती हैं और फंसती चली जाती हैं। व्हेल एक्सपर्ट का कहना है कि पानी का स्तर कम होने पर भी कई बार ये भटक जाती हैं।

मरी व्हेल्स के तट पर रहने से इंसानों को खतरा

– व्हेल के मरने पर उसके शरीर में मौजूद बैक्टीरिया मीथेन गैस बनाना शुरू कर देते हैं। – यह प्रोसेस मछलियों की मौत के बाद से ही शुरू होने लगती है। – जब गैस को शरीर से बाहर नहीं निकल पाती तो पेट फट पड़ता है। – वहीं व्हेल का शरीर बड़ा होता है इसलिए इसमें गैस ज्यादा मात्रा में बनती है। – इसी के चलते व्हेल मछलियों की मौत के बाद समय रहते ही उनके पेट को काट दिया जाता है। – पहले ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जब मरी व्हेल के फटने से लोग घायल भी हो चुके हैं।

खबरें और भी हैं…



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular