तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष बीआर नायडू ने हाल में ही कहा था कि मंदिर परिसर में काम करने वाले सभी लोग हिंदू होने चाहिए। इसका अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने समर्थन किया हैं। वहीं, उन्होंने
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स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा- तिरुपति मंदिर पर ओवैसी के विचार अस्वीकार हैं। उन्होंने कहा कि हमारे मंदिरों में गैर हिंदू कर्मचारी कैसे हो सकते हैं। हमारी सुचिता और पवित्रता का ध्यान वह कैसे रख सकता है। अगर इस संदर्भ में चंद्रबाबू नायडू की एनडीए सरकार ने कोई निर्णय लिया है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वक्त बोर्ड कोई मंदिर या पवित्र स्थल नहीं है। नमाज कहीं भी आता कर सकते हैं। स्वामी जितेन्दानंद ने कहा कि श्री राम जन्मभूमि केस के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था नवाज आवश्यक है या मस्जिद आवश्यक है तब इन्होंने नमाज बताया था। उन्होंने कहा की मस्जिद और वक्फ संपत्ति की आड़ में भारत के बड़े भू-भाग पर कब्जे का षड्यंत्र हैं।
उन्होंने का कि दुनिया के 56 देशों में कहीं भी इस्लामी बोर्ड नहीं है। तो हिंदुस्तान में ही क्यों है। उन्होंने कहा कि आपने आजादी के समय में ही पाकिस्तान बना करके एक बड़ी संपत्ति ले ली है तो फिर हिंदुस्तान की संपत्ति में आपका हिस्सा कैसे उन्होंने कहा कि यह तुष्टीकरण और दोगली और दोहरी राजनीति ओवैसी चलने वाली नहीं है।
आइए अब जानते हैं असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा था टीटीडी बोर्ड के अध्यक्ष बीआर नायडू के बयान पर AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के अध्यक्ष का कहना है कि तिरुमाला में केवल हिंदुओं को ही काम करना चाहिए। लेकिन मोदी सरकार वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों का होना अनिवार्य करना चाहती है। अधिकांश हिंदू बंदोबस्ती कानून इस बात पर जोर देते हैं कि केवल हिंदू ही इसके सदस्य होने चाहिए। जो नियम एक के लिए सही है, वही दूसरे के लिए भी सही होना चाहिए, है न?”

बीआर नायडू ने कही थी ये बात
अध्यक्ष बनने एक बाद बीआर नायडू ने कहा था, “तिरुमाला में काम करने वाला हर व्यक्ति हिंदू होना चाहिए। यह मेरा पहला प्रयास होगा। इसमें कई मुद्दे हैं। हमें इस पर गौर करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि वह अन्य धर्मों से जुड़े कर्मचारियों के भविष्य को लेकर आंध्र प्रदेश सरकार के साथ चर्चा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि वह उन्हें वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) देने या उन्हें अन्य विभागों में स्थानांतरित करने की संभावना पर विचार करेंगे।